धारावी मास्टर प्लान को मंजूरी, विरोध में निवासी
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने धारावी पुनर्विकास परियोजना के लिए मास्टर प्लान को मंजूरी दी है। इसमें 58,532 आवासीय और 13,468 वाणिज्यिक इकाइयां बनाई जाएंगी। हालांकि, स्थानीय निवासियों ने...

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने धारावी पुनर्विकास परियोजना प्राइवेट लिमिटेड (डीआरपीपीएल) के हितधारकों के साथ बैठक के बाद धारावी बस्ती के पुनर्विकास के लिए मास्टर प्लान को मंजूरी दे दी.राज्य सरकार द्वारा जारी की गई धारावी पुनर्विकास परियोजना के मास्टर प्लान में कहा गया है कि मौजूदा धारावी क्षेत्र में पात्र किरायेदारों के पुनर्वास के लिए 58,532 आवासीय इकाइयां और 13,468 वाणिज्यिक और औद्योगिक इकाइयां बनाई जाएंगी.मंजूरी देते हुए फडणवीस ने कहा, "धारावी को इसकी मूल अवधारणा को संरक्षित करते हुए पर्यावरण के अनुकूल और एकीकृत तरीके से विकसित किया जाना चाहिए" उन्होंने कहा कि परियोजना की सर्वोच्च प्राथमिकता स्थानीय कारीगरों और छोटे पैमाने पर व्यवसाय चलाने वालों का पुनर्वास होना चाहिए.धारावी पुनर्विकास योजना (डीआरपी) अदाणी ग्रुप और महाराष्ट्र सरकार के बीच एक जॉइंट वेंचर है, जिसका उद्देश्य एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती का पुनर्विकास करना है.इसमें लगभग 60,000 परिवार रहते हैं.हालांकि, इस परियोजना का विरोध हो रहा है क्योंकि निवासियों ने धारावी में छोटे पैमाने के विनिर्माण और औद्योगिक इकाइयों के अस्तित्व को लेकर चिंता जताई है.धारावी प्रोजेक्ट: अदाणी समूह ने किया अंतरराष्ट्रीय एक्सपर्ट्स से करारमुख्यमंत्री कार्यालय के अनुसार, पात्र लाभार्थियों को पुनर्विकसित क्षेत्र में जगह दी जानी चाहिए और पुनर्वास की अवधारणा में धारावी की मूल व्यावसायिक पहचान को बनाए रखना चाहिए.इसके लिए संबंधित एजेंसियों को स्थानीय लोगों को विश्वास में लेकर विकास कार्य करना चाहिए. नाराज क्यों हैं धारावी के लोग धारावी मास्टर प्लान को मंजूरी दिए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए अधिकार कार्यकर्ताओं ने पूछा कि क्या सरकार पुनर्वासित किए जाने वाले लोगों के साथ योजना पर चर्चा करेगी.वकील और कार्यकर्ता सागर देवरे ने द हिंदू अखबार से कहा, "नागरिकों को बताया जाना चाहिए कि उनका पुनर्वास कहां किया जाएगा.लोगों से आपत्तियां या सुझाव लिए जाने चाहिए, जो नहीं किए गए हैं.इसलिए, यह स्पष्ट नहीं है कि उनका पुनर्वास कहां किया जाएगा" उन्होंने कहा कि 1,200 एकड़ जमीन डेवलपर को दे दी जाएगी, जबकि निवासियों को यह स्पष्ट नहीं है कि कौन-कौन अनधिकृत कब्जेदार माना जाएगा.धारावी पुनर्विकास समिति के अध्यक्ष राजेंद्र कोर्डे ने इंडियन एक्सप्रेस अखबार से कहा, "धारावी में एक लाख ग्राउंड फ्लोर स्ट्रक्चर हैं, जिनके निवासी पुनर्वास के लिए पात्र हैं.इसके अलावा, कम से कम 1.5-2 लाख किरायेदार हैं जो दूसरी और तीसरी मंजिल पर रहते हैं. अगर पात्र किरायेदारों के लिए केवल 72,000 इकाइयां हैं, तो क्या वे बाकी 30,000 किरायेदारों को पुनर्वास के लिए अयोग्य घोषित करने जा रहे हैं? क्या उनका सर्वेक्षण सही है? क्या उन्होंने सर्वेक्षण पूरा कर लिया है?"धारावी की नई पहचानलगभग 72,000 नए आवासों की योजना बनाई गई है, जिसमें घर, वाणिज्यिक दुकानें और छोटे उद्योगों के लिए जगह शामिल होंगी.हालांकि, पात्र निवासियों की संख्या की पुष्टि करने के लिए एक उचित सर्वेक्षण अभी भी चल रहा है.कुंभारवाड़ा और निजी स्वामित्व वाली झुग्गी भूमि जैसे कुछ क्षेत्रों ने डोर-टु-डोर सर्वे कार्य का विरोध किया है.मास्टर प्लान के अनुसार, विकास के लिए उपलब्ध कुल 108.99 हेक्टेयर उपयोग योग्य क्षेत्र में से 47.20 हेक्टेयर धारावी के किरायेदारों के पुनर्वास के लिए है, 10.88 हेक्टेयर अतिरिक्त सुविधाओं जैसे संग्रहालयों, हॉस्टल और कम्युनिटी हॉलों के लिए, 2. 96 हेक्टेयर उपयोगिता के लिए और बाकी 47.95 हेक्टेयर भूमि है जिसे एसपीवी एनएमडीपीएल द्वारा बाजार में बिक्री के लिए डेवलेप किया जाएगा.झुग्गी बस्ती होने के बावजूद, धारावी को एक महत्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्र माना जाता है, जहां कई तरह के छोटे से लेकर मध्यम स्तर के सेक्टर हैं और यह शहर के निर्यात ढांचे का एक अनिवार्य हिस्सा है.मास्टर प्लान में मौजूदा विनिर्माण और खुदरा उद्योगों के पुनर्वास की भी परिकल्पना की गई है.पुनर्विकास का नेतृत्व एक स्पेशल पर्पज व्हीकल (एसपीवी), नवभारत मेगा डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड (एनएमडीपीएल) द्वारा किया जा रहा है, जिसका गठन महाराष्ट्र सरकार के स्लम पुनर्वास प्राधिकरण (एसआरए) और अदाणी समूह के धारावी पुनर्विकास परियोजना प्राइवेट लिमिटेड (डीआरपीपीएल) के बीच एक संयुक्त उद्यम के माध्यम से किया गया है.इस परियोजना का उद्देश्य जनवरी 2032 तक धारावी को एक आधुनिक और अच्छी तरह से विकसित शहरी स्थान में बदलना है.लेकिन स्थानीय लोग इसका कड़ा विरोध कर रहे हैं.