तिसरी का वन विश्रामागार भवन रखरखाव के अभाव में हुआ बदहाल
तिसरी का वन विश्रामागार भवन, जो बड़े नेताओं और अधिकारियों के ठहरने के लिए बनाया गया था, अब अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। दीवारों में दरारें, झाड़ियों से लिपटी चहारदीवारी और सफाई के अभाव के कारण यह...
संजीत सिन्हा, तिसरी। बड़े नेता, अफसर और अन्य अतिथियों के ठहरने के लिए तिसरी में लाखों की लागत से बनाया गया वन विश्रामागार भवन अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। उक्त भवन की दीवारों पर पड़ी दरारें और झाड़ियों से लिपटी चहारदीवारी व भवन इसकी बदहाली को बखूबी बयां कर रहा है। लेकिन न तो वन विभाग इसकी सुध ले रहा है और न ही यहां के जन प्रतिनिधियों की ही नजर इस ओर है। जिससे तिसरी की एक पहचान व धरोहर मिटने के कगार पर है। बता दें कि तिसरी के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने अपने मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल में 2001-02 ई. में तिसरी के पुराने प्रखड कार्यालय भवन के पीछे पहाड़ पर बहुत ही खूबसूरत और आलीशान वन विश्रामागर भवन बनवाने का काम किया था।
ताकि तिसरी की रौनक बढ़ सके और यहां आनेवाले नेता, अफसर और अतिथिगण इस भवन में ठहर सके। इसी नीयत से पहाड़ के ऊपर बहुत ही खूबसूरत और आकर्षक अतिथि भवन बनवाया गया था। यह वन विश्रामागर भवन हाल के दिनों तक गुलजार था। भवन के फर्श और दीवार काफी चकाचक थे। जो लोग यहां आते थे या ठहरते थे उन्हें पहाड़ पर बना विश्रामागर भवन काफी भाता और आकर्षित करता था। इतना ही नहीं बल्कि तिसरी में किसी के यहां अतिथि आने पर उन्हें पहाड़ पर बना वन विश्रामागर भवन घुमाने व दिखाने के लिए ले जाया जाता था। बाबूलाल मरांडी सरीखे बड़े-बड़े नेता भी इस भवन में ठहरते थे। डीसी, एसपी, डीएफओ, आरसासीएफ सहित कई विभाग के बड़े - बड़े अधिकारी भी यहां ठहर चुके हैं। लेकिन अब यह वन विश्रामागर भवन देख-रेख के अभाव में खंडहर में तब्दील होता जा रहा है। उक्त भवन की दीवारों पर दरारें पड़ गई हैं, फर्श टूट रही है। भवन के बाहरी ओर दीवार और पूरी छत पर काई जम गयी है। भवन की चहारदीवारी के अंदर झाड़ियां भर गई है। किंतु इसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है। उल्लेख्य रहे कि तिसरी में कई वन कर्मी रहते हैं लेकिन इसकी देखरेख करने वाला कोई नहीं है। यही कारण है कि वन विश्रामागार भवन में लगाया गया एसी सहित सोफ़ा सेट, डाइनिंग टेबल, कुर्सी और अन्य सामग्रियों को भी मनमानी तरीके से ले जाने की सूचना है। बहरहाल, तिसरी के वन विश्रामागार भवन की देखरेख करने के लिए वन विभाग द्वारा एक दरबान को रखा गया था। वह दरबान वन विश्रामागार की रखवाली करते ही थे। साथ ही इसकी साफ सफाई पर भी पूरा ध्यान रखते थे। जब तक वह दरबान इसकी देखरेख के लिए यहां थे। तब तक यह भवन भी चकाचक और गुलजार रहा करता था किंतु दरबान के हटते ही यह वन विश्रामागार अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है।
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