फोरलेन पर तीखे मोड़ व स्वनिर्मित कट हादसे को दे रहे आमंत्रण
कुजू क्षेत्र के रांची-पटना एनएच 33 पर कई खतरनाक मोड़ और ब्लैक स्पॉट हैं जहां अक्सर दुर्घटनाएं होती हैं। चालकों को सड़क की भौगोलिक जानकारी की कमी के कारण जान गंवानी पड़ती है। चेतावनी वाले बोर्ड और...

कुजू, निज प्रतिनिधि। कुजू क्षेत्र से होकर गुजरने वाले रांची-पटना एनएच 33 पर कई तीखे मोड़, घुमावदार सड़क के साथ ही कई एक ब्लैक स्पॉट वाली जगहों पर अक्सर दुर्घटनाएं होती रहती है। वहीं स्वनिर्मित कट भी आग में घी का काम कर रही है। ऐसे स्थानों से गुजरने के दौरान सभी प्रकार के वाहन चलाने वाले चालकों को चौकन्ना रहना पड़ता है। वहीं क्षेत्र से गुजरने वाले सड़क की भौगोलिक जानकारी के अभाव में कई दफा कई वाहनों के टकराने तो कई अवसरों पर अज्ञानता के कारण भीषण दुर्घटन में कई एक राहगीरों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। ऐसे में वाहन चालकों को सड़क के आगे की तीखा मोड़ या दुर्घटना संभावित क्षेत्र होने की जानकारी होनी चाहिए। इसके लिए चेतावनी भरे बोर्ड आवश्यक हैं।
कुजू क्षेत्र में बूढ़ाखाप चौराहा, पैंकी चौक, दिगवार ओवरब्रीज, बोंगावार जंक्शन, लोहागेट समेत श्रीराम चौक का इलाका दुर्घटना घटित होने वाले स्पॉट में से एक है। इन सभी स्थानों में लोहागेट, बोंगावार जंक्शन दिगवार ओवरब्रीज व पैंकी चौक के तीखे व घुमावदार मोड़ तो कई एक स्वनिर्मित कट के कारण अक्सर दुर्घटनाएं होती हैं। तेजगति से सरपट दौड़ते वाहनों के सामने एकाएक गलत लेन से वाहनों के आ जाने से हुई कई भीषण दुर्घटना में अब तक कई दर्जन लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। किसी भी स्थान पर न तो जिला प्रशासन और न ही एनएचएआई ने चेतावनी भरा बोर्ड अब तक नहीं लगाया है। इससे दुर्घटना की संभावनाएं नित दिन बलवती नजर आती है। वहीं हाईवे पर स्पीड ब्रेकर नहीं बनाए जाने के दिशा निर्देश भी तेजगति से वाहन चलाने वाले लोगों के लिए अनियंत्रित गति से वाहन चलाने में मददगार है। इससे दुर्घटना की स्थिति हर पल बनती रहती है। जबकि लोहागेट के पास की हाईवे पर उभरे गड्ढे व तीखे मोड़ के कारण कई दफा दुर्घटना का शिकार बन अपनी जान जोखिम में डाल लेते हैं तो कईयों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। इसे इलाके तीखे व घुमावदार सड़क के निकट निश्चित रूप से चेतावनी भरा बोर्ड लगया जाना चाहिए। साथ ही वाहनों विशेष रूप से दो पहिया व चार पहिया वाहनों के गति को नियंत्रित करने पर भी ध्यान देकर दुर्घटना की बनती स्थिति को कम किया जा सकती है। इसके लिए जिला प्रशासन समेत एनएचएआई को संजीदगी के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना पड़ेगा।
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