Chaiti Durga Utsav A Century-Old Tradition of Faith and Community in Bagodar खेतको में ब्रिटिश काल से मन रहा चैती दुर्गोत्सव, Gridih Hindi News - Hindustan
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खेतको में ब्रिटिश काल से मन रहा चैती दुर्गोत्सव

बगोदर प्रखंड के खेतको में चैती दुर्गोत्सव का इतिहास बहुत पुराना है। यह उत्सव संतान प्राप्ति की कामना से शुरू हुआ था। पहले बलि प्रथा का प्रचलन था, लेकिन अब वैष्णवी पूजा होती है। श्रद्धालुओं की भीड़...

Newswrap हिन्दुस्तान, गिरडीहSun, 6 April 2025 05:08 PM
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खेतको में ब्रिटिश काल से मन रहा चैती दुर्गोत्सव

बगोदर, प्रतिनिधि। बगोदर प्रखंड के खेतको में मनाए जाने वाले चैती दुर्गोत्सव का इतिहास बहुत पुराना है। यहां अंग्रेजी हुकूमत के समय से चैती दुर्गोत्सव मन रहा है। यहां मनाए जाने वाले चैती दुर्गोत्सव का इतिहास धार्मिक आस्था से जुड़ी हुई है। बताया जाता है कि सौ साल पूर्व संतान प्राप्ति की कामना के साथ गांव के ही एक दलित दंपति के द्वारा दुर्गोत्सव की शुरुआत की गई थी। लगातार तीन सालों तक दुर्गोत्सव आयोजित करने के बाद दलित दंपति को संतान की प्राप्ति हुई। संतान की प्राप्ति के पश्चात आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहने के कारण दंपति ने पूजनोत्सव के आयोजन करने में असमर्थता जताई। इस बात की जानकारी ग्रामीणों को हुई तब बड़े पैमाने पर ग्रामीणों की बैठक हुई और फिर मईया के प्रति आस्था जताते हुए ग्रामीणों ने आगे भी पूजनोत्सव का आयोजन जारी रखने का निर्णय किया। तब से प्रत्येक साल यहां सार्वजनिक रुप से चैती दुर्गोत्सव मनता आ रहा है।

मगन रजक ने शुरू की थी पूजा : स्थानीय लोगों ने बताया कि गांव के मगन रजक को संतान नहीं था। संतान प्राप्ति की कामना के लिए उसके द्वारा दुर्गोत्सव की शुरुआत की गई थी। इसके बाद दंपति को संतान की प्राप्ति हुई। जब उसने पूजनोत्सव के आयोजन में असमर्थता जताई तब ग्रामीणों ने सार्वजनिक रुप से पूजनोत्सव मनाना शुरू किया और तब से यह पूजनोत्सव यहां मनता आ रहा है। बताते हैं कि पूजनोत्सव के प्रति आस्था है कि यहां जो भी कामना की जाती है वह पूरी होती है। इसी का परिणाम है कि यहां 2039 तक डाक चढ़ावा बुक है।

पहले बलि होती थी पर अब होती है वैष्णवी पूजा : स्थानीय लोगों के अनुसार, दुर्गोत्सव की शुरुआत से कई सालों तक यहां बलि प्रथा का प्रचलन था। यहां सैकड़ों की संख्या में बकरे की बलि चढ़ाई जाती थी। बाद में किसी कारणवश बलि प्रथा का प्रचलन बंद हो गया और पिछले कई सालों से वैष्णवी पूजनोत्सव होता आ रहा है। बताते हैं कि धीरे- धीरे पूजनोत्सव के आयोजन में विस्तार होता गया। ग्रामीणों के सहयोग से कुछ साल पूर्व भव्य मंदिर का निर्माण किया गया है। इसी परिसर में संकट मोचन हनुमान का भी मंदिर है। यहां रामनवमी धूमधाम से मनाया जाता है।

महारानी के दर्शन पूजन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी

बेंगाबाद, प्रतिनिधि। भंवरडीह चैती दुर्गा मंदिर में शनिवार को महागौरी के दर्शन पूजन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। पंडितों का कहना है कि महागौरी के दर्शन पूजन करने से भक्तों को शांति, सुख समृद्धि तथा वैवाहिक जीवन में सुख शांति बनी रहती है। इस मान्यता को लेकर सुबह से ही मंदिर में महागौरी की पूजा अर्चना के लिए भक्तों की कतार लगी हुई थी। पूजा अर्चना के लिए स्थानीय को छोड़कर चकाई बिहार के अलावा पोषक गांवों के श्रद्धालुओं की भीड़ लगी थी। मंदिर में मन्नत मांगने वालों की सर्वाधिक भीड़ लगी हुई थी। यह मंदिर काफी जीवंत माना जाता है। इसलिए दूर दराज से यहां लोग मन्नत मांगने के लिए पहुंचते हैं। मन्नत पूरी होने पर श्रद्धा से लोग भगवती को डाक चढ़ाते हैं। एक सौ से अधिक वर्षों से यहां वासंतिक नवरात्र हो रहा है। इससे यहां के मंदिर के प्रति लोगों की आस्था को समझा जा सकता है।

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