बिना गोली चलाए ही भारत से इस जंग में बुरी तरह हारा पाकिस्तान, देश का एक-एक जन पस्त
पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना को ऐसा लगता था कि उन्हें एक मजबूत मुल्क मिला है। 1947 से 1960 के दौरान ऐसा दिखा भी, जब पाकिस्तान के लोगों की प्रति व्यक्ति आय मजबूत थी। वहां बाल मृत्यु दर भारत से कम थी और औसत आयु के मामले में भी पाकिस्तान आगे थे। लेकिन अब तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है।

भारत से पाकिस्तान ने 4 जंगें लड़ी हैं और सभी में उसे पराजय मिली है। इन जंगों में बड़े पैमाने पर सैनिक मारे गए तो उसकी अर्थव्यवस्था भी बुरी तरह तबाह हुई। लेकिन एक और ऐसी जंग है, जिस पर कम ही लोगों का ध्यान जाता है और उस जंग में पाकिस्तान तो भारत की तरफ से एक गोली चलाए बिना ही बुरी तरह हारा है। पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना को ऐसा लगता था कि उन्हें एक मजबूत मुल्क मिला है। 1947 से 1960 के दौरान ऐसा दिखा भी, जब पाकिस्तान के लोगों की प्रति व्यक्ति आय मजबूत थी। वहां बाल मृत्यु दर भारत से कम थी और औसत आयु के मामले में भी पाकिस्तान आगे थे। लेकिन अब तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है।
लोकतांत्रिक व्यवस्था में रहते हुए भारत ने गरीबी की दर को कम करने का प्रयास किया है तो वहीं स्वास्थ्य के मोर्चे पर भी अच्छा प्रदर्शन किया है। पाकिस्तान के हुक्मरानों ने पूरा फोकस हथियार जुटाने और देश को परमाणु संपन्न बनाने पर किया है, लेकिन स्कूल, अस्पताल और पावर ग्रिड पर उनका फोकस नहीं रहा। हालात यह हैं कि पाकिस्तान की सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं तो वहीं बड़े-बड़े शहरों में घंटों बत्ती गुल रहती है। आज नतीजा है कि पाकिस्तानियों की औसत आयु भारतीयों से कम है। उनकी कमाई कम है और पढ़ाई में भी वे भारतीयों से पीछे हैं। प्रति व्यक्ति आय की बात करें तो भारत में औसतन कोई व्यक्ति 2,711 डॉलर सालाना कमा रहा है तो वहीं पाकिस्तानियों की औसत आय महज 1,581 डॉलर प्रति वर्ष है।
कमाई और पढ़ाई में भी भारत से कहीं पीछे रह गया पाकिस्तान
आंकड़ों पर नजर डालें तो एक पाकिस्तानी 1960 में 85 डॉलर कमाता था तो भारतीयों की कमाई 82 ही थी। यह स्थिति कमोबेश 2005 तक बनी रही। लेकिन 2005 के बाद से भारत के विकास में तेजी ही देखी गई, जबकि पाकिस्तान उतार चढ़ाव के दौर से गुजरता है और काफी पीछे है। आज पाकिस्तानियों की औसत कमाई भारतीयों के मुकाबले लगभग आधी है। यही नहीं पढ़ाई की स्थिति यह है कि भारत की 80 फीसदी आबादी साक्षर है, लेकिन पाकिस्तान में अब भी यह आंकड़ा 58 फीसदी ही बचा है। इसका कारण सरकार की नीतियां भी हैं। भारत में सरकार जीडीपी का 4.1 फीसदी हिस्सा शिक्षा पर खर्च करती हैं और पाकिस्तान में यह आंकड़ा 1.9 फीसदी ही है। साफ है कि पाकिस्तान की सरकार को अपने नागरिकों की शिक्षा और स्वास्थ्य की चिंता कम है। वह युद्धोन्माद में पूरे देश को झोंक देना चाहती है।
सैन्य खर्च में आगे पाकिस्तान, पर नागरिकों की सेहत का नहीं ध्यान
पाकिस्तान का सैन्य खर्च जीडीपी के 2.8 फीसदी के बराबर है, जबकि भारत का 2.4 फीसदी ही है। यही स्थिति स्वास्थ्य की भी है। भारत जीडीपी के 3.4 फीसदी हिस्से को हेल्थ इन्फ्रा पर लगाता है, जबकि पाकिस्तान 3 फीसदी ही खर्च करता है। इस तरह पाकिस्तान ने एक बड़ी जंग में खुद ही हार मान ली है। इसकी वजह यह भी है कि पाकिस्तान में कभी स्थिर लोकतंत्र नहीं रहा। आज तक के इतिहास में पाकिस्तान में कोई भी चुनाव सेना के दखल के बिना नहीं हुआ।