भूमिज भाषा को जेटेट नियमावली से अलग करने पर विरोध शुरू
झारखंड शिक्षक पात्रता (जेटेट) नियमावली से भूमिज भाषा को हटाने का विरोध शुरू हो गया है। आदिवासी भूमिज समाज ने आरोप लगाया कि सरकार आदिवासी विरोधी कार्य कर रही है। समाज ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही...

झारखंड शिक्षक पात्रता (जेटेट) नियमावली से क्षेत्र के स्थानीय व जनजातीय भूमिज भाषा को हटाने का विरोध शुरू हो गया है। भूमिज भाषा को विलुप्त करने के खिलाफ आदिवासी भूमिज समाज द्वारा विरोध का बिगुल फूंक दिया गया है। समाज के संयोजक सिद्धेश्वर सरदार, अध्यक्ष जयपाल सिंह सरदार, हरिश सिंह भूमिज ने गुरुवार को हाता में प्रेसवार्ता आयोजित कर वर्तमान झारखंड सरकार पर आदिवासी विरोधी काम करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से भूमिज समाज को गहरा आघात लगा है। वर्ष 2012-13, 2016 में भूमिज भाषा सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल थी। भूमिज भाषा को द्वितीय राज भाषा का दर्जा भी दिया गया है, इसके बावजूद जेटेट नियमावली से हटाना अबुआ सरकार की भूल है।
इस संबंध में भूमिज समाज मुख्यमंत्री, राज्यपाल, कार्मिक विभाग सहित सभी के दरवाजे पर भूमिज भाषा को जेटेट सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल करने की मांग वर्ष 2020 से ही करते आ रहे हैं, लेकिन खुद को आदिवासी हितैषी सरकार कहलाने वाली अबुआ सरकार द्वारा इसकी अनदेखी की गयी है। समाज के लोगों ने कहा कि जल्द ही भूमिज भाषा को मान्यता नहीं दी गयी, तो रोजो संक्रांति पर्व के बाद जमीन, सदन और कोर्ट तक त्रिस्तरीय आंदोलन शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार के इस निर्णय से हमारे बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। मातृभाषा मां के समान है और हम इसे कदापि भूल नहीं सकते। हम सरकार के खिलाफ भी जाएंगे। मौके पर पुतुल सरदार, हिमांशु सरदार, मानिक सरदार, कार्तिक सरदार, उमापद सरदार सहित अन्य उपस्थित थे।
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