36th Annual Padhha Jatra Festival Celebrated in Bedo with Traditional Cultural Events बेड़ो के बारीडीह जतरा बागीचा में 36वां वार्षिक पड़हा जतरा समारोह आयोजित, Ranchi Hindi News - Hindustan
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बेड़ो के बारीडीह जतरा बागीचा में 36वां वार्षिक पड़हा जतरा समारोह आयोजित

बेड़ो के बारीडीह जतरा बागीचा में 36वां वार्षिक पड़हा जतरा समारोह आयोजित किया गया। समारोह में पारंपरिक वेशभूषा, शोभायात्रा और नृत्य दल शामिल थे। कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि पड़हा व्यवस्था...

Newswrap हिन्दुस्तान, रांचीTue, 3 June 2025 09:07 PM
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बेड़ो के बारीडीह जतरा बागीचा में 36वां वार्षिक पड़हा जतरा समारोह आयोजित

बेड़ो, प्रतिनिधि। प्रखंड से दो किमी दूर बेड़ो के बारीडीह जतरा बागीचा में सोमवार को 36वां वार्षिक पड़हा जतरा समारोह का आयोजन केंद्रीय पड़हा संचालन समिति द्वारा किया गया। इस दौरान संरक्षक डॉ दिवाकर मिंज और नीलमणि भगत और अध्यक्ष जुगेश उरांव के नेतृत्व में पड़हा क्षेत्र के लोगों ने पारंपरिक वेशभूषा, पड़हा के प्रतीक चिह्न लकड़ी से बने घोड़े, हाथी, तेंगरा छाता और खोड़हा नृत्य दल के साथ शोभायात्रा निकाली। पड़हा राजा और पड़हा व्यवस्था के अगुवा को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया। समारोह मेंमुख्य अतिथि कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि पड़हा व्यवस्था हमारी सामाजिक सांस्कृतिक पहचान है।

हमें एकजुट होकर इसके महत्व को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए आगे आना होगा। वहीं पड़हा संरक्षक शिक्षाविद् डॉ दिवाकर मिंज ने कहा कि जब तक हम आदिवासी हैं तबतक हमारी संस्कृति और परंपरा कायम रहेगी। वहीं मुख्य संरक्षक नीलमणि भगत ने कहा कि हमें हमारी परंपरा, संस्कृति और भाषा को बचाए रखने में ही हमारी पहचान है। अध्यक्ष सह सांसद प्रतिनिधि जुगेश उरांव ने कहा कि जतरा हमारी संस्कृति और समाज की धरोहर है। समारोह में 21 पड़हा राजा महादेव कुजूर, 12 पड़हा राजा विशाल उरांव, प्रो सोमरा उरांव, एतवा उरांव, भौवा उरांव, जगरनाथ उरांव समेत कई लोगों ने अपने विचार रखे। सभा के पूर्व पड़हा जतरा के संस्थापक सह पूर्व विधायक स्व. विश्वनाथ भगत को दो मिनट मौन धारण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। समारोह का संचालन विश्वनाथ गोप, चरवा उरांव और धन्यवाद ज्ञापन विश्राम कुजूर ने किया। पड़हा जतरा को सफल बनाने में चरवा उरांव विश्वनाथ गोप, पीटर तिर्की, बंधना उरांव, तेम्बू उरांव, विश्राम भगत, रसीद मीर, सरवन खान, जिंगुवा भगत सुका उरांव, घिनू उरांव, चरवा उरांव, पीटर तिर्की, चरवा उरांव, गोपाल उरांव, खद्दी उरांव, नीलू मुंडा, मंजू धान, पंचमी उरांव और शीला उरांव समेत दर्जनों ग्रामीणों ने सराहनीय योगदान दिया।

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