Celebration of 419th Martyrdom Day of Guru Arjan Dev Ji in Giridih तेरा कीया मीठा लागै, हरि नामु पदार्थ नानक मांगै..., Gridih Hindi News - Hindustan
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तेरा कीया मीठा लागै, हरि नामु पदार्थ नानक मांगै...

गिरिडीह में सिखों के पांचवे गुरु गुरु अर्जन देव जी का 419वां शहीदी दिवस धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर रागी जत्था द्वारा कीर्तन प्रस्तुत किया गया और लंगर का आयोजन किया गया। श्रद्धालुओं ने गुरु के...

Newswrap हिन्दुस्तान, गिरडीहSat, 31 May 2025 05:57 AM
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तेरा कीया मीठा लागै, हरि नामु पदार्थ नानक मांगै...

गिरिडीह, प्रतिनिधि। सिखों के पांचवे गुरु गुरु अर्जन देव जी महाराज का 419वां शहीदी दिवस शुक्रवार को शहर के स्टेशन रोड स्थित प्रधान गुरुद्वारा में धूमधाम से मनाया गया। जिसमें काफी संख्या में सिख समुदाय के लोगों ने हिस्सा लिया। इस दौरान अम्बाला से आए हुए रागी जत्था भाई सतनाम सिंह के द्वारा कीर्तन प्रस्तुत किया गया। वहीं गुरुद्वारा में स्त्री सतसंग के द्वारा 40 दिनों से किए जा रहे सुखमनी साहिब और सहज पाठ का समापन भी हुआ। इस क्रम में गुरुद्वारा के बाहर लोगों के बीच लस्सी का वितरण किया गया। गुरुद्वारा आनेवाले श्रद्धालु दरबार साहिब में मत्था टेकने के साथ ही गुरुद्वारा में आयोजित लंगर में भी शामिल हुए।

मौके पर मौजूद गुरुद्वारा के प्रधान सेवक डॉक्टर गुणवंत सिंह मोंगिया ने कहा कि गिरिडीह में गुरु अर्जन देव जी का शहीदी दिवस धूमधाम से मनाया गया। उन्होंने बताया कि गुरु अर्जन देव जी की शहीदी का दिन सिख समुदाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह दिन उनकी बलिदान और त्याग की भावना को याद करने का अवसर प्रदान करता है। इस दिन को छबील के रूप में मनाया जाता है, जिसमें लोगों को ठंडे शर्बत और प्रसाद वितरित किया जाता है। गुरु अर्जन देव जी को मुगल बादशाह जहांगीर के आदेश पर शहीद किया गया था। उन्हें अत्यधिक यातनाएं दी गईं और अंततः 30 मई 1606 को शहीद कर दिया गया। उनकी शहीदी के पीछे का कारण यह था कि मुगल शासकों ने उन्हें एक राजनीतिक खतरा माना था और उनकी बढ़ती लोकप्रियता को रोकने के लिए उन्हें शहीद करने का फैसला किया गया था। गुरु अर्जन देव जी को लाहौर में शहीद किया गया था। उन्हें गर्म तवे पर बिठाकर गर्म लोहे की सलाखों से उनके शरीर को दागा गया था। इसके बाद उन्हें गर्म रेत में लिटाया गया और गर्म पानी से नहलाया गया। इन यातनाओं के बावजूद, गुरु अर्जन देव जी ने अपना धैर्य और साहस नहीं खोया और तेरा भाणा मीठा लागे का उद्घोष करते रहे। अंत में उन्हें रावी नदी में डूबो कर शहीद कर दिया गया। मौके पर गुरूद्वारा गुरू सिंह सभा के सचिव नरेंद्र सिंह सलूजा उर्फ सम्मी, चरणजीत सिंह सलूजा, पूर्व प्रधान अमरजीत सिंह सलूजा, तरणजीत सिंह सलूजा सतविंदर सिंह सलूजा, जोरावार सिंह सलूजा, ऋषिक सलूजा, गुरदीप सिंह बग्गा, राजेंद्र सिंह बग्गा, कुशल सलूजा, अजींदर सिंह चावला, कुंवरजीत सिंह, देवेंद्र सिंह सलूजा, राजेंद्र सिंह, सरबजीत सिंह, मिंटू सिंह समेत काफी संख्या में सिख समाज के लोग मौजूद थे।

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