सीयूजे का दक्षिण कोरिया के चार विश्वविद्यालयों संग करार
केंद्रीय विश्वविद्यालय, झारखंड (सीयूजे) के कुलपति प्रो क्षिति भूषण दास ने दक्षिण कोरिया और जापान के दौरे से लौटकर चार विश्वविद्यालयों के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए। ये समझौते शैक्षणिक आदान-प्रदान और...

रांची, विशेष संवाददाता। केंद्रीय विश्वविद्यालय, झारखंड (सीयूजे) के कुलपति प्रो क्षिति भूषण दास दक्षिण कोरिया और जापान के 12 दिवसीय दौरे से लौट आए हैं। उन्होंने दक्षिण कोरिया के चार विश्वविद्यालयों के साथ एमओयू पर सहमति बनाई। प्रो दास ने बताया कि सीयूजे एशिया के समृद्ध और साझा विरासत वाले देशों के विश्वविद्यालयों के साथ एमओयू कर रहा है, ताकि दोनों देश और करीब आएं और झारखंड जैसे विकास के राह पर अग्रसर राज्य के विद्यार्थियों को विश्वस्तरीय शिक्षा दी जा सके। इस एमओयू के तहत दक्षिण कोरिया के चार विश्वविद्यालयों व सीयूजे के बीच शैक्षणिक आदान-प्रदान पर सहमति बनी है।
इनमें हांकुक विदेशी अध्ययन विश्वविद्यालय के साथ पिछले पांच साल से चले आ रहे एमओयू को अगले पांच वर्ष (2025 -2030), तक के लिए विस्तारित करने पर सहमति बनी। साथ ही, हांकुक विश्वविद्यालय में कोरियाई भाषा और हिंदी के अलावा अन्य विषयों, विशेषकर- मैनेजमेंट, कंप्यूटर साइंस व सोशल साइंस, में साझा अकादमिक कार्यक्रम चलाने पर भी सहमति बनी। इसके अलावा सैमसंग ग्लोबल एक्सपर्ट्स हिंदी लैंग्वेज एंड इंडियन कल्चर ट्रेनिंग प्रोग्राम को और आगे बढ़ाने के लिए सहमति बनी। इस सहमति के तहत इस वर्ष अगस्त में सैमसंग के 12 कर्मचारी सीयूजे आकर भारतीय इतिहास, संस्कृति और विरासत को समझेंगे और टेंडम कक्षा में हिंदी भी सीखेंगे। बुसान विदेशी अध्ययन विश्वविद्यालय, के साथ भी पिछले वर्ष किए गए एमओयू को आगे बढ़ाने पर सहमति बनी है। इसके अनुसार दोनों विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को इंटर्नशिप और औद्यागिक प्रशिक्षण में सहयोग किया जाएगा। साथ ही, सामाजिक विज्ञान, मैनेजमेंट और जनसंचार में साझा अकादमिक कार्यक्रम विद्यार्थियों के लिए चलाए जाएंगे। क्वाग्वोन विश्वविद्यालय, के साथ भी एमओयू पर सहमति बनी और दोनों विश्वविद्यालय के सिविल इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग व जनसंचार विभाग कुछ दिनों में साझा अकादमिक गतिविधियों की शुरुआत करेंगे। दोंगुक विश्वविद्यालय, के साथ भी जल्द ही अकादमिक गतिविधि की शुरुआत पर सहमति बनी। सीयूजे के कुलपति ने हांकुक विदेशी अध्ययन विश्वविद्यालय में सात विद्यार्थियों को हिंदी भाषण प्रतियोगिता में अच्छे प्रदर्शन के लिए प्रमाण पत्र दिया। कुलपति कोरिया में कार्य कर रहे भारतीयों से भी मिले जिनका नेतृत्व डॉ नागेंद्र कौशिक ने किया। कुलपति ने हांकुक विदेशी अध्ययन विश्वविद्यालय, बुसान विदेशी अध्ययन विश्वविद्यालय (दक्षिण कोरिया), में व्याख्यान दिया। जापान दौरे में सीयूजे के कुलपति ने रितसुमेकन एशिया पेसिफिक यूनिवर्सिटी, जापान में व्याख्यान दिया। अपने व्याख्यान में प्रो दास ने कहा कि भारत जिस प्रकार से आर्थिक अकादमिक उन्नति कर रहा है, कोरियाई और जापानी छात्रों के लिए यह आवश्यक है कि वे भारत का अध्ययन करें, ताकि आनेवाले दिनों में वे भारत, कोरिया और जापान के आर्थिक, सामाजिक, अकादमिक व सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ाने में प्रभावी हों। उन्होंने विद्यार्थियों को भगवतगीता और विवेकानंद से सीखने की प्रेरणा दी। उन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा का वर्णन करते हुए भारत के दर्शन, गणितीय ज्ञान, आयुर्वेद की पद्धति, विज्ञान की प्राचीन समझ, भाषा के क्षेत्र में किए गए अद्वितीय कार्यों की जानकारी भी दी। इसके अलावा भारत के सहयोगी के तौर पर जापान के कार्यों को सराहा। प्रो दास ने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव पर पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में भारत का पक्ष रखा। उन्होंने कहा यह कहना बिलकुल गलत है की भारत और पाकिस्तान में युद्ध चल रहा है, बल्कि सच्चाई यह है कि भारत और आतंकवाद व आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों के बीच लड़ाई हो रही। भारत युद्ध नहीं चाहता, बल्कि आतंकवाद और उसके सरगना का सफाया ही भारत का मूल मंत्र है। उन्होंने कहा कि भारत का बढ़ता हुआ आर्थिक कद इस बात का संकेत है कि आनेवाले दिनों में विदेशी छात्रों के लिए अपार संभावनाएं हैं और उन्हें आगे बढ़कर इसका फायदा उठाना चाहिए।
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