सोशल मीडिया पर पिक्चर परफेक्ट चेहरों को देख ना खोएं अपना कॉन्फिडेंस, स्किन को समझना क्यों है जरूरी
पिछले कुछ सालों में सोशल मीडिया ने पिक्चर परफेक्ट त्वचा पाने का दबाव हर किसी पर बढ़ा दिया है। यह दबाव जाने-अनजाने त्वचा को लेकर असुरक्षा के भाव को बढ़ा रहा है। कैसे त्वचा को लेकर इस असुरक्षा के भाव से उबरें, बता रही हैं शाश्वती

लोगों की असली त्वचा अब दिखती ही नहीं। फोटो से लेकर वीडियो तक में हर किसी की त्वचा पिक्चर परफेक्ट ही दिखती है। पर, असलियत यह तो है नहीं। एक्ने, ब्लैकहेड्स और असमान रंगत जैसी समस्याएं आज भी सबको उतनी ही परेशान करती हैं, जितनी तब करती थीं, जब सोशल मीडिया हमारी जिंदगी में इतना ज्यादा हावी नहीं हुआ था। नतीजा, स्क्रीन पर दूसरों की पिक्चर परफेक्ट त्वचा देखकर त्वचा को लेकर असुरक्षा के भाव में लगातार डूबते रहना।
असुरक्षा का भाव हममें से अधिकांश लोगों की जीवनशैली का हिस्सा बन चुका है। त्वचा को लेकर असुरक्षा का भाव पिछले कुछ समय में तेजी से बढ़ा है और हमें सिर्फ अपनी त्वचा की रंगत को लेकर हीन भाव नहीं हो रहा। दूसरों की चमकती, बेदाग त्वचा भी हमें कमतर महसूस करवा जाती है। युनाइटेड किंगडम में हुए एक अध्ययन में पाया गया कि कोरियन स्किन ग्लास के ट्रेंड ने वहां के 77 प्रतिशत युवाओं पर बेदाग त्वचा पाने के दबाव को बढ़ा दिया है। वहीं 85 प्रतिशत मिलेनियल्स यह दबाव महसूस करते हैं। जेन जी यानी साल 1997 से 2012 के बीच जन्मी पीढ़ी में से 93 प्रतिशत परफेक्ट त्वचा पाने का दबाव खुद पर महसूस करते हैं। खास बात यह है कि गर्मी का मौसम बढ़ते ही परफेक्ट त्वचा पाने का यह दबाव भी लोग ज्यादा महसूस करने लगते हैं और यह दबाव उनके तनाव और एंग्जाइटी को धीरे-धीरे बढ़ाता चला जाता है। शोध में शामिल 38 प्रतिशत लोगों ने माना कि वे अकसर अपनी त्वचा के बारे में सोचते हैं, वहीं 53 प्रतिशत लोग अपनी त्वचा से जुड़ी समस्या के कारण चिंतित रहते हैं। शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में माना कि इंस्टाग्राम, टिक टॉक और यूट्यूब नेे ग्लास स्किन जैसे ट्रेंड को बढ़ावा तो दे दिया है, पर अधिकांश लोगों के लिए त्वचा से जुड़े इस लक्ष्य को हासिल कर पाना संभव ही नहीं है। इस बात को याद रखें कि अगर आपके चेहरे पर एक्ने या कोई और समस्या है, तो ये दाग-धब्बे न आपकी पहचान हैं और न बन सकते हैं। अपनी त्वचा की खामी को हमेशा मेकअप की मदद से छुपाने की कोशिश करते रहने से बेहतर होगा कि आप त्वचा को लेकर असुरक्षा के इन भावों से निपटने का अपना प्रभावी तरीका विकसित करें।
अपनाएं ये बातें
1) सोशल मीडिया पर जो दिखाया जाता है, वह असली तसवीर नहीं होतीं। उनमें भरपूर मात्रा में तरह-तरह के फिल्टर का इस्तेमाल किया जाता है। कई तरह के लाइटिंग इफेक्ट्स का इस्तेमाल किया जाता है। चेहरे की बनावट को भी एडिटिंग के माध्यम से बदला जाता है। सैकड़ों फोटो खींचने के बाद कोई एक फोटो सोशल मीडिया पर डाली जाती है। तो जो दिख रहा है, वह सच भी हो यह जरूरी नहीं है। फिल्मी कलाकारों की मेकअप वाली और बिना मेकअप वाली तसवीर में तुलना करके ही आप समझ जाएंगी कि जो सोशल मीडिया दिखा रहा है, वह सच नहीं है।
2) यह बहुत जरूरी है कि आप त्वचा से जुड़ी अपनी समस्या को समझें। आपको एक्ने, एग्जीमा, पिग्मेंटेशन या दाग-धब्बे हैं, तो वह किस कारण से हैं और उनसे छुटकारा पाने के लिए आप क्या कर सकती हैं। अपनी त्वचा की समस्या से छुटकारा पाने के लिए जो जरूरी है, डॉक्टरी परामर्श के मुताबिक वह जरूर करें।
3) आप स्किन केयर और मेकअप की मदद से चेहरे के ऊपर क्या-क्या लगाती हैं, उससे ज्यादा जरूरी है कि आप क्या खाती हैं। त्वचा की सेहत आपके खानपान, जीवनशैली और पर्याप्त नींद पर निर्भर करती है। अगर आप नियमित रूप से इन चीजों का ध्यान रखेंगी, तो पाएंगी कि आपकी त्वचा भीतर से भी सेहतमंद रहेगी, जिसका असर बाहर भी नजर आएगा।
4) किसी कारणवश अगर आपकी त्वचा पर कोई निशान, बड़े-बड़े रोमछिद्र या फिर कोई और समस्या है, तो इस बात को समझिए और स्वीकारिए कि आपकी सीरत का महत्व आपके सूरत से ज्यादा है। खुद को अहमियत देना शुरू कीजिए और अपने लुक को अपनी पहचान बनाना बंद कीजिए। इस बात को समझिए और स्वीकारिए कि अंदर से खूबसूरत होना जरूरी है। थोड़ा-बहुत मेकअप करने में कोई बुराई नहीं, पर उसे सजा के रूप में लेने की जरूरत नहीं।
5) आप जैसी हैं, खुद को उस रूप में स्वीकार करना शुरू कीजिए। आप जैसा महसूस करती हैं, उस बारे में अपने दोस्तों से बात कीजिए। मन की बात किसी से साझा करने से किसी भी परेशानी से उबरने में मदद मिलती है।
6) अगर अपनी त्वचा को लेकर आपके मन में बहुत ज्यादा असुरक्षा का भाव आ गया है और उस वजह से आप एंग्जाइटी और अवसाद के चक्र में फंस गई हैं, तो बेहतर होगा कि काउंसलर के पास जाएं ताकि नकारात्मक सोच के कुचक्र से आप बाहर निकल सकें।
7) खूबसूरती की अपनी परिभाषा पर विश्वास करना शुरू करें। तभी लोग आपकी त्वचा पर नहीं, बल्कि आपके व्यक्तित्व पर गौर करना शुरू करेंगे।
(मनोविशेषज्ञ डॉ. गगनदीप कौर से बातचीत पर आधारित)
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