Frequent Accidents at Kasmar Turn in Ramgarh Urgent Safety Measures Needed बोले रामगढ़:तिराहा और कसमार के तीखे मोड़ पर लगे साइन बोर्ड, Ramgarh Hindi News - Hindustan
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बोले रामगढ़:तिराहा और कसमार के तीखे मोड़ पर लगे साइन बोर्ड

रामगढ़ के मांडू प्रखंड में बंजी परेज तिराहा के पास कसमार मोड़ पर लगातार दुर्घटनाएं हो रही हैं। सड़क पर साइन बोर्ड और स्पीड ब्रेकर की कमी के कारण लोग भयभीत हैं। यह मोड़ कई पंचायतों के लिए जीवन रेखा है,...

Newswrap हिन्दुस्तान, रामगढ़Thu, 17 April 2025 06:34 PM
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बोले रामगढ़:तिराहा और कसमार के तीखे मोड़ पर लगे साइन बोर्ड

वेस्टबोकारो। मांडू प्रखंड के घाटो क्षेत्र को चरही से, परेज को रामगढ़ से और बंजी और केदला को चरही हजारीबाग से बंजी परेज तिराहा जोड़ता है। हर रोज व हर समय इस तिराहा से सैकड़ों वाहन पार होते हैं। लेकिन तिराहा के समीप स्थित कसमार तीखा मोड़ की अव्यवस्था के कारण आए दिन दुर्घटना होते रहती है। इस तिराहा के नजदीक सावधानी के लिए कोई साइन बोर्ड या स्पीड ब्रेकर भी नहीं है। यह सड़क बड़े वाहनों से भरा रहता है। हिन्दुस्तान के बोले रामगढ़ टीम से ग्रामीणों ने इन समस्याओं पर बात कर अपने विचार साझा की। लगतार होती दुर्घटनाओं से अगल-बगल के ग्रामीण भी भयभीत रहते हैं।

रामगढ़ जिले के मांडू प्रखंड के घाटो को चरही से, परेज को रामगढ़ से और बंजी और केदला को चरही हजारीबाग से जोड़ने वाली मुख्य सड़क के बंजी परेज तिराहा के पास कसमार के तीखे मोड़ के पास आए दिन दुर्घटना होते रहती है। इस मोड़ पर आए दिन होने वाले सड़क दुर्घटना से कई लोगों की जान जा चुकी है और कितनों के हाथ, पैर और सिर में गंभीर चोट के कारण जीवन बर्बाद हो चुका है।

मांडू प्रखंड के एक दर्जन से अधिक पंचायतों को हजारीबाग, रामगढ़, बोकारो जिले से जोड़ने वाली यह मुख्य पथ हजारों लोगों के लिए लाइफलाइन कही जाती है। लेकिन महत्वपूर्ण और अति संवेदनशील होने के बावजूद अव्यवस्थित सड़क के कारण लोगों की जान जा रही है। सड़कें पक्कीकरण की गई है लेकिन दुर्घटना संभावित होने के कारण इसका सौंदर्यीकरण के साथ साथ दुर्घटना रहित सावधानियां के लिए और कई कार्य करने की आश्यकता है। मोड़ के एक तरफ मकान हैं तो वहीं दूसरी ओर झाड़ियां हैं। मोड़ इतना तीखा है कि एक दूसरी ओर से आनेवाले वाहनों को यह पता नहीं चल पता है कि सामने से कोई दूसरी वाहन तो नहीं आ रही है। इस मोड़ के दोनों तरफ स्पीड ब्रेकर, बीच में डिवाइडर और ट्रफिक बोर्ड लगाने की आवश्यकता है ताकि इस मोड़ से आवागमन करने वाली वाहनें ट्राफिक नियमों का पालन कर यहां होने वाले सड़क दुर्घटनाओं से बच सकें। इस मोड़ में स्वचालित संकेत सख्त जरुरत है। ताकि इस संवेदनशील मोड़ में वाहन चालक ट्राफिक नियमों का पालन कर दुर्घटना रहित यात्रा कर सकें। सड़कों का पक्कीकरण तो हो गया है लेकिन चौराहा, तिराहा और तीखे मोड़ को व्यस्थित नहीं किया गया है। प्रशासन इस मोड़ का कायाकल्प के साथ-साथ यहां स्वचलित ट्रैफिक सिग्नल स्थापित करें तो यहां होने वाली दुर्घटनाएं रोकी जा सकता है ओर लोगों की जान बचाई जा सकती है। कई बार सड़क से सटे कसमार बस्ती के ग्रामीण दुर्घटना के दौरान इसका विरोध करते हैं लेकिन घटना के बाद माहौल शांत होने के साथ उनकी मांग भी दम तोड़ देती है। तीखा मोड़ से सटे घर होने के कारण यहां के ग्रामीणों को प्रदूषण की भी मार झेलनी पड़ती है।

कोयला ओवरलोड वाहनों के गुजरने से मोड़ पर कोयला गिरता जाता है। जिससे सड़क के किनारे कोयले की एक मोटी परत बिछ जाती है। जो वाहनों के गुजरने से प्रदूषण को भी बढ़ाती है और दुर्घटना को भी आमंत्रित करती है। प्रशासन और परिवहन विभाग अगर ओवरलोड वाहनों पर अंकुश लागए और मोड़ पर स्पीड ब्रेकर और बोर्ड लगवाए तो बहुत हद तक इस समस्या से निजात पाया जा सकता है। वहीं इस मोड़ पर 10 से 12 घर हैं। जिसकी कुल आबादी 45-50 के बीच है। यह बारुघुटू उत्तरी पंचायत के अंतर्गत पड़ता है। यहां रहने वाले लोग गरीब और दिहाड़ी मजदूरी कर अपना गुजर बसर करते आ रहे हैं। उनके बीच उत्पन्न इस समस्या को देखनेवाला कोई नहीं है। ग्रामीण बताते हैं कि जब इस मोड़ पर दुर्घटना होती है तो तेज आवाज और शोर सुनकर हम ग्रामीण घरों से बाहर निकलते हैं और सड़क पर पड़े घायलों की मदद के लिए आगे आते हैं। लेकिन आखिर यह कब तक चलेगा और इसपर कोई ठोस पहल क्यों नहीं हो पाती है। सीसीएल जैसी कंपनियां जिसके खनन क्षेत्र से सटे सड़क होने के बावजूद प्रबंधन इसपर कोई पहल नहीं करता है।

सड़कों का ज्यादातर उपयोग करता है सीसीएल

कसमार सड़क का ज्यादातर उपयोग सीसीएल के कई परियोजनाओं परेज, बसंतपुर, केदला, सारुबेड़ा कोलियरियों से निकलने वाले भारी वाहन करते हैं। दिनभर इनके वाहन सड़कों पर दौड़ते रहते हैं। 24 घंटा इन सड़कों पर भारी वाहनों का आवागमन लगा रहता है। ऐसे में आए दिन दुर्घटना में जान गवांने वाले लोगों को ध्यान में रखते हुए प्रबंधन को इस समस्या को भी नैतिकता के आधार पर गंभीरता पूर्वक लेना चाहिए। ताकि उनके एक छोटे से प्रयास से कईयों की जिंदगी बचाई जा सकती है। लेकिन सीसीएल का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। इससे आम लोग पीस रहे हैं।

दर्जनों पंचायत के लोगों की जान रहती है सांसत में

इस पथ से गुजरने वाले एक दर्जन पंचायतों के हजारों राहगीरों की जान सांसत में रहती है। कब आकर कोई वाहन उपर से गुजर जाए इसका डर रहता है। इस मोड़ से गुजरने वाले वाहन चालक डरे सहमें रहते हैं कि अचानक विपरित दिशा से कोई तेज रफ्तार वाहन ना आ जाय। कई बार वाहन घरों में घुस जाते हैं। रात्रि के समय यह परेशानी और भी बढ़ जाती है। सड़कों पर तेज रफ्तार से दौड़ रहे हाइवा और बड़े वाहनों के कारण कोयला के चुर्ण उड़ते रहते हैं तो कुछ समय के लिए धुंध बना देते हैं। जिससे छोटे वाहनों को देखने में और वाहन चलाने में काफी परेशानी होती है।

सुरक्षा का नहीं रखा गया ख्याल

बंजी परेज तिराहा तो बना लेकिन सड़क सुरक्षा और ट्राफिक मानकों का कोई ख्याल नहीं रखा गया है। तिराहा पर दुर्घटना के संभावनाओं को कम करने को लेकर कहीं भी सड़क सुरक्षा को लेकर कोई, सावधानी बोर्ड संकेत बोर्ड नहीं लगाए गए हैं। गति सीमा और तीखा मोड़ के कोई सुरक्षा बोर्ड नहीं लगाए गए हैं। सड़क किनारे कोई रिफ्लेक्टर नहीं लगाए गए हैं। जबकि इन रास्तों से 24 घंटे भारी वाहनों हाइवा, ट्रेलर, 14 चक्का, जेसीब का ओवरलोड कोयला लेकर आवागमन लगा रहता है। भारी वाहनों के गति को देख छोटे वाहन घबरा जाते हैं और दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं।

रोड को सीधा करने की उठाते आए हैं मांग

कसमार बस्ती के ग्रामीण इसका विरोध करते आए हैं। सड़क को सीधा करने की मांग की गई है। दुर्घटना के दौरान बचने के क्रम में बाइक बस्ती के घरों में जा घुसता है। तीखा मोड़ पर ओवरलोड कोयला लेकर आने वाले हाइवा की रफ्तार इतनी होती है कि मोड़ पर कोयला गिरता जाता है। जिससे सड़क के कुछ हिस्से में कोयले का चुर्ण फैला रहता है। जिससे वह सड़क सकिर्ण हो गया है और छोटे वाहन ब्रेक लेने के दौरान स्किट कर घायल हो जाते हैं। ऐसे में बस्ती के लोग तेज आवाज सुनकर घरों से बाहर भागते हैं और घायलों की मदद करने में जुट जाते हैं।

संकेत बोर्ड, रिफ्लेक्टर और स्पीड ब्रेकर नहीं लगाए गए

एक तरफ सीसीएल की परेज पूर्वी उत्खनन परियोजना, दूसरी ओर केदला वाशरी, झारखंड उत्खनन परियोजना जैसी कंपनियों के सैकड़ों मालवाहक वाहनों का मुख्य मार्ग है। इस मार्ग से ज्यादातर हाइवा, ट्रेलर, 14 चक्का ट्रक, ट्रीप ट्रेलर जैसे भारी वाहनों का आवागमन है।

इन वाहनों से गिरने वाले कोयले चुर्ण बनकर जहां पर्यावरण को प्रदूषित कर रही है तो दूसरी ओर सड़कों को भी नुकसान पहुंचा रही है। जिससे सड़क से सटे गांव दुरु, कसमार, बंजी, बिरहोर टोला, करमटीया, तुरी टोला के ग्रामीणों को प्रदूषण की मार झेलना पड़ रहा है। जिला परिवहन विभाग अगर इसपर गंभीरता दिखाती है तो नियम उलंघन के मामले में कई वाहनें पकड़ी जाएंगी। दूसरी ओर सड़क निर्माण के समय से ही मोड़ पर दी जाने वाली सड़क सुरक्षा मानकों को नजर अंदाज किया गया। जिसके कारण आए दिन यहां दुर्घटना होती है और लोग घायल होते आ रहे हैं। अभी हाल के दिनों में कई दुर्घटना हुईं। जिसमें किसी की जान गई तो कोई गंभीर रुप से घायल होकर आज अस्पताल में पड़ा है। क्षेत्र के कई ऐसे टर्निंग, चौराहा और मोड़ हैं जहां सड़क सुरक्षा की दृष्टीकोण से संकेत बोर्ड, रिफ्लेक्टर और स्पीड ब्रेकर होना बेहद जरुरी है। यह कार्य सड़क निर्माण के दौरान ही हो जाने चाहिए थें और मानकों का ध्यान देना चाहिए था। अभी भी देर नहीं हुई है जल्द से जल्द उन सभी संवेदनशील जगहों पर तय मानकों के हिसाब से काम हो तो भविष्य की संभावनों को रोका जा सकेगा।

कसमार मोड़ जानलेवा हो चुका है। प्रशासन को चाहिए कि इसपर ध्यान दें रास्ता निकाले। जिससे दुर्घटना में जान गवांने वाली संभावनाओं को रोका जा सके और लोगों की जान बचेे। -एजाज अहमद

सीसीएल से चलने वाले भारी वाहनों के गति सीमा पर अंकुश लगे। ओवरलोड बंद हो गिरने वाले कोयले को रोका जाए। परिवहन विभाग और प्रशासन को अंकुश लगाने की जरुरत है। -उमेश राम

यहां दर्जनों दुर्घटनाओं हो चुकी है। जिसमें कई लोगों की जान भी जा चुकी है। हाल में वाहन और बाइक की टक्कर में तीन गंभीर रुप से घायल हो गए थें। बचाव के उपाय पर काम हो। -सूरज कुमार

कसमार मोड़ पर सुरक्षा मानकों का कोई ध्यान नहीं दिया गया है। यहां संकेत बोर्ड नहीं लगाए गए हैं। अंधा मोड़ है एक तरफ से आने वाले वाहन चालक को दूसरी ओर का पता नहीं चलता। गुड्डू राम

प्रशासन अगर इस तीखा मोड़ को सीधा कर दे तो आए दिन हो रहे दुर्घटनाओं को रोका जा सकेगा। मोड़ के दोनों तरफ ब्रेकर बनाकर तेज रफ्तार वाहनों की गति को रोका जा सकता है। बीना देवी

आए दिन होने वाले दुर्घटनाओं से हम ग्रामीण तंग आ चुके हैं। इतने वर्षो से यहां दुर्घटनाओं का सिलसिला लगा हुआ है। लेकिन प्रशासन इस ओर गंभीर नहीं दिखाई दे रही है। निशा देवी

प्रशासन विचार करे। तेज रफ्तार को कम करने की दिशा में कड़े फैसले लेने होंगे। जिससे सड़क की सुरक्षा बनी रहे और दुर्घटनाओं पर भी अंकुश लगाया जा सकेगा। -शांति कुमारी

स्पीड ब्रेकर की मांग किए थे, लेकिन स्पीड ब्रेकर नहीं बना और ना ही सड़क के घुमाव को कम किया गया। जिससे आए दिन यहां राहगीरों को सड़क दुर्घटना का शिकार होना पड़ रहा है। -अनिता देवी

बंजी परेज मोड़ और कसमार मोड़ में संकेत बोर्ड लगाना चाहिए ताकि दूर से ही इसकी जानकारी हो। दोनों मोड़ पर कोई बोर्ड नहीं लगाए गए हैं और ना ही रिफ्लेक्टर लगाए गए है। अनिल यादव

दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने को लेकर प्रशासन को गंभीरता दिखाना चाहिए। प्रशासन को परिवहन विभाग और सीसीएल को बोलकर यहां फिलहाल गति अवरोधक का निर्माण कराना चाहिए। -मो. नजीर

मोड़ पर दुर्घटना होने से हम लोगों को भी काफी परेशानी होती है। उपर से हाइवा से गिरने वाले कोयले के चुर्ण उड़कर हमारे घरों में आते हैं। जिससे हम ग्रामीण प्रदूषण में रहने को विवश हैं।-सीमा कुमारी

जिला प्रशासन-सीसीएल प्रबंधन से मांग है कि उक्त मोड़ को सुरक्षा के अनुकूल बनाया जाय। इसके साथ साथ ओवरलोड को बंद किया जाय ताकि इससे हो रहे प्रदूषण को रोका जा सके। -प्रदीप तुरी

एक समय था कि सड़कों के नाम पर बड़े बड़े गड्ढे थे। आज चरही और हजारीबाग जाने के लिए शानदार सड़क है। लेकिन सड़क निर्माण के दौरान तीखे मोड़, चौराहा, तिराहा और गति सीमा को लेकर कोई संकेत बोर्ड नहीं लगाए गए हैं। जिससे बाहर से आने वाले लोगों को भी काफी परेशानी का समाना करना पड़ता है।

-गिरिधारी महतो,मुखिया

बंजी परेज तिराहा और कसमार मोड़ वास्तव में सुरक्षा की दृष्टीकोण से पूर्णत: असुरक्षित हो गया है। यहां आए दिन दुर्घटना की खबर मिलती रहती है। जिसमें कई घरों के चिराग बुझ जाते हैं और कई गंभीर रुप से घायल होते हैं। ऐसे में इसके रोकथाम को लेकर सीसीएल और प्रशासन को पहल करनी होगी।

नागेश्वर प्रसाद,मुखिया

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