बोले हजारीबाग: जलजमाव-गंदगी से निजात दिलाने की दरकार
हजारीबाग का शिवपुरी इलाका गंदगी और जल जमाव की समस्या से जूझ रहा है। वार्ड 21 और 22 के लोग वर्षों से पानी, गंदगी और असुरक्षा का सामना कर रहे हैं। बारिश में स्थिति और बिगड़ जाती है, जिससे लोग बाहर...

हजारीबाग। हजारीबाग का शिवपुरी इलाका आज प्रशासनिक अनदेखी और बुनियादी ढांचे की बदहाली का प्रतीक बन चुका है। वार्ड 21 और 22 के लोग सालों से पानी, गंदगी, और असुरक्षा से जूझ रहे हैं। समय की मांग है कि इन समस्याओं का तुरंत निदान किया जाए। यहां के लोग सालों से पानी, गंदगी, और असुरक्षा से जूझ रहे हैं। यदि समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए, तो यहां और परेशानी बढ़ जाएगी। इसको लेकर बोले हजारीबाग के माध्यम से लोगों ने अपनी पीड़ा बतायी। बरसात के मौसम में जल जमाव एक अभिशाप बन जाता है। क्षेत्र में रह रहे लोगों के लिए यह समस्या साल दर साल गंभीर होती जा रही है, लेकिन नगर निगम या संबंधित प्रशासनिक इकाइयों की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। शिवपुरी के इन वार्डों में बारिश का नाम सुनते ही लोगों के चेहरे पर चिंता की लकीरें खिंच जाती हैं। हल्की बारिश में भी जलभराव की समस्या उत्पन्न हो जाती है और यदि बारिश लगातार हो तो हालत इतनी बिगड़ जाती है कि पानी घुटनों से ऊपर तक भर जाता है। सड़कें जलाशयों में तब्दील हो जाती हैं और लोगों का पैदल चलना भी दूभर हो जाता है। वाहन चलाना तो दूर, बच्चे और बुजुर्गों का घर से बाहर निकलना जोखिम भरा हो जाता है।
वार्ड नंबर 22 में स्थित सार्वजनिक शिव मंदिर और उससे जुड़ा तालाब, जो छठ पूजा जैसे पवित्र पर्वों के लिए उपयोग में लाया जाता था, आज गंदगी और दुर्गंध का अड्डा बन चुका है। नालियों का गंदा पानी सीधे तालाब में बहाया जा रहा है, जिससे वहां की पवित्रता पर सवाल उठने लगे हैं। अब स्थिति यह हो गई है कि लोग छठ पूजा जैसे धार्मिक अनुष्ठानों के लिए दूसरी जगहों की तलाश कर रहे हैं।
नालियों में जलजमाव, दुर्गंध और मच्छरों का प्रकोप एक आम समस्या बन चुकी है। इनसे होने वाली बीमारियाँ जैसे डेंगू, मलेरिया और वायरल बुखार का खतरा हमेशा बना रहता है। नालियों में स्लैब न होने के कारण दुर्घटनाओं की घटनाएं भी बढ़ी हैं। कई बार बाइक सवार और पैदल राहगीर गड्ढों में गिरकर घायल हो चुके हैं, लेकिन इसका स्थायी समाधान अभी तक नहीं किया गया है। इलाके में बिजली के खुले तार मकड़जाल की तरह लटके हुए हैं। ये न केवल देखने में भयावह हैं, बल्कि जानलेवा भी हैं। आंधी-तूफान आने पर तार गिरने का डर बना रहता है और कई बार बिजली आपूर्ति बाधित भी हो जाती है। इस समस्या को लेकर स्थानीय लोगों ने कई बार शिकायत की है, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं निकल पाया है। यदि समय रहते इसका समाधान नहीं किया गया तो भविष्य में कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है।
सबसे चिंता की बात यह है कि इलाके में नगर निगम की सफाई व्यवस्था भी लगभग ठप है। गंदगी, दुर्गंध और कचरे के ढेर लोगों की रोजमर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बन चुके हैं। नगर निगम की सफाई गाड़ी महीनों तक दिखाई नहीं देती, जिससे गंदगी और संक्रमण का खतरा और अधिक बढ़ जाता है। जल जमाव की समस्या को लोग अपने संसाधनों से हल करने की कोशिश करते हैं कभी खुद से कंक्रीट डलवाकर तो कभी बालू भरवाकर।
तालाब में सिर्फ नालियों का नहीं, बल्कि शौच का गंदा पानी भी बहाया जा रहा है। यह न केवल वातावरण को दूषित करता है, बल्कि धार्मिक भावनाओं को भी आहत करता है। मंदिर परिसर की पवित्रता खतरे में है और श्रद्धालु अब मंदिर में पूजा-अर्चना करने से भी कतराने लगे हैं। यह एक गंभीर सामाजिक और सांस्कृतिक संकट है, जिसे गंभीरता से लेने की आवश्यकता है।
इन सभी समस्याओं से निजात पाने के लिए सिर्फ अस्थायी पैचवर्क से काम नहीं चलेगा। ज़रूरत है एक स्थायी और समग्र समाधान की।
नालियों का पुनर्निर्माण , पक्की नालियां बननी चाहिए जिनपर स्लैब डाले जाएं ताकि गंदगी और दुर्घटनाओं से बचा जा सके।
जल निकासी व्यवस्था का सुधार ऐसे जल निकासी चैनल बनाए जाएं जो बारिश के पानी को जल्दी और सुरक्षित तरीके से बाहर निकाल सकें।
मुहल्लों में मच्छरों की है भरमार, मगर कभी नहीं करायी जाती फाॅगिंग
नगर निगम की सफाई गाड़ी महीनों नहीं आती। नालियों में कचरा जमा होता जाता है। सड़कों पर गंदगी और बदबू का माहौल रहता है। मच्छरों की भरमार से बीमारी फैलने का खतरा बढ़ता है। लोगों को खुद कंक्रीट, बालू भरवाकर सफाई करनी पड़ती है। नालियों की सफाई न होने से जल जमाव और गहराता है। स्थानीय लोग कई बार शिकायत कर चुके हैं। सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करना अब अनिवार्य है।
नालियों का पानी तालाब में बहाए जाने से हमेशा आती रहती है बदबू
तालाब में गंदगी वार्ड 22 के शिव मंदिर तालाब में गंदा नाला बह रहा है। छठ पूजा का पवित्र स्थान अब बदबूदार बन चुका है। नालियों का पानी और शौच का पानी तालाब में जा रहा है। श्रद्धालु मंदिर में पूजा करने से कतराने लगे हैं। धार्मिक आस्था पर चोट हो रही है। छठ जैसे पर्व अब दूसरे स्थानों पर करने पड़ते हैं। तालाब की पवित्रता खत्म होती जा रही है। तुरंत सफाई और संरक्षण की ज़रूरत है।
बिजली के खुली तार को अभी तक नहीं कराया गया है भूमिगत
शिवपुरी में बिजली के तार खुले और बेतरतीब लटके हैं। हर गलियों में तारों का मकड़जाल फैला है। थोड़ी सी हवा में तार हिलते हैं, गिरने का डर बना रहता है। बरसात में करंट लगने का खतरा बढ़ जाता है। बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा दांव पर है। अंधेरे में चलना खतरनाक हो जाता है। कई बार बिजली बाधित हो जाती है। तारों को भूमिगत करना अत्यंत जरूरी है।
सड़क का नामोनिशान नहीं
जल जमाव का डर बरसात में एक दिन की बारिश से भी सड़कों पर घुटनों तक पानी भर जाता है। लोगों को घर से निकलना मुश्किल हो जाता है। बच्चों और बुजुर्गों के लिए हालात और भी कठिन हो जाते हैं। वाहन चलाना तो दूर, लोग पैदल भी नहीं चल पाते। शिवपुरी की गलियां जलाशयों में बदल जाती हैं। घर के सामने कीचड़, बदबू और मच्छरों का हमला होता है। इसके अलावा जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं की जाती। हर साल यही परेशानी होती है, समाधान नहीं।
हजारीबाग के कई इलाकों में पानी का जमाव बड़ी समस्या बन जाती है। इसके लिए नगर निगम को भी विशेष ध्यान देना होगा। सबसे पहले नालियों को दुरुस्त करना जरूरी है कहीं नालियां चौक हो जाती हैं। सड़कों पर गंदगी और बदबू का माहौल रहता है। मच्छरों की भरमार से बीमारी फैलने का खतरा बढ़ता है। नालियों की सफाई न होने से जलजमाव और गहराता है। लोग कई बार शिकायत कर चुके हैं। सफाई को दुरुस्त करना अब अनिवार्य है। -आनंद देव, पूर्व डिप्टी मेयर
बरसात में शिवपुरी में जलजमाव हो जाता है। तालाब की गंदगी से संक्रमण फैलने का डर रहता है। नगर निगम को इस पर संज्ञान लेना चाहिए। शिव मंदिर तालाब की सफाई की जाए, नालियों और शौचालयों के पानी को वहां से हटाया जाए और तालाब को धार्मिक आयोजनों के योग्य पुनः बनाया जाए। खुले तारों को भूमिगत किया जाए या सुरक्षित ऊचाई पर व्यवस्थित किया जाए ताकि किसी भी दुर्घटना से बचा जा सके। सफाई, जल निकासी, बिजली व्यवस्था जैसे मुद्दों पर नगर निगम को नियमित निगरानी और जांच करनी चाहिए।
-डॉ. प्रभात प्रधान, अधिवक्ता
बारिश के बाद गलियों में घुटनों तक पानी भर जाता है, लोगों को निकलना मुश्किल हो जाता है। कई बार स्कूल जाने वाले बच्चों को लौटना पड़ता है। जल निकासी की व्यवस्था बिल्कुल नहीं है। -मीना कुमारी
बरसात होते ही घरों के सामने पानी जमा हो जाता है। सड़कों पर कीचड़ फैल जाता है और पैदल चलना मुश्किल हो जाता है। समय रहते नगर निगम ने स्थायी समाधान नहीं किया तो हालात और बिगड़ेंगे। -आर्यन सिंह
हल्की बारिश में भी गलियों में पानी भर जाता है। कई बार लोग गड्ढे में गिर जाते हैं क्योंकि नालियों पर ढक्कन नहीं हैं। बच्चों का स्कूल जाना और ऑफिस आने-जाने वाले लोगों का परेशानी होती है। -सन्नी सिंह
तालाब में नाली का गंदा पानी बह रहा है, जिससे दुर्गंध फैल रही है। धार्मिक आयोजन प्रभावित हो रहे हैं। तालाब की समय-समय पर सफाई हो और उसके चारों तरफ सुरक्षा दीवार बनाई जाए।
-अभिषेक राणा
न तो नालियों की समय पर सफाई होती है और न ही नई नालियां बन रही हैं। लोग खुद से मिट्टी डालकर रास्ता बनाते हैं, जो कुछ ही दिनों में बह जाता है। स्थायी समाधान बहुत जरूरी है।
-चंदन सिन्हा
गली-मोहल्लों की नालियां खुली हुई हैं और कहीं-कहीं गायब हैं। कई बार लोग इनमें गिरकर घायल हो चुके हैं। बरसात में ये नालियां ओवरफ्लो हो जाती हैं, गंदा पानी सड़क पर फैल जाता है। -शशि कुमार भारती
कई मोहल्लों में सफाईकर्मी महीनों से नहीं आए हैं। नालियां जाम हैं और कचरा हर जगह फैला है। बदबू से सांस लेना मुश्किल हो जाता है। नगर निगम सिर्फ टैक्स लेता है, सेवा देने में पूरी तरह विफल है। -रमेश प्रसाद
बिजली के खुले तार हर जगह लटक रहे हैं, जिससे जान का खतरा बना रहता है। बरसात के समय ये तार पानी में गिरकर बड़ा हादसा कर सकते हैं। पहले भी एक-दो घटनाएं हो चुकी हैं। -रणवीर सिंह
गंदे पानी के कारण मच्छर बहुत बढ़ गए हैं। बच्चों में डेंगू और बुखार जैसी बीमारियां हो रही हैं। अगर जल निकासी ठीक कर दी जाए तो कई बीमारियां खुद ही खत्म
हो जाएँगी। -शंभु राम
हर बार चुनाव के समय नेता आकर वादे करते हैं, लेकिन जीतने के बाद कोई नहीं आता। लोग समस्याओं को लेकर शिकायत करते हैं लेकिन सुनवाई नहीं होती। ये इलाका विकास से कोसों दूर है। -सुरेंद्र कुमार
नीचे बसे घरों में बरसात के समय पानी घुस जाता है। घर का सारा सामान भीग जाता है और लोगों को रात भर पानी निकालना पड़ता है। जल निकासी व्यवस्था सुधारकर राहत दी जा सकती है। -राजेश कुमार
तालाब में शौचालय और नाली का पानी गिर रहा है इससे पानी दूषित हो गया है। वहां पूजा करना अब असंभव हो गया है। तालाब की धार्मिक महत्ता को देखते हुए उसे साफ करना अत्यंत जरूरी है। -मनोज मितवा
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