बोले रामगढ़:स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित, उम्मीदें अब भी जिंदा
दुलमी प्रखंड बनने के 16 साल बाद भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं बन सका है। इससे प्रखंड की 75 हजार की आबादी को इलाज के लिए रामगढ़ और रांची के अस्पताल

दुलमी। रामगढ़ प्रखंड से अलग कर 2009 में दुलमी को प्रखंड का दर्जा मिला था। उस समय क्षेत्र के लोगों में एक आस जगी थी कि अब हमलोगों के दिन बहुत जल्द बहुरंगे। क्षेत्र में बुनियादी सुविधाएं बहाल होगी। लेकिन 16 साल बाद भी क्षेत्र की हालात भी नहीं बदली है। आज भी लोग स्वास्थ्य सेवाओं के लिए तरस रहे हैं। अचानक बीमार पड़ने या दुर्घटना के शिकार लोगों को क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधा के अभाव में जान गंवानी पड़ती है। ऐसे लोगों के लिए प्राथमिक उपचार की भी व्यवस्था नहीं है, गंभीर बीमारी और दुर्घटनाग्रस्त लोगों का एक मात्र सहारा 108 एंबुलेंस है। इससे मरीजों की स्थिति बिगड़ने पर बेहतर इलाज के लिए सदर अस्पताल ले जाने का काम करता है।
इस प्रकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार के वादे खोखले साबित हो रहे हैं, यह एक गंभीर चिंता का विषय है। सरकार ने कई स्वास्थ्य योजनाएं और कार्यक्रम शुरू किए हैं, लेकिन वे जमीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू नहीं हो पाया हैं। राज्य और रामगढ़ जिले के संबंधित अधिकारियों का दुलमी में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनाने की ओर कभी गंभीर रवैया नहीं दिखा। रामगढ़ के ही किसी डॉक्टर को दुलमी का अतिरिक्त प्रभार दे दिया जाता है और वह कभी देखने तक नहीं आते हैं।
अगर राज्य व जिला के संबंधित अधिकारी चाहे तो प्रखंड में भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित हो सकता है। दुलमी क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाएं बहाल करने की गई मांग कागजों पर ही सिमटकर रह जाती है। कई बार लोगों को जागरूक करने और स्वास्थ्य सेवाएं बहाल के नाम पर रामगढ़ के डॉक्टरों द्वारा कैंप लगाया जाता है, लेकिन स्वास्थ्य योजनाएं व कार्यक्रम कागजों पर तो अच्छे दिखते हैं, लेकिन उनका कार्यन्वयन अधूरा होता है। स्वास्थ्य क्षेत्र में भ्रष्टाचार और बेईमानी भी एक बड़ी समस्या है, जिससे गरीब व वंचित लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है। क्षेत्र में चिकित्सा सुविधाओं का घोर अभाव है, जिससे लोगों को इलाज तक पहुंच पाना मुश्किल हो जाता है। प्रखंड में स्वास्थ्य सेवा के नाम पर तीन-चार उपस्वास्थ्य केंद्र संचालित है, जो एएनएम के भरोसे चल रहा है।
कई पंचायत में बना उपस्वास्थ्य केंद्र भवन जर्जर हो चुका है। एएनएम सिर्फ गर्भवती, धात्री, किशोरी और तीन से छह वर्ष के बच्चों का टीकाकरण करती हैं। दुलमी प्रखंड के जनप्रतिनिधि व ग्रामीण कई बार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र निर्माण की मांग कर चुके हैं और बीच-बीच में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित करने की मांग करते रहते हैं। लेकिन राज्य सरकार हर बार उनकी मांगों की अनदेखी कर सौतेला व्यवहार करती है। अगर दुलमी प्रखंड का विकास में कोई अवरोधक बना है तो वह क्षेत्र में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र न होना है।
हालांकि प्रखंड क्षेत्र की दुलमी, पोटमदगा, सीरू, सोसो, जमीरा, उसरा पंचायत में उप स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया है। इसमें एएनएम और सहिया दीदी द्वारा गर्भवती, धात्री, किशोरी व तीन वर्ष से छह वर्ष के बच्चों का टीकाकरण किया जाता है। लेकिन सिकनी, होन्हे पंचायत में कोई सुविधा नहीं है। इस कारण बच्चों के टीकाकरण में भी बहुत परेशानी झेलनी पड़ती है।
क्षेत्र के लोगों कहना है कि मौसमी बीमारियों और संक्रमण रोगों के इलाज के लिए भी रामगढ़ या रांची जाना पड़ता है। इससे हमलोगों का समय और पैसा बर्बाद होता है। इससे लोगों को आर्थिक बोझ बढ़ जाता है और कर्ज में फंस जाते हैं। इसलिए दुलमी प्रखंड क्षेत्र में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनना बहुत जरूरी है।
उपस्वास्थ्य केंद्रों पर सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने से मरीजों को परेशानी
उपस्वास्थ्य केंद्र पर आश्रित दुलमी प्रखंड की पूरी आबादी को उपस्वास्थ्य केंद्र में पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिलती है, पंचायत में चिकित्सा व्यवस्था बहाल करने का दावा करने वाले स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का दावा खोखला साबित हो रहा है। सिर्फ एएनएम के सहारे चलने वाले इस उपस्वास्थ्य केंद्र में विशेषज्ञ चिकित्सकों व आवश्यक उपकरणों के नहीं होने से मरीजों को उचित उपचार नहीं हो पा रहा है। इसलिए बाध्य होकर मरीजों कोे रामगढ़ या रांची ले जाना पड़ रहा है।
एएनएम के भरोसे है इचातु का उपस्वास्थ्य केंद्र, भवन भी जर्जर
इचातु पंचायत में लाखों रुपये की लागत से बना उप स्वास्थ्य केंद्र लगभग 12 वर्षों से जर्जर पड़ा हुआ है। कभी कभार सिर्फ एएनएम एक दो घंटे के लिए बैठती है। परंतु मरीज नहीं जाते हैं, उप स्वास्थ्य केंद्र भवन को बस्ती से बाहर बनाना भी बहुत बड़ा कारण है। अगर बस्ती में बनाया गया होता तो उपस्वास्थ्य केंद्र की देखरेख होता और मरीज भी जरूर पहुंचते। लेकिन बस्ती से बाहर आबादी से दूर उप स्वास्थ्य केंद्र बनाना गांव के लोगों को रास नहीं आया।
दुलमी के उपस्वास्थ्य केंद्र में नहीं हैं स्थायी चिकित्सक, उपकरणों की कमी
दुलमी प्रखंड के उप स्वास्थ्य केंद्रों में स्थायी चिकित्सकों का अभाव है । इससे वे मरीजों को उचित चिकित्सा सेवा प्रदान नहीं कर पाते हैं। उप स्वास्थ्य केंद्रों में आवश्यक उपकरण और कर्मचारी नहीं होते हैं, जिससे उनकी कार्यक्षमता कम हो जाती है। उपस्वास्थ्य केंद्रों में संसाधनों की कमी है। फंड के अभाव में सुविधा विहीन हो गया है। इससे मरीजों को काफी परेशानी होती है। उन्हें इलाज के लिए बाहर जाना पड़ता है।
नर्स के भरोसे है पूरी स्वास्थ्य सेवा
प्रखंड क्षेत्र की पूरी आबादी नर्सों के स्वास्थ्य सेवा के भरोसे चल रहा है। दुलमी क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं की जिम्मेदारी केवल नर्सो पर ही है, और अन्य स्वास्थ्य पेशेवर या सरकारी विभाग इस जिम्मेदारी में पर्याप्त रूप से शामिल नहीं है। राज्य बनने के बाद प्रखंड लगभग हर क्षेत्र में दो दशक में विकास कर रहा है। चाहे सरकार किसी की भी हो, लेकिन प्रखंड में स्वास्थ्य सेवा एक ऐसा सेवा है जो आजतक पटरी पर लौट नहीं पाया है। जहां प्रखंड मुख्यालय से लेकर ग्रामीण क्षेत्र में लोगों को औसत दर्जे की भी स्वास्थ्य सेवा नहीं मिल पा रही है। इसके कारण आज भी लोगों को इलाज के लिए दूसरे जगह जाना पड़ता है। कई क्षेत्र तो ऐसे भी हैं, जहां प्राथमिक चिकित्सा भी लोगों का नहीं हो पा रहा है। यहां सरकारी स्वास्थ्य सेवा पर से लोगों का विश्वास उठते जा रहा है।
स्वास्थ्य केंद्र में पर्याप्त सुविधा नहीं, मरीजों को बेहतर इलाज के िलए जाना पड़ता है रांची-रामगढ़
दुलमी प्रखंड में 16 साल बाद भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं बनना काफी दुखद है, इसके लिए नेता और जनप्रतिनिधि के भरोसे रहना बेकूफी है, इसके लिए आंदोलन की जरूरत है। -कार्तिक महतो, सीरू
दुलमी प्रखंड में सामुदायिक चिकित्सा केंद्र नहीं है। इस कारण क्षेत्र के लोगों को इलाज के लिए रामगढ़ और रांची जाना पड़ता है, जिससे लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है।
-राजेंद्र प्रसाद, इचातु
दुलमी में प्रखंड स्तरीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं होने के कारण क्षेत्र के बीमार लोगों को इलाज कराने के लिए निजी चिकित्सकों का सहारा लेना पड़ता है। इससे उन्हें परेशानी होती है। -संत बिलास करमाली, कोरचे
राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की लापरवाही का नतीजा है कि दुलमी प्रखंड में 16 साल बाद भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं बन सका है।
-नरेश साव, सोसो
किसी प्रखंड में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का अभाव वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण है, यह लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त करने से वंचित कर सकता है दूर दराज वालों को ज्यादा परेशानी होगी।- विश्वनाथ सिंह, कोरच
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लोगों को प्राथमिक और निवारक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करता है। इससे लोगों को सुविधाएं मिलती है। इसलिए प्रखंड में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र होना जरूरी है। -शैलेन्द्र चौधरी,लावालौंग े
बिना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लोग स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का जल्द से जल्द पता नहीं लगा पाएंगे और ठीक से इलाज नहीं करवा पाएंगे। इससे स्थिति गंभीर हो सकती है।
-प्रदीप कुमार, भालू
प्रखंड में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं होने से लोगों को काफी परेशानी हो रही है। बीमार पड़ने पर उन्हें इलाज के लिए ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ता है। इसलिए क्षेत्र में अस्पताल बने।
-उत्तम कुमार, सीरू
प्रखंड में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं होने से गरीबों और दूर दराज के लोगों को ज्यादा परेशानी होती है। बीमार पड़ने पर इलाज के लिए रांची या रामगढ़ जाना पड़ता है। -रमेश रजक, जामसिंग
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं होने से लोगों को आर्थिक रूप से नुकसान उठाना पड़ता है। इसलिए किसी भी प्रखंड में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र होना जरूरी है, ताकि लोगों को इसका लाभ मिले। - सुदर्शन महतो, होन्
दुलमी प्रखंड में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं होने से स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिलती है, क्षेत्र की विभिन्न पंचायतों के हजारों मरीज इलाज कराने के लिए रामगढ़ और रांची जाने को विवश हैं।
-जितेंद्र कुमार, पोटमदगाहे
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