jamshedpur nml new technique mobile battery will cure cancer खराब मोबाइल भी बचाएगा जिंदगी! बैट्री से होगा कैंसर का इलाज; NML जमशेदपुर की नई तकनीक, Jharkhand Hindi News - Hindustan
Hindi Newsझारखंड न्यूज़jamshedpur nml new technique mobile battery will cure cancer

खराब मोबाइल भी बचाएगा जिंदगी! बैट्री से होगा कैंसर का इलाज; NML जमशेदपुर की नई तकनीक

बैटरी कैंसर जैसी बीमारी के इलाज में काम आ सकती है। नेशनल मेटलर्जिकल लेबोरेटरी (एनएमएल) जमशेदपुर ने खराब मोबाइल की बैटरी को रिसाइकिल कर कोबाल्ट धातु निकालने की तकनीक विकसित कर ली है।

Mohammad Azam लाइव हिन्दुस्तान, जमशेदपुरWed, 18 June 2025 07:40 AM
share Share
Follow Us on
खराब मोबाइल भी बचाएगा जिंदगी! बैट्री से होगा कैंसर का इलाज; NML जमशेदपुर की नई तकनीक

आपका खराब मोबाइल फोन भी किसी की जिंदगी बचा सकता है। इसकी बैटरी कैंसर जैसी बीमारी के इलाज में काम आ सकती है। नेशनल मेटलर्जिकल लेबोरेटरी (एनएमएल) जमशेदपुर ने खराब मोबाइल की बैटरी को रिसाइकिल कर कोबाल्ट धातु निकालने की तकनीक विकसित की है, जो कैंसर के इलाज में अहम भूमिका निभाती है।

कोबाल्ट एक ऐसा धातु है, जिसका उपयोग चुम्बक, एलॉय और इलेक्ट्रोप्लेटिंग आदि बनाने में किया जाता है। वहीं, कोबाल्ट लवण का उपयोग पेंट, चीनी मिट्टी, कांच, मिट्टी के बर्तन और इनेमल में रंग बनाने के लिए किया जाता है। इसी कोबाल्ट के एक रूप रेडियोधर्मी (रेडियोएक्टिव) कोबाल्ट-60 का उपयोग कैंसर के इलाज के लिए किया जाता है। एनएमएल ने अपने ऑफिशियल टेक्नोलॉजी हैंडबुक में इस तकनीक की जानकारी साझा की है। इसमें मोबाइल की बेकार ली-आयन बैटरियों से कोबाल्ट की रिकवरी की तकनीक को इंडस्ट्रियल उत्पादन के लिए उपलब्ध कराने की बात कही गई है।

कोबाल्ट निकालने की प्रक्रिया

एनएमएल के मुताबिक, लिथियम आयन बैटरियों से धातुओं को घोलने के लिए एक प्रक्रिया विकसित की गई है। इसमें ऑक्सीडेंट की मौजूदगी में तनु सल्फ्यूरिक एसिड का इस्तेमाल कर 60 मिनट में उच्च तापमान पर अन्य धातुओं के साथ 70-80 फीसदी कोबाल्ट को बाहर निकाला जा सकता है।

उत्पन्न लीच लिक्विड को सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन, क्रिस्टलीकरण, इलेक्ट्रो-विनिंग तकनीक के माध्यम से संसाधित कर कोबाल्ट को पुनः पृथक धातु के रूप में प्राप्त किया जा सकता है। इसका प्रयोग आगे रेडियोएक्टिव कोबाल्ट-60 के रूप में विभिन्न प्रकार के कैंसर (स्वर यंत्र कैंसर, रक्त कैंसर आदि) के इलाज के लिए किया जाता है। इसे कोबाल्ट थेरेपी या रेडियोथेरेपी भी कहा जाता है। कोबाल्ट-60 गामा किरणों का उत्सर्जन करता है, जो कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने में मदद करती है। एनएमएल के मुताबिक कोबाल्ट का उपयोग खाद्य विकिरण में भी किया जा सकता है, जो भोजन को सड़ने से बचाने, पकने में देरी करने और खाद्य जनित बीमारी के जोखिम को कम करने में मदद करता है।

इस तकनीक से औद्योगिक उत्पादन की तैयारी

एनएमएल अब इस तकनीक से कोबाल्ट के इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन की तैयारी में है। संस्थान इसके लिए औद्योगिक संस्थानों से एमओयू करने की तैयारी में है। संस्थान के मुताबिक, इसका उद्यम शुरू करने के लिए स्कटर-क्रशर, फ्लोटेशन सेटअप, लीचिंग रिएक्टर, फिल्ट्रेशन यूनिट, सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन उपकरण (मिक्सर सेटलर यूनिट), इवेपोरेटर, क्रिस्टलाइजर, इलेक्ट्रो विनिंग सेल, रेक्टिफायर आदि जैसे प्रौद्योगिकी मशीन की आवश्यकता पड़ेगी। इसका उद्यम स्थापित करने के लिए करीब 20 लाख की शुरुआती पूंजी लगेगी। इस तकनीक से कोबाल्ट बनाने की पूरी औद्योगिक तकनीक एनएमएल की ओर से उपलब्ध कराई जाएगी।