मंत्री के बेटे के अस्पताल में भी काम कर चुका है डॉक्टर केम, फर्जी पत्नी-बेटा बनाए; MD एग्जाम में हुआ फेल
मध्यप्रदेश के दमोह में मिशनरी अस्पताल में सात मरीजों की मौत के बाद जिस फर्जी डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव को पकड़ा गया है उसके पास दो पोस्टग्रेजुएट डिग्रियां थीं, जो दोनों फर्जी हैं। पुलिस ने पुष्टि की है कि उसकी दो मास्टर्स डिग्रियां फर्जी हैं।

मध्यप्रदेश के दमोह में मिशनरी अस्पताल में सात मरीजों की मौत के बाद जिस फर्जी डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव को पकड़ा गया है उसके पास दो पोस्टग्रेजुएट डिग्रियां थीं, जो दोनों फर्जी हैं। आरोपी डॉ. ने सात राज्यों के प्रतिष्ठित अस्पतालों में काम किया, जिनमें मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह के बेटे द्वारा नरसिंहपुर में चलाए जाने वाला एक अस्पताल भी शामिल है। हालांकि उसके पास मौजूद एमबीबीएस डिग्री सही है।
फर्जी पत्नी-बेटा बनाए
पुलिस ने पुष्टि की है कि उसकी दो मास्टर्स डिग्रियां फर्जी हैं और अब वे उसके चार विदेशी सर्टिफिकेट कोर्स के दावे को प्रमाणित करने की कोशि कर रहे हैं। उन्होंने यह भी पुष्टि की है कि कई सालों से वह लोगों के साथ धोखाधड़ी भी कर रहा था। इस दौरान उसने हैदराबाद में भर्ती रैकेट में आपराधिक कार्यवाही से बचने के लिए फर्जी पत्नी और बेटा पेश किया। ब्रिटेन के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. एन जॉन कैम का नाम अपनाने वाले यादव का पर्दाफाश तब हुआ जब उसने सात मरीजों का ऑपरेशन किया, जिनकी मौत हो गई।
7 अप्रैल को शिकायत दर्ज
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य प्रियांक कानूनगो ने 4 अप्रैल को सोशल मीडिया पर कहा कि दमोह के मिशन अस्पताल में एक झोलाछाप डॉक्टर द्वारा इलाज किए जाने के बाद सात लोगों की मौत हो गई। दमोह निवासी किशन पटेल और जिला बाल कल्याण समिति के सदस्य दीपक तिवारी की शिकायत के बाद दमोह के जिला कलेक्टर सुधीर कोचर ने तीन लोगों की एक समिति बनाई, जिसके निष्कर्षों के आधार पर पुलिस ने 7 अप्रैल को यादव के खिलाफ शिकायत दर्ज की।
कई धाराओं में केस दर्ज
दमोह के एसपी श्रुतकीर्ति सोमवंशी ने कहा कि एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी के बाद कुछ मरीजों की मौत के लिए उसे जिम्मेदार ठहराया गया था। लेकिन तब तक यादव गायब हो चुका था। मिशन अस्पताल की मैनेजर पुष्पा खरे ने पिछले हफ्ते पुलिस को बताया कि यादव ने फरवरी की शुरुआत में गायब होने से पहले अस्पताल से ईसीजी मशीन चुराई थी। खरे ने बताया कि यादव की नियुक्ति 1 जनवरी को हुई थी। उसके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 318, 338, 336, 340 (2) और एमपी आयुर्वेदिक परिषद अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
यूपी से गिरफ्तार
यादव को सोमवार को यूपी के प्रयागराज में एक चिकन बेचने वाले की मदद से गिरफ्तार किया गया। एक पुलिस अधिकारी ने बताया, "जब दमोह पुलिस की टीम डॉक्टर को गिरफ्तार करने प्रयागराज पहुंची, तो उसका फोन नंबर बंद था, लेकिन एक चिकन विक्रेता, जिससे यादव ने अपना मोबाइल फोन बंद करने से पहले बात की थी, ने पुलिस को एक आवासीय टाउनशिप की इमारत में उसे ढूंढने में मदद की।" यादव को अदालत में पेश किया गया और अदालत ने उसे पांच दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया, जो रविवार को पूरी होगी।
बंगाल से एमबीबीएस की पढ़ाई
कानपुर के हरजेंद्र नगर में जन्मे और पले-बढ़े 47 साल के नरेंद्र विक्रमादित्य यादव ने 1991 में अखिल भारतीय चिकित्सा प्रवेश परीक्षा पास की। उसने दार्जिलिंग के नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की और 1996 में स्नातक की डिग्री ली। दो साल तक उसने एमडी प्रवेश परीक्षा की तैयारी की, लेकिन वह इसमें सफल नहीं हो पाया। एसपी सोमवंशी ने कहा, "हमारे पास उसकी एमबीबीएस डिग्री की पुष्टि है, लेकिन हमने मेडिकल कॉलेज से लिखित में मांगा है, जो अभी तक नहीं मिला है।"
मंत्री के बेटे के अस्पताल में किया काम
यादव 2022 में एमपी आया और स्कूल शिक्षा और परिवहन मंत्री राव उदय प्रताप सिंह के बेटे द्वारा नरसिंहपुर में चलाए जाने वाले लक्ष्मी नारायण मेमोरियल अस्पताल में काम करने लगा। अस्पताल के प्रबंधक अंशुल सिंह राजपूत ने बताया कि यादव ने अचानक नौकरी छोड़ने से पहले दो महीने से भी कम समय तक वहां काम किया।
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