संशोधित/महारास लीला व रुकमनि विवाह प्रसंग का सस्वर किया वर्णन
नाला, प्रतिनिधि।प्रखंड क्षेत्र के बंदरडीहा पंचायत अंतर्गत सुन्दरपुर-मनिहारी गांव स्थित सरस्वती मंदिर परिसर में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा सह प्रवचन से

संशोधित/महारास लीला व रुकमनि विवाह प्रसंग का सस्वर किया वर्णन नाला, प्रतिनिधि।
प्रखंड क्षेत्र के बंदरडीहा पंचायत अंतर्गत सुन्दरपुर-मनिहारी गांव स्थित सरस्वती मंदिर परिसर में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा सह प्रवचन से भक्तिमय वातावरण बना हुआ है। भागवत कथा के छठे दिन बुधवार को नवद्वीप धाम के कथावाचक धर्मप्राण भागवत किशोर गोस्वामी ने श्रीमद्भागवत कथा के अंतर्गत महारास लीला व रुकमनि विवाह प्रसंग का सस्वर वर्णन किया। इस मार्मिक प्रसंग की व्याख्या करते हुए कथावाचक ने कहा की गोपियों ने भगवान श्रीकृष्ण से उन्हें पति रूप में पाने की इच्छा प्रकट करने पर भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों की इस कामना को पूरी करने का वचन दिया। अपने वचन को पूरा करने के लिए भगवान ने महारास का आयोजन किया। इसके लिए शरद पूर्णिमा की रात को यमुना तट पर गोपियों को मिलने के लिए कहा गया। सभी गोपियां सज-धज कर नियत समय पर यमुना तट पर पहुँच गईं। उनकी बांसुरी की सुरीली धुन सुनकर सभी गोपियां अपनी सुध-बुध खोकर कृष्ण के पास पहुंच गईं। उन सभी गोपियों के मन में कृष्ण के नजदीक जाने, उनसे प्रेम करने का भाव तो जागा लेकिन यह पूरी तरह वासना रहित था। इस तरह अलौकिक महारास हुआ। वृंदावन स्थित निधिवन ही वह स्थान है, जहां श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था। यहां भगवान ने एक अद्भुत लीला दिखाई। जितनी गोपियां थीं, उतने ही श्रीकृष्ण के प्रतिरूप प्रकट हो गए। सभी गोपियों को उनका कृष्ण मिल गया और दिव्य नृत्य एवं प्रेमानंद शुरू हुआ। श्रीकृष्ण ने अपने हजारों रूप धरकर वहां मौजूद सभी गोपियों के साथ महारास रचाया लेकिन एक क्षण के लिए भी उनके मन में वासना का प्रवेश नहीं हुआ। वहीं रुकमनि विवाह का वर्णन करते हुए कथावाचक ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने इस प्रकार सब राजाओं को जीत लिया और विदर्भ की राजकुमारी रुक्मिणी जी को द्वारका में लाकर उनका विधिपूर्वक पाणिग्रहण किया। उस समय द्वारकापुरी के घर-घर में उत्सव मनाया जाने लगा। सर्वत्र रुक्मिणीहरण की गाथा गायी जाने लगी। उसे सुनकर राजा और राज कन्याएं अत्यन्त विस्मित हो गयीं। महाराज भगवती लक्ष्मी जी को रुक्मिणी के रूप में साक्षात लक्ष्मीपति भगवान श्रीकृष्ण के साथ देखकर द्वारकावासी परम आनन्दित हो उठे। कथा के साथ-साथ भजन संगीत भी प्रस्तुति की गई। इस दौरान उपस्थित श्रोता भावविभोर हो उठे। इस सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के सफल संचालन में आयोजक कमेटी के सदस्य सक्रिय रहे।
फोटो नाला 01 :गुरुवार को बंदरडीहा पंचायत के सुन्दरपुर-मनिहारी गांव स्थित सरस्वती मंदिर परिसर में श्रीमद्भागवत कथा सुनाते कथावाचक
फोटो नाला 02: कथास्थल पर मौजूद में श्रद्धालु
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