बोले पलामू : प्लस-2 विद्यालय में शिक्षक भी कम, पानी की व्यवस्था भी नहीं
छतरपुर के प्लस-2 विद्यालय में पेयजल और शिक्षकों की कमी की गंभीर समस्या है। चार बोरिंग के बावजूद स्कूल को पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है। विद्यालय प्रबंधन ने प्रशासन से डीप बोरिंग की मांग की है। साथ ही,...

छतरपुर। पलामू जिले के चौथे सिटी के रूप में छतरपुर नगर निकाय की स्थापना करीब सात साल पहले हुई है। इसके बाद इस शहर को भी समग्र रूप से विकसित करने का प्रयास तेज किया गया। इसका सकारात्मक परिणाम शहर के राजकीयकृत प्लस-2 हाई स्कूल पर पड़ा है। खपरैल कमरे से शुरू हुआ यह विद्यालय वर्तमान शहर का मॉडल शिक्षण संस्थान के रूप में विकसित हो रहा है। आधुनिक शिक्षा प्रणाली के संसाधन भी स्कूल को उपलब्ध कराया गया है। फिर भी विद्यालय कई चुनौतियों का अब भी सामना कर रहा है। इससे विद्यार्थियों को वैश्विक चुनौतियों के समक्ष खड़ा हो पाने योग्य शिक्षा नहीं मिल पा रहा है।
स्कूल के शिक्षकों ने बताया कि 1954 में इस विद्यालय की स्थापना दरभंगा के महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह बहादुर ने किया था। 19 एकड़ जमीन विद्यालय के नाम से 1957 में रजिस्ट्री की गई थी। खपरैल कमरे में आठवीं से दसवीं तक पढ़ाई प्रारंभ की गई थी। इस विद्यालय को पूर्ण स्वीकृति 13 नवंबर 1959 को दी गई थी। 2 अक्तूबर 1980 को इसे राजकीयकृत विद्यालय स्वीकृत किया गया था। वर्तमान में यह विद्यालय प्लस-टू स्तर में अपग्रेड हो गया है परंतु सरकार के निर्णय के अनुसार अब 9वीं से 12वीं तक की पढ़ाई कराई जा रही है। विद्यालय में वर्तमान में शिक्षकों की संख्या महज18 है। भूगोल और इतिहास विषय के शिक्षक का पद रिक्त हैं। विद्यालय में 20 वर्ग कक्ष उपलब्ध हैं और स्मार्ट बोर्ड भी पांच वर्ग कक्ष में लगे हुए हैं। वाई-फाई से कनेक्ट स्कूल परिसर में आईसीटी लैब, लैंग्वेज लैब, वोकेशनल लैब, फिजिक्स, केमिस्ट्री व बायोलॉजी लैब और पुस्तकालय की सुविधा उपलब्ध है। विद्यालय कैंपस में ओपन जिम, प्लेग्राउंड, इनडोर स्टेडियम और संबंधित खेल सामग्री उपलब्ध कराया गया है। अब इस स्कूल को मुख्यमंत्री विशिष्ट स्कूल का दर्जा दिलाने के लिए विद्यालय प्रबंधन प्रयास कर रहा है। साथ ही सीबीएसई से संबद्धता हासिल कर शिक्षा व्यवस्था को और बेहतर बनाने की दिशा में कार्य चल रहा है। झारखंड एकेडमिक काउंसिल की माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक परीक्षा-2025 में विद्यालय के 98.5% विद्यार्थियों ने सफलता हासिल की है। इससे स्कूल परिवार प्रोत्साहित है और शत-प्रतिशत परीक्षाफल में 1.5% की कमी रह जाने का कारण ढूंढते हुए उसका निदान निकालने का प्रयास कर रहा है।आधुनिक शिक्षा की सुविधा मिल गई है परंतु पेयजल के लिए अभी काफी परेशानी है। विद्यालय कैंपस में पांच बोरिंग कराया गया है और आरो सिस्टम भी लगाया गया है। परंतु भूमिगत जल स्रोत में गिरावट से बोरिंग सूख गए हैं। विद्यालय प्रबंधन जार से पानी खरीद कर वैकल्पिक व्यवस्था बनाने का प्रयास कर रहा है। कैंपस के बाहर कराए गए एक बोरिंग में लगाए गए मोटरपंप को पांच-पांच मिनट पानी चला कर काम लिया जा रहा है। दूसरी चुनौती विद्यालय कैंपस के मोहल्ले के घर से निकलने वाली गंदा पानी स्कूल कैंपस में बहाया जा रहा है। विद्यार्थी बदबू से परेशान है। विद्यालय का पानी प्ले ग्राउंड से होकर निकलती थी लेकिन कैंपस का जीर्णोद्धार के क्रम में पानी निकासी बंद है। विद्यालय की जमीन का भी अतिक्रमण कर लिया गया है। प्रस्तुति: बिनोद चार बोरिंग के बावजूद पानी नहीं शिक्षक-छात्र सभी परेशान छतरपुर के प्लस-2 विद्यालय में पेयजल की घोर समस्या है। चार बोरिंग के बावजूद स्कूल को जरूरत के अनुरूप पानी नहीं मिल पा रहा है। जार से पानी खरीदकर स्कूल प्रबंधन अपनी जरूरत को पूरा कर रहा है। स्कूल प्रबंधन की अपेक्षा है कि प्रशासन डीप बोरिंग कराकर स्कूल कैंपस में पानी की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित कराए। इससे पेयजल की समस्या दूर होगी। स्कूल की जमीन को कराया जाए अतिक्रमण मुक्त स्कूल की 19 एकड़ जमीन है। परंतु इसका कुछ हिस्सा अतिक्रमण कर लिया गया है। अतिक्रमण की समस्या के कारण स्कूल की बाउंड्री निर्माण अधूरा पड़ा हुआ है जिससे कई समस्या पैदा हो रही है। स्कूल प्रबंधन ने प्रशासन का ध्यान भी इस ओर आकृष्ट कराया है और समाधान निकालने की मांग की है। परंतु अभी तक समाधान नहीं निकल सका है। इतिहास-भूगोल विषय के नहीं हैं शिक्षक स्कूल में फिलवक्त इतिहास-भूगोल के शिक्षक नहीं है। इसके अलावा विद्यार्थियों की संख्या के अनुपात में भी शिक्षकों की कमी है। इसका प्रभाव पठन-पाठन पर पड़ रहा है। स्कूल में पढ़ने के बावजूद विद्यार्थियों को निजी कोचिंग का सहारा लेना पड़ता है। इससे अभिभावकों पर अतिरिक्त भार पड़ता है। विद्यार्थी और शिक्षकों ने कमी का जिक्र करते हुए यह बताने का प्रयास किया वर्तमान परिस्थिति के बावजूद स्कूल का परीक्षाफल इस साल की मैट्रिक और इंटरमीडियट की परीक्षा में बेहतरीन रहा है। कमी को दूर करने से पठन-पाठन की स्थिति में सकारात्मक बदलाव आएगा। इस ओर अगर ध्यान दिया जाए तो स्कूल का गौरवमयी इतिहास लौट सकता है। इनकी भी सुनिए विद्यालय में मोहल्ले के गंदे पानी बहाए जाने, पेयजल की समस्या और भूमि अतिक्रमण की समस्या की जांच कराई जाएगी। दोषियों पर कार्रवाई भी की जाएगी। समस्या का समाधान शीघ्र कर लिया जाएगा। स्कूल के विकास के लिए प्रयास किया जा रहा है ताकि यहां पठन-पाठन का पूरा माहौल बन सके। आशीष गंगवार, एसडीएम, छतरपुर विद्यालय टीम का एकमात्र उद्देश्य बेहतर और आधुनिक शिक्षा प्रदान करना है। इसके लिए विद्यालय की पूरी टीम प्रयासरत है। पेयजल, अतिक्रमण आदि की कुछ समस्या है। इसका निदान निकालने की दिशा में प्रयास किया जा रहा है। इन समस्याओं का समाधान हो जाने पर स्कूल में बेहतर माहौल का निर्माण हो सकेगा। जय प्रकाश गुप्ता, प्राचार्य स्कूल में शिक्षकों की संख्या बढ़ाई जाए मोहल्ले का गंदा पानी विद्यालय कैंपस में बहाया जा रहा है। इसकी बदबू क्लासरूम तक पहुंचती है। इसके कारण काफी परेशानी है। पढ़ने में व्यवधान भी आता है। अभिजीत कुमार सिंह विद्यालय के वक्त पर कोचिंग भी संचालित किया जाता है। इसके कारण स्कूल आने में परेशानी होती है। इसका निदान जरूरी है। अन्य समस्याओं का भी समाधान जरूरी है। हर्ष कुमार विद्यालय कैंपस में सबसे अधिक परेशानी पीने के पानी को लेकर होती है। शौचालय जाने में भी इसके कारण काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। पानी की पूरी व्यवस्था की जाए। प्रियांशु गुप्ता विद्यालय में डीप बोरिंग कराकर पीने की पानी की समस्या दूर करने की जरूरत है। इसके लिए शीघ्र प्रयास जरूरी है। पानी कोऔर छात्र दोनों परेशान रहते हैं, निदान जरूरी है विद्यासागर सोनी विद्यालय में सबसे अधिक रुचि आईसीटी लैब व लैंग्वेज लैब में आती है। इससे आत्मविश्वास बढ़ता है। अन्य परेशानी दूर करने की जरूरत है। स्कूल कमियों से जूझ रहा गजाला परवीन कैमेस्ट्री की पढ़ाई में लैब बड़ा सहायक है। केमिकल का रिएक्शन सिखने देखने से ज्ञान बढ़ रहा है। स्कूल की अन्य परेशानी दूर करने की जरूरत है तािक छात्रों को पूरी सहूलियत हो। प्रतिमा कुमारी बायोलॉजी लैब में मानव अंग संरचना समझने में काफी रोचक अनुभव होता है। इस व्यवस्था को और बेहतर बनाने की जरूरत है। आधुनिक लैब की जरूरत है। इरम फातमा विद्यालय का पुस्तकालय बेहतर है। कई विषय की जानकारी यहां मिल जाती है। पुस्तकालय में पुस्तक की संख्या बढ़ाने की जरूरत है ताकि छात्र रुचि के अनुसार पढ़ सकें। किरण कुमारी विद्यालय में शिक्षक की संख्या और बढ़ाने की जरूरत है। इससे वे विद्यार्थियों पर ज्यादा ध्यान दे पाएंगे और स्कूल का परीक्षा परिणाम बेहतर होगा। छात्रों को भी आसानी होगी। रानी कुमारी स्मार्ट बोर्ड से पढ़ाई में आसानी हुई है। सभी वर्ग कक्ष में स्मार्ट बोर्ड लगाने की जरूरत है। साथ ही कैंपस और बेहतर करने की जरूरत है। कैंपस में बदबू बहुत ज्यादा है। पायल कुमारी बोरवेल में पानी नहीं होने के कारण शौचालय के उपयोग में परेशानी होती है। पानी की कमी को प्राथमिकता के आधार पर दूर करने की जरूरत है ताकि सभी को सहूलियत हो। सोनी कुमारी समस्याएं 1. स्कूल में जार का पानी खरीदकर वैकल्पिक व्यवस्था बनाने की मजबूरी है। 2. मोहल्ले का गंदा पानी विद्यालय कैंपस में गिराया जा रहा है। बदबू से होती है परेशानी। 3. विद्यालय की जमीन अतिक्रमण कर लिया गया है। इसके कारण बाउंड्री का निर्माण भी अधूरा है। 4. विद्यालय में इतिहास व भूगोल के शिक्षक नहीं है। छात्र संख्या की अनुपात में शिक्षकों की कमी है। 5. स्कूल कैंपस में पठन-पाठन के माहौल के लिए संसाधनों का विकास अबतक नहीं हो पाया है। सुझाव 1. स्कूल परिसर में नया डीप बोरिंग कराकर पीने की पानी की सुविधा बहाल कराई जाए। 2. मोहल्ले के गंदे पानी की निकासी के लिए नाली का निर्माण कराया जाए ताकि बदबू से मुक्ति मिले 3. स्कूल की जमीन से अतिक्रमण हटाया जाए। साथ ही अधूरे बाउंड्री का निर्माण पूरा हो। 4. इतिहास और भूगोल के शिक्षकों की तत्काल पदस्थापना की जाए और शिक्षकों बढ़ाए जाएं। 5. स्कूल परिसर में सुविधाओं का विकास प्राथमिकता के आधार पर सुनिश्चित किया जाए।
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