CRPF s Initiative Transforms Education in Naxal-Affected Tisia Village तिसिया के बच्चों को अक्षरज्ञान दिला रही सीआरपीएफ, शिक्षा विभाग अब भी खामोश, Latehar Hindi News - Hindustan
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तिसिया के बच्चों को अक्षरज्ञान दिला रही सीआरपीएफ, शिक्षा विभाग अब भी खामोश

महुआडांड़ के नक्सल प्रभावित तिसिया गांव में बच्चों को शिक्षा नहीं मिल रही थी। सीआरपीएफ की 211वीं बटालियन ने गांव में स्कूल शुरू किया और बच्चों को पढ़ाई की सुविधा दी। तीन महीनों में 57 बच्चे अक्षर और...

Newswrap हिन्दुस्तान, लातेहारSat, 26 April 2025 01:04 AM
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तिसिया के बच्चों को अक्षरज्ञान दिला रही सीआरपीएफ, शिक्षा विभाग अब भी खामोश

महुआडांड़, प्रतिनिधि। महुआडांड़ प्रखंड अंतर्गत नक्सल प्रभावित गांव तिसिया (डाड़ूलवार) अब तक सरकारी नजरों से दूर हैं। जहां प्राथमिक विद्यालय भवन तो बना, लेकिन शिक्षक कभी नहीं पहुंचे। वर्षों से तिसिया के मासूम बच्चे किताबों से कोसों दूर थे। कोई उन्हें पढ़ाने-लिखने नहीं आता था, न कोई सरकारी कर्मचारी गांव का रुख करता था। लेकिन बदलाव की किरण तब फूटी, जब गांव के ही एक जागरूक ग्रामीण, संतोष यादव ने उम्मीद की मशाल जलाए रखी। उन्होंने बार-बार गुहार लगाई। जब सरकारी व्यवस्था ने कान बंद कर लिए तब मदद के लिए केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल की 211वीं बटालियन ने हाथ बढ़ाया। ग्रामीणों ने बताया कि 14 जनवरी 2025 यह तारीख तिसिया के बच्चों के लिए नया सवेरा बनकर आई। सीआरपीएफ के जवानों ने गांव में एक अस्थायी छप्पर डलवाया और वहीं से ‘स्कूल की शुरुआत कर दी। कोई शोर-शराबा नहीं, कोई उद्घाटन मंच नहीं। बस बच्चों की आंखों में पढ़ने की चमक थी और जवानों की आंखों में उन्हें आगे बढ़ाने का संकल्प। आज महज़ तीन महीनों में 57 बच्चे अक्षर, शब्द और वाक्य सीखने लगे हैं। कहानी यहीं खत्म नहीं होती। बच्चों को ड्रेस, बैग और अन्य ज़रूरी सामग्रियां देने की जिम्मेदारी भी राज्य सरकार की थी। लेकिन जैसे विद्यालय की सुध नहीं ली गई। वैसे ही यह व्यवस्था भी धरी रह गई। मजबूरी में सीआरपीएफ ने खुद इन बच्चों के लिए यूनिफॉर्म, बैग, पठन सामग्री और अन्य शैक्षिक किट मुहैया कराई। शुक्रवार को प्रतिनियोजन पर आए शिक्षक अभय कुलचंद तिग्गा ने भी शिक्षा विभाग की बदहाली को उजागर करते हुए बताया कि विद्यालय में पदस्थापित शिक्षक प्रेम दास लकड़ा पिछले चार महीने से गायब हैं। शिक्षक के अनुपस्थित रहने से विद्यालय की उपस्थिति पंजिका नहीं बन पा रही है। रसोइया रेखा नागेसिया का भी हाजिरी नहीं बन पाय। जिससे उनका मानदेय रुका हुआ है। विद्यालय भवन तो है, सुविधा के नाम पर शून्य। कार्यालय में एक टेबल-कुर्सी तक नहीं है। बच्चों को अब तक सरकारी यूनिफॉर्म तक नहीं मिला है। ऐसी स्थिति में शिक्षक पढ़ाएं तो कैसे और बच्चे पढ़ें तो कैसे। सीआरपीएफ के सत्येंद्र कुमार पांडेय और उनकी टीम न केवल सुरक्षा का काम कर रही है। बल्कि इन बच्चों के भविष्य को भी आकार दे रही है। इस संबंध में ऋषिकेश कुमार, प्रभारी प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी महुआडांड़ ने बताया कि शिक्षक प्रेमदास लकड़ा की लगातार अनुपस्थिति की शिकायतें मिली थीं। जिसकी सूचना जिला को दी गई है। बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो, इसके लिए शिक्षक अभय कुलचंद तिग्गा की प्रतिनियुक्ति की गई है।किताब, ड्रेस और अन्य सुविधाएं जल्द उपलब्ध कराई जाएंगी।

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