हादसे के बाद एमजीएम में आधा दर्जन विभागों के वार्ड बंद
एमजीएम अस्पताल साकची के मेडिसिन वार्ड में भवन गिरने से चार मरीजों की मौत के बाद, अस्पताल ने डिमना में शिफ्ट होना शुरू कर दिया है। हालाँकि, नए भवन में वार्ड अभी तक नहीं खोले गए हैं, जिससे गरीब मरीजों...

एमजीएम अस्पताल साकची के मेडिसिन वार्ड में भवन गिरने से चार मरीजों की मौत के कुछ दिन के बाद से ही अस्पताल डिमना में शिफ्ट होने लगा। धीरे-धीरे वहां वार्ड बंद हो गए, लेकिन डिमना के नए भवन में अबतक वार्ड खोलकर मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है। ऐसे में मरीजों को सदर अस्पताल या फिर रिम्स रेफर कर दिया जा रहा है। ऐसे में गरीब मरीज इधर-उधर भटक रहे हैं। मेडिसिन विभाग में 150 से अधिक मरीज भर्ती रहते हैं। लेकिन अभी मात्र 8-10 मरीजों को एमजीएम साकची के सर्जरी विभाग के भवन में रखा गया है। जबकि विभाग का पूरा वार्ड बंद कर दिया गया है।
कुछ इमरजेंसी मरीज आ गए तो उन्हें इमरजेंसी में ही भर्ती किया जा रहा है। सर्जरी के मरीजों को बाहर कराना पड़ रहा इलाज सर्जरी विभाग में करीब 120 बेड हैं, जिसमें करीब 80 मरीज तो हमेशा भर्ती रहते थे। अब आने वाले मरीजों को सदर या रिम्स में भेज दिया जा रहा है। इमरजेंसी वाले मरीजों को ही इमरजेंसी में रखा जा रहा है, जबकि वार्ड पूरी तरह बंद है। इसके कारण कई मरीज निजी नर्सिंग होम में दिखा रहे हैं, जिन्हें वहां हजारों रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। विभागाध्यक्ष डॉ. एचआर खान ने कहा कि ऑपरेशन थिएटर लगभग तैयार है। एनेस्थिसिया के कुछ जरूरी काम होते ही ऑपरेशन शुरू कर दिया जाएगा। सर्जरी विभाग की यूनिट बर्न विभाग में करीब 25 से अधिक मरीज भर्ती रहते थे, लेकिन अभी मात्र सात मरीज भर्ती हैं। यहां इमरजेंसी से आने वाले मरीजों को ही लिया जा रहा है। हड्डी रोग में रोज हो जाते थे आधा दर्जन ऑपरेशन हड्डी रोग विभाग का वार्ड करीब 15 दिन से बंद है। इस विभाग में 60 बेड थे और लगभग मरीज भरे रहते थे। यहां तक कि रोज औसतन 6 ऑपरेशन हो जाते थे। लेकिन अभी वार्ड पूरी तरह बंद है और एक भी ऑपरेशन नहीं हो पा रहे हैं। इसका ऑपरेशन थिएटर लगभग तैयार हैं, लेकिन अभी तक शुरू नहीं हुआहै। मरीजों के बढ़ने से इमरजेंसी में भीड़ सामान्य रूप से इमरजेंसी में 52 बेड हैं, लेकिन विभिन्न विभागों के वार्ड बंद होने के कारण वहां के मरीज इमरजेंसी में आकर भर्ती हो रहे हैं। इसके कारण इमरजेंसी में शनिवार को करीब 70 मरीज भर्ती थे। बेड कम होने के कारण उन्हें अतिरिक्त बेड या स्ट्रेचर पर लिटाकर इलाज किया जा रहा था। निराश होकर घर लौट रहे हैं मरीज इन वार्डों के बंद होने से सबसे अधिक परेशान गरीब मरीज हो रहे हैं, जिन्हें एमजीएम में भर्ती होने का मौका नहीं मिल रहा है। रिम्स जाने और वहां के खर्च के लिए पैसा नहीं है। ऐसे में मरीज बीमारी लेकर घूम रहे हैं और निराश होकर घर चले जा रहे हैं।
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