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रेंज भी दोगुनी, मारक ताकत में भी इजाफा; ब्रह्मोस के नए अवतार से कांप उठेंगे दुश्मन

सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस की ताकत में इजाफा किया जा रहा है। इसकी मारक क्षमता को दोगुना किया जा रहा है और स्पीड भी बढ़ाई जा रही है।

Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तानFri, 30 May 2025 09:34 PM
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रेंज भी दोगुनी, मारक ताकत में भी इजाफा; ब्रह्मोस के नए अवतार से कांप उठेंगे दुश्मन

अब सिर्फ लाहौर, इस्लामाबाद या रावलपिंडी नहीं, चीन के अंदर गहराई तक मौजूद सैन्य ठिकानों को भी भारत के ब्रह्मोस मिसाइल से निशाना बनाया जा सकेगा। भारत और रूस की संयुक्त परियोजना से बनी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस को अब और अधिक घातक बनाने की दिशा में पांच बड़े बदलाव किए जा रहे हैं। ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ में ब्रह्मोस की कामयाबी के बाद यह फैसला लिया गया है।

ब्रह्मोस नाम दो नदियों भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कोवा से मिलकर बना है। इसे तैयार किया है ब्रह्मोस एयरोस्पेस लिमिटेड ने, जो भारत की DRDO और रूस की NPO Mashinostroyenia का संयुक्त उपक्रम है।

क्या खास है नए बदलावों में?

फिलहाल ब्रह्मोस मिसाइल चार रूपों में भारतीय सेना के पास है जो जमीन से ट्रक के जरिए, युद्धपोतों से, सुखोई-30MKI लड़ाकू विमान से और पनडुब्बी से दागे जाने वाली प्रणाली है। यह पारंपरिक विस्फोटक के साथ-साथ न्यूक्लियर हथियार भी ले जाने में सक्षम है और इसकी गति ध्वनि की गति से तीन गुना है।

एनडीटीवी की रिपोर्ट की मानें तो अब जो नए बदलाव हो रहे हैं, उनमें सबसे बड़ा है इसकी रेंज, जो 290-400 किमी से बढ़कर अब 800 किमी तक पहुंच जाएगी। साथ ही इसे सुपरसोनिक से हाइपरसोनिक मिसाइल की श्रेणी में लाया जा रहा है, यानी इसकी गति अब ध्वनि से पांच गुना अधिक हो सकती है। रिपोर्ट्स के अनुसार, रूस ने पहले ही ब्रह्मोस मार्क-2 का परीक्षण शुरू कर दिया है और यह जल्द ही भारतीय सेना के जखीरे में भी शामिल हो सकता है।

वजन कम और ताकत ज्यादा

वर्तमान में एयरफोर्स द्वारा प्रयोग में लाई जाने वाली ब्रह्मोस मिसाइल का वजन करीब 1200 किलोग्राम है, जबकि जमीनी और नौसेना वर्जन का वजन लगभग 3000 किलोग्राम तक होता है। नए वर्जन में वजन घटाकर 1000 किलो से भी कम किया जा रहा है, जिससे इसे राफेल या तेजस जैसे हल्के फाइटर जेट्स से भी लॉन्च किया जा सकेगा।

नया विस्फोटक और सबमरीन से हमला

नई योजना के तहत ब्रह्मोस में और अधिक शक्तिशाली विस्फोटक भरा जाएगा। वर्तमान में यह 300 किलो विस्फोटक ले जाती है, जो भविष्य में और विध्वंसक बन सकता है। साथ ही प्रोजेक्ट P-751 के तहत पनडुब्बियों से दागे जाने वाले वर्ज़न को भी और एडवांस बनाया जा रहा है।

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