अमेरिका के टैरिफ वॉर का झटका, बिकवाली के कारण शेयर बाजार धड़ाम
अमेरिका के टैरिफ वॉर का असर भारतीय शेयर बाजार पर पड़ा है। सोमवार को बीएसई 4000 अंक टूटकर 71,449.94 पर खुला। सेंसेक्स में 2,226.79 अंक और निफ्टी में 742.85 अंक की गिरावट आई है। वैश्विक स्तर पर बिकवाली...

अमेरिका के टैरिफ वॉर का असर शेयर मार्केट पर भी लगा है। ग्लोबल मार्केट में गिरावट के बाद सप्ताह के पहले ही दिन सोमवार को भारतीय शेयर बाजार में भी बड़ी गिरावट देखने को मिली है। बीएसई करीब 4000 अंक टूटकर 71,449.94 पर खुला। शुक्रवार को यह 75,364.69 अंक पर बंद हुआ था। आज सुबह 9.20 बजे सेंसेक्स 72,210.83 पर था। वहीं, निफ्टी भी 1000 ज्यादा ज्यादा अंकों की गिरावट के साथ 21,758.40 पर खुला। शुक्रवार सुबह 9.24 बजे निफ्टी 21,908.30 पर था। हालांकि, अंतिम समय में कुछ सुधार देखने को मिला। अंतिम कारोबारी समय में सेंसेक्स 2,226.79 अंक की गिरावट के साथ 73,137.90 और निफ्टी 742.85 अंक की गिरावट के साथ 22,161.60 पर बंद हुआ। बता दें कि अमेरिका ने 180 से ज्यादा देशों पर टैरिफ की दरें लागू की है। वहीं, चीन ने भी अमेरिकी उत्पादों पर 34 प्रतिशत की टैरिफ लगा दी है। इसका असर भी शेयर मार्केट पर देखने को मिल रहा है। वर्तमान में वैश्विक स्तर पर बिकवाली का दौर चल रहा है, जिसने शेयर मार्केट में उथल-पुथल मचा रखी है।
अमेरिका का इन्फ्लूएशन डेटा डराने वाला : राकेश अकेला
साकची स्थित शेयर बाजार ट्रेडिंग और ट्रेनिंग संस्थान द इंडेक्स प्रो. के फाउंडर राकेश रोशन अकेला कहते हैं कि शेयर मार्केट के डाउन होने के कई कारण हैं। भारतीय बाजार ओवरवैल्यू चल रहा था। नेसडैक का डेटा भी बेयर मार्केट का सिग्नल दे रहा है। वहीं, ग्लोबली सेल ऑफ चल रहा है। हर जगह 5 से 7 प्रतिशत सेल चल रहा है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। अमेरिका का इन्फ्लूएशन डेटा भी डराने वाला वाला है। भारत सरकार 5 प्रतिशत इन्फ्लूएशन होने की बात कह रही है। अगले 2 से 3 महीने तक ऐसा देखने को मिलेगा। अमेरिका में जब भी गिरावट आती है तो गोल्ड प्राइस कम होती है। इससे लोग इक्विटी से गोल्ड में पोजीशन शिफ्ट करते हैं। निगेटिव न्यूज से भी लोगों में डर बना रहता है। इससे सेल्स बढ़ जाता है। इसके अलावा गोल्बल कमोडिटी क्रूड, नेचुरल गैस आदि के प्राइस में भी गिरावट देखने को मिल रही है। अभी ग्लोबल ट्रेड वॉर शुरू है। अमेरिका ने इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा दी है। इससे भी परेशानी हो रही है। निवेश करें, लेकिन एक बार में पूर्ण निवेश न कर आंशिक निवेश किया जा सकता है। इस स्थिति में एकबार में पूरा निवेश नहीं करना चाहिए।
अर्थव्यवस्था पर दबाव का दिख रहा असर : मृत्युंजय उपाध्याय
शेयर मार्केट के एक्सपर्ट और टेक्सटाइल बिजनेस से जुड़े मृत्युंजय उपाध्याय कहते हैं कि अमेरिका में डॉलर में ट्रेड होता है। ग्लोबलाइजेशन के कारण हर जगह का माल हर जगह बिक रहा है। अमेरिका के टैक्स पॉलिसी रेसिपोकल है। जितना टैक्स आप लगाएंगे हम भी आप पर उतना ही लगाएंगे। अमेरिका जाने वाले सामान 26 प्रतिशत महंगा होने के कारण भारत के उत्पाद की डिमांड घट जाएगी। उन्होंने एक उदाहरण के साथ समझाया कि अगर टेक्सटाइल इंडस्ट्री का माल अमेरिका जा रहा है, तो अब कीमत बढ़ने के कारण ऑर्डर कैंसल होने लगे हैं। कारोबार से जुड़े लोगों को रणनीति बदलनी होगी, प्रोडक्शन कम करना होगा। इस दबाव का असर अर्थव्यवस्था पर ज्यादा पड़ रहा है, जो शेयर मार्केट पर देखने को मिल रहा है। अगले एक क्वार्टर यानी 3 महीने तक यह स्थिति देखने को मिल सकती है।
एटम बम से ज्यादा खतरनाक है टैरिफ बम : सत्येंद्र नारायण
शेयर कारोबारी सत्येंद्र नारायण सिंह ने कहा कि टैरिफ बम का प्रहार एटम बम से ज्यादा खतरनाक है। दुनिया के शेयरधारकों को बड़ी मार पड़ी है। ऐसे में सभी निवेशों को धैर्य रखने की जरूरत है। इसे निवेश का मौका समझना चाहिए। भविष्य में भारत के बेहतर विकास को ध्यान में रखते हुए धीरे-धीरे निवेश करते रहना चाहिए। वैसे ये आम बात है कि मार्केट उपर जाने के बाद नीचे आता है, और नीचे आने के बाद ऊपर जाता है। इसलिए हमें निवेश करते जाना है, क्योंकि बाजार को भविष्य में ऊपर ही जाना है। हां, निवेश के जोखिम और समय अवधि का ध्यान जरूर रखना है।
निफ्टी डाउन पर 6-7 गुणा तक हुआ लाभ : उपेंद्र राय
शेयर निवेशक उपेंद्र राय ने बताया कि हर 10 से 15 वर्षों में ऐसा होता है। 2010 में भी ऐसा ही हुआ था और अब 2025 में यह स्थिति उत्पन्न हुई है। हालांकि, यह स्थिति तो अमेरिकी घटनाक्रम को लेकर बनी है। कई सारा सौदा होल्ड हो गया होगा। निवेशकों को बहुत ज्यादा फर्क इसलिए भी नहीं पड़ेगा, क्योंकि वे लंबे समय के लिए निवेश करते हैं। हालांकि, इंट्राडे में नुकसान हो जाता है। वहीं, अगर निफ्टी में किसी ने पिछले कुछ दिनों की स्थिति देख डाउन ट्रेंड पर पैसे लगाए होंगे, तो उन्हें 6-7 गुणा तक का लाभ भी हुआ होगा। अमेरिका का शेयर मार्केट भी बुरी तरह नीचे आया है। इसका असर ग्लोबल मार्केट पर देखने को मिला। भारत में भी सेंसेक्स टूटकर काफी नीचे चला गया।
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