MP High Court Said Unnatural sex against wife will is cruelty but marital rape is not a punishable offence under current 'पत्नी की मर्जी के खिलाफ अननैचुरल सेक्स क्रूरता, लेकिन…'; मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का क्या फैसला, Madhya-pradesh Hindi News - Hindustan
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'पत्नी की मर्जी के खिलाफ अननैचुरल सेक्स क्रूरता, लेकिन…'; मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का क्या फैसला

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने हाल ही में एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि पत्नी अननैचुरल सेक्स के लिए फोर्स करना, शीरिरीक तौर पर प्रताड़ित करना और उसके साथ क्रूरता करना आईपीसी की धारा 498 ए के तहत अपराध है।

Aditi Sharma लाइव हिन्दुस्तान, ग्वालियरFri, 30 May 2025 01:13 PM
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'पत्नी की मर्जी के खिलाफ अननैचुरल सेक्स क्रूरता, लेकिन…'; मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का क्या फैसला

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने हाल ही में एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि पत्नी अननैचुरल सेक्स के लिए फोर्स करना, शीरिरीक तौर पर प्रताड़ित करना और उसके साथ क्रूरता करना आईपीसी की धारा 498 ए के तहत अपराध है। हालांकि ये भी साफ किया कि सेक्शन 377 और 376 के तहत पति के खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया जा सकता क्योंकि मैरिट रेप भारतीय कानून के तहत दंडनीय अपराध नहीं है।

पति के खिलाफ एफआईआर बरकरार

इसी के साथ कोर्ट ने पति के खिलाफ महिला की तरफ से दर्ज कराई गई एफआईआर को भी बरकरार रखा है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस ने पति पर धारा 377 (अप्राकृतिक अपराध), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) और 498 ए (पति या रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता) के तहत आरोप लगाए थे। पति ने एफआईआर को चुनौती देते हुए कहा कि त्नी के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाना भारतीय कानून के तहत अपराध नहीं है। पति ने यह भी दावा किया कि धारा 498 ए लागू नहीं होनी चाहिए, क्योंकि शिकायत में दहेज से संबंधित कोई आरोप शामिल नहीं था।

वहीं इस पर फैसला सुनाते हुए ग्वालियर बेंच के जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने अपने आदेश में कहा कि पत्नी के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाना आईपीसी की धारा 376 या 377 के तहत अपराध नहीं है, लेकिन अगर इसमें हिंसा और शारीरिक दुर्व्यवहार शामिल हो तो यह क्रूरता माना जा सकता है।

‘दहेज की मांग क्रूरता के लिए अनिवार्य शर्त नहीं’

कोर्ट ने कहा, पत्नी की इच्छा के खिलाफ और उसके विरोध करने पर उसके साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाना, उसके साथ मारपीट करना और शारीरिक क्रूरता से पेश आना निश्चित रूप से क्रूरता की परिभाषा में आएगा। यहां यह साफ करना भी गलत नहीं होगा कि दहेज की मांग क्रूरता के लिए अनिवार्य शर्त नहीं है।

आदेश में आगे बताया गया कि, आईपीसी की धारा 498ए को सरलता से पढ़ने से यह स्पष्ट है कि कोई भी जानबूझकर किया गया आचरण जो इस तरह का हो कि महिला को आत्महत्या करने के लिए प्रेरित करे या महिला के जीवन, अंग या स्वास्थ्य को गंभीर चोट या खतरा पहुंचाए, चाहे वह मानसिक हो या शारीरिक, क्रूरता के दायरे में आएगा।

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