Inspiring Journey of Faizul Visually Impaired Student Passes Intermediate with First Division शत-प्रतिशत दिव्यांगता को मात दे फैजुल ने पास की इंटर की परीक्षा, Pakur Hindi News - Hindustan
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शत-प्रतिशत दिव्यांगता को मात दे फैजुल ने पास की इंटर की परीक्षा

इनसे सीखें: शत-प्रतिशत दिव्यांगता को मात दे फैजुल ने पास की इंटर की परीक्षा शत-प्रतिशत दिव्यांगता को मात दे फैजुल ने पास की इंटर की परीक्षा

Newswrap हिन्दुस्तान, पाकुड़Tue, 10 June 2025 02:47 AM
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शत-प्रतिशत दिव्यांगता को मात दे फैजुल ने पास की इंटर की परीक्षा

कुछ कर गुजरने का जज्बा हो और आपकी मेहनत पूरी हो तो सफलता जरूर आपके पास होगी, संसाधनों की कमी महज बहाना है। यह लाइन पाकुड़ सदर प्रखंड के कुमारपुर निवासी फैजुल पर एकदम सटीक बैठती है। दोनों आंखों से दिव्यांग होने के बावजूद फैजुल ने इंटर की परीक्षा कला संकाय में फर्स्ट डिविजन से पास की। फैजुल को 69.60 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए हैं। वह उत्क्रमित प्लस टू उच्च विद्यालय इलामी का छात्र था। परीक्षा के लिए फैजुल को शिक्षा विभाग ने सहायक की अनुमति दी थी। फैजुल के लिए उसके गांव के ही एक मैट्रिक का छात्र मो. मुसीरूल इस्लाम परीक्षा सहायक बना था।

फैजुल आगे की पढ़ाई पूरी कर दिव्यांग बच्चों का शिक्षक बनना चाहता है। फैजुल ने इंटर की परीक्षा देने से पूर्व ही सिलीगुड़ी के एक संस्थान में तीन माह का कम्प्यूटर कोर्स में भी नामांकन कराया है। फैजुल का कम्प्यूटर कोर्स भी इसी माह पूरा होने जा रहा है। फैजुल के बड़े भाई ने बताया कि बचपन से ही वह पढ़ने में तेज था। मैट्रिक की परीक्षा भी उसने अच्छे नंबर से पास की। चूंकि यहां ब्रेल की व्यवस्था नहीं है, इसलिए इंटर की परीक्षा की तैयारी के लिए उन्होंने मोबाईल को अपना माध्यम बनाया। उसकी लगन का परिणाम है कि उसने फर्स्ट डिविजन से परीक्षा पास की। फैजुल के बड़े भाई बताते हैं कि फैजुल का सपना है कि वह आगे पढ़ लिख कर दिव्यांग बच्चों का शिक्षक बने। फैजुल का मानना है कि संसाधनों की कमी के कारण उसे परेशानी जरूर हुई है, उसके तरह जिले के अन्य दूसरों बच्चों को इन परेशानियों से न गुजरना पड़े इसके लिए वह कड़ी मेहनत करेंगे। शिक्षक बनने के लिए फैजुल उत्तर प्रदेश के विशेष शिक्षण संस्थान में जाना चाहता है। परिजनों का कहना है कि पढ़ाई में तेज फैजुल को आगे बढ़ने के लिए जो भी उपाय करने होंगे किए जाएंगे। यहां बता दें कि फैजुल अपने परिवार में इकलौता दिव्यांग नहीं है, उससे छोटे और दो भाई भी दिव्यांग हैं। बता दें कि फैजुल के पिता सलाम शेख पेशे से किसान हैं। फैजुल से दो बड़े भाई जो पूरी तरह ठीक हैं, वह भी खेती-किसानी से जुड़े हैं। कुल मिला कर देखें तो फैजुल से उन युवाओं को सीख लेनी चाहिए जो संसाधनों का बहाना बना कर मेहनत से दूर भागते हैं।

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