किताबें और जर्नल के जुगाड़ में 650 मेडिकल छात्रों के छूट रहे पसीने
एमजीएम मेडिकल कॉलेज की लाइब्रेरी डेढ़ साल से बंद है, जिससे 650 छात्रों को किताबें नहीं मिल रही हैं। छात्रों को किताबें खरीदनी पड़ रही हैं या सीनियर से मांगनी पड़ रही हैं। कॉलेज प्रशासन ने समस्या का...

राज्य के प्रमुख मेडिकल कॉलेजों में शुमार एमजीएम मेडिकल कॉलेज की लाइब्रेरी बंद होने से डेढ़ साल से छात्रों को किताबें नहीं मिल पा रही हैं। कोहा सॉफ्टवेयर चलाने वाली थर्ड पार्टी के नहीं होने से 650 मेडिकल छात्रों को पढ़ाई में परेशानी हो रही है। छात्रों को या तो किताबें खरीदनी पड़ रही हैं या सीनियर से पुरानी किताबें मांगनी पड़ रही है। वहीं, वे जर्नल पढ़ने को लेकर भी चिंतित हैं। हैरत की बात यह है कि सबकुछ जानते हुए भी प्रबंधन कुछ नहीं कर रहा है। एमजीएम मेडिकल कॉलेज में सत्र लेट होने के कारण कई सत्र के छात्र एक साथ पढ़ रहे हैं।
इसमें 2019, 2020, 2021, 2022, 2023 और 2024 सत्र के कुल करीब 550 छात्र अध्ययनरत हैं। वहीं, पीजी के भी 100 से अधिक छात्र अध्ययनरत हैं। इनमें से कई ऐसे छात्र हैं, जिनके घर की स्थिति ठीक नहीं है। एक छात्र के पिता घर में राशन की दुकान चलाते हैं और अपने बेटे को एमबीबीएस पढ़ा रहे हैं। किसी तरह पेट काटकर अपने बेटा को हर महीने पैसा भेज रहे हैं। उसके अलावा सलाना हजारों रुपये किताब के लिए भेजना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में छात्र सीनियर से कुछ किताबें मांगकर पढ़ते हैं। हालांकि वे अद्यतन जानकारी से वंचित रह जाते हैं। वहीं, एक छात्र के पिता जी राजमिस्त्री हैं और अपने बेटे को डॉक्टर का सपना पाल किसी तरह पढ़ा रहे हैं। इसके अलावा भी अपने बड़े बेटा और एक छोटी बेटी को भी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयारी करा रहे हैं। ऐसे मेडिकल का यह छात्र सीनियर से किताब लेकर पढ़ने को मजबूर है। कहा कि कई महंगी किताबें हैं, जिनमें अच्छी जानकारी रहती है लेकिन वह नहीं खरीद पाते हैं। कॉलेज के सभी सत्र के छात्रों ने मांग की कि कॉलेज प्रशासन उन्हें लाइब्रेरी से किताबें देना शुरू करे, क्योंकि बिना किताबों के वे अच्छी तरह पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। सभी किताबें खरीदना संभव नहीं जेडीए जमशेदपुर के सचिव डॉ. जहांजेब खान ने कहा कि पहले ऑफलाइन मोड में किताबें इश्यू होती थीं, जिसे बाद में ऑनलाइन कर दिया गया। लेकिन जबसे ऑनलाइन किताब इश्यू होना बंद हो गईं, उसके बाद इसका प्रभाव छात्रों पर पड़ा। मेडिकल में एक विषय में कई किताबों का अध्ययन करना पड़ता है। ये सभी किताबें खरीदना संभव नहीं है। ऐसे में लाइब्रेरी से किताबें लेनी ही पड़ेंगी। ऐसा नहीं होने पर कहीं न कहीं पढ़ाई से समझौता करना पड़ता है। डॉ. अनिमेष ने कहा कि शुरू में उन्हें किताबें मिलती थीं, लेकिन आज नहीं मिल रही हैं। इससे सभी छात्र परेशान हो चुके हैं। इसे कॉलेज प्रशासन जल्द ठीक कराए।
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