मुहर्रम से पहले ऐसी एसओपी पेश करें, जिससे जुलूस में बिजली न कटे : हाईकोर्ट
रांची उच्च न्यायालय ने त्योहारों के दौरान बिजली कटौती के मामले में सरकार को मुहर्रम से पहले स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) पेश करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि बिजली आपूर्ति आवश्यक सेवा...

रांची, विशेष संवाददाता। त्योहारों में बिजली कटौती पर स्वत: संज्ञान के मामले की बुधवार को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सरकार को मुहर्रम से पहले स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रोशन की अदालत ने सरकार को एक ऐसा एसओपी बनाने का निर्देश दिया है, जिससे जुलूस के दौरान भी बिजली व्यवस्था बाधित न हो। अगले सप्ताह इस मामले की फिर सुनवाई होगी। सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश से हाईकोर्ट को अवगत कराया। अदालत ने उसे रिकार्ड पर लाने का निर्देश दिया है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सरकार की अपील को निष्पादित कर दिया है।
एक अप्रैल को हाईकोर्ट ने लिया था स्वत: संज्ञान
हाईकोर्ट ने एक अप्रैल को सरहुल जुलूस के दौरान पांच से दस घंटे तक बिजली काटे जाने पर तीन अप्रैल को स्वत: संज्ञान लिया था। अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि बिजली आपूर्ति एक ज़रूरी सेवा है। गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है, ऐसे में जेबीवीएनएल के द्वारा बिजली आपूर्ति बंद किए जाने से शहर के लोगों पर ज्यादा असर पड़ता है। बुजुर्गों, बीमार लोगों, बच्चों, गर्भवती महिलाओं और परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों पर ज्यादा असर पड़ता है। बिजली नहीं रहने से व्यापारिक प्रतिष्ठान भी बंद हो जाते हैं। इससे राजस्व का नुकसान होता है। निजी और सरकारी अस्पताल भी इससे प्रभावित होते हैं।
महाधिवक्ता ने पलामू की घटना की दी थी जानकारी
महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत को बताया था कि सरहुल, रामनवमी और मोहर्रम जैसे त्योहारों में बड़े-बड़े बांस में झंडा लेकर लोग चलते हैं। बिजली के तारों से संपर्क होने पर दुर्घटना न हो, इस कारण ही बिजली काटी जाती है। वर्ष 2000 में पलामू में ऐसी ही घटना हुई थी, जिसमें 29 लोगों की मौत हो गई थी। इस कारण त्योहार पर बिजली काटी जाती है।
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