हुर्रासी कोल परियोजना में गड़बड़ी का आरोप, प्रधानमंत्री से सीबीआई जांच की गुहार
डर देने में न तो पारदर्शिता बरती गई, न ही कंपनी निर्धारित शर्तों के 50% मापदंडों पर खरी उतरती है। परिवर्तन संस्थान के अध्यक्ष प्रवीण चौधरी ने इस मामले

ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड (ईसीएल) की राजमहल परियोजना के अधीन संचालित हुर्रासी कोयला परियोजना को प्राइवेट कंपनी मोंटे कार्लो को देने को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। इस मसले ने अब तूल पकड़ लिया है और प्रधानमंत्री के स्तर पर हस्तक्षेप कर सीबीआई जांच की मांग की गई है। स्थानीय बुद्धिजीवी मंच और परिवर्तन संस्थान ने आरोप लगाया है कि हुर्रासी जैसे बड़े परियोजना को जिस तरह से मोंटे कार्लो जैसी कपड़ा व्यवसाय से जुड़ी कंपनी को सौंपा गया, वह सरासर नियमों और योग्यता की अनदेखी है। आरोप है कि मोंटे कार्लो को टेंडर देने में न तो पारदर्शिता बरती गई, न ही कंपनी निर्धारित शर्तों के 50% मापदंडों पर खरी उतरती है।
परिवर्तन संस्थान के अध्यक्ष प्रवीण चौधरी ने इस मामले को लेकर देश के प्रधानमंत्री, झारखंड के मुख्यमंत्री और गोड्डा उपायुक्त को पत्र भेजते हुए मांग की है कि इस पूरे टेंडर प्रक्रिया की सीबीआई से निष्पक्ष जांच कराई जाए। उन्होंने कहा कि यह मामला देश में एक और कोयला घोटाले की तरह उभर सकता है, जिसमें केंद्र सरकार की धनराशि के दुरुपयोग और गलत हाथों में खदान सौंपने का गंभीर आरोप है। बुद्धिजीवियों का कहना है कि यह सारा मामला कोल इंडिया और मोंटे कार्लो के बीच आपसी सांठगांठ का प्रतीत होता है, जिसमें बिना तकनीकी अनुभव वाली कंपनी को कोयला उत्पादन का एमडीओ मोड में जिम्मा सौंप दिया गया है। मंच का दावा है कि यदि सही तरीके से जांच हो तो कोल इंडिया के भीतर कई उच्चस्तरीय अधिकारियों की भूमिका उजागर हो सकती है। बुद्धिजीवी मंच के सदस्यों ने ऐलान किया है कि वे इस प्रकरण में सांसदों के माध्यम से मंच के लोग स्वयं प्रधानमंत्री से मुलाकात करेंगे और कोयला मंत्रालय को भी विस्तृत ज्ञापन सौपेंगे।
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