Neha Singh Rathore Madhya Pradesh High Court Sidhi urination case RSS Khaki shorts in cartoon नेहा सिंह राठौर को MP हाईकोर्ट से झटका, FIR रद्द करने से इनकार; RSS के खाकी निक्कर से जुड़ा है मामला, Madhya-pradesh Hindi News - Hindustan
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नेहा सिंह राठौर को MP हाईकोर्ट से झटका, FIR रद्द करने से इनकार; RSS के खाकी निक्कर से जुड़ा है मामला

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से 'यूपी बिहार में का बा' वाले गाने से चर्चा में आईं सिंगर नेहा सिंह राठौर को झटका लगा है। हाईकोर्ट ने नेहा सिंह के खिलाफ दर्ज एक आपराधिक मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया है।

Praveen Sharma भोपाल। लाइव हिन्दुस्तान, Sat, 8 June 2024 02:20 PM
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नेहा सिंह राठौर को MP हाईकोर्ट से झटका, FIR रद्द करने से इनकार; RSS के खाकी निक्कर से जुड़ा है मामला

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से 'यूपी बिहार में का बा' वाले गाने से चर्चा में आईं भोजपुरी सिंगर नेहा सिंह राठौर को झटका लगा है। हाईकोर्ट ने नेहा सिंह के खिलाफ दर्ज उस आपराधिक मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया, जिसमें सीधी में एक व्यक्ति एक आदिवासी मजदूर पर पेशाब करते हुए दिखाई दे रहा था। अदालत ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी का मौलिक अधिकार पूर्ण अधिकार नहीं है, बल्कि इस पर उचित प्रतिबंध हैं। 

जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया ने पूछा कि नेहा सिंह राठौर ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए कार्टून में आरएसएस के खाकी निक्कर का जिक्र करते हुए एक “विशेष विचारधारा” की पोशाक क्यों जोड़ी, जबकि आदिवासी व्यक्ति के ऊपर पेशाब करने के आरोपी व्यक्ति ने वह पोशाक नहीं पहनी थी।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, हाईकोर्ट ने कहा, “चूंकि याचिकाकर्ता (नेहा) द्वारा अपने ट्विटर और इंस्टाग्राम पर अपलोड किया गया कार्टून उस घटना के अनुरूप नहीं था, जो घटित हुई थी। आवेदक द्वारा अपनी मर्जी से कुछ अतिरिक्त चीजें जोड़ी गई थीं। इसलिए यह अदालत इस बात पर विचार कर रही है कि यह नहीं कहा जा सकता कि आवेदक ने अभिव्यक्ति की आजादी के अपने मौलिक अधिकार का प्रयोग करते हुए कार्टून अपलोड किया था।” 

जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया ने कहा कि हालांकि एक कलाकार को व्यंग्य के माध्यम से आलोचना करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए, लेकिन कार्टून में किसी विशेष पोशाक को जोड़ना व्यंग्य नहीं कहा जा सकता है। अदालत ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी का मौलिक अधिकार पूर्ण अधिकार नहीं है, बल्कि इस पर उचित प्रतिबंध हैं। 

कलाकार को व्यंग्य के माध्यम से आलोचना करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए

उन्होंने कहा, “हालांकि एक कलाकार को व्यंग्य के माध्यम से आलोचना करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए, लेकिन कार्टून में किसी विशेष पोशाक को जोड़ना व्यंग्य नहीं कहा जा सकता है। आवेदक का प्रयास बिना किसी आधार के किसी विशेष विचारधारा के समूह को शामिल करना था। इसलिए, यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के दायरे में नहीं आता है। यहां तक ​​कि व्यंग्यात्मक अभिव्यक्ति भी भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(2) के तहत प्रतिबंधित हो सकती है।”

नेहा पर पिछले साल दर्ज हुआ था मुकदमा

बता दें कि, लोक गायिका नेहा सिंह पर पिछले साल आईपीसी की धारा 153 ए (जाति, धर्म  जन्म स्थान, निवास के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी, जब उन्होंने एक कार्टून पोस्ट किया था जिसमें एक व्यक्ति को अर्धनग्न अवस्था में फर्श पर बैठे दूसरे व्यक्ति पर पेशाब करते हुए दिखाया गया था।

कार्टून में खाकी रंग का निक्कर भी जमीन पर पड़ा हुआ दिखाया गया था। यह आरोपी प्रवेश शुक्ला के राजनीतिक झुकाव को दर्शाता है, जो कथित तौर पर भाजपा का कार्यकर्ता था।

नेहा सिंह राठौर के वकील अरुबेन्द्र सिंह परिहार ने हाईकोर्ट से एफआईआर को रद्द करने की मांग करते हुए तर्क दिया कि आईपीसी की धारा 153 ए के तहत उन पर कोई अपराध नहीं बनता है। हालांकि, सरकारी वकील मोहन सौसरकर ने इस दलील का विरोध किया और तर्क दिया कि इस घटना से तनाव बढ़ा है और प्रवेश शुक्ला के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगाया जाना चाहिए।

15 मई के आदेश में, अदालत ने दर्ज किया कि नेहा सिंह राठौर के वकील से यह स्पष्ट करने के लिए कहा था कि क्या शुक्ला ने वही पोशाक पहनी हुई थी जो कार्टून में दिखाई गई थी।

हाईकोर्ट ने कहा, "आवेदक के वकील ने यह स्वीकार किया कि आवेदक द्वारा अपलोड किया गया कार्टून वास्तविक घटना के अनुरूप नहीं था और इसमें कुछ ऐसी पोशाक शामिल की गई थी, जो घटना के समय आरोपी ने नहीं पहनी थी।"

कोर्ट ने कहा कि कार्टून में नेहा सिंह राठौर द्वारा विशेष पोशाक क्यों जोड़ी गई, इस सवाल का निर्णय मुकदमे में किया जाना है। कोर्ट ने कहा, "विशेष पोशाक जोड़ना इस बात का संकेत था कि आवेदक यह बताना चाहती थीं कि अपराध एक विशेष विचारधारा से संबंधित व्यक्ति द्वारा किया गया था। इस प्रकार, यह सद्भाव को बाधित करने और शत्रुता, घृणा या दुर्भावना की भावनाओं को भड़काने का प्रयास करने का स्पष्ट मामला था।"

इस तर्क पर कि नेहा सिंह राठौर का शत्रुता को बढ़ावा देने का अपराध करने का कोई इरादा नहीं था, हाईकोर्ट ने कहा कि मुकदमे के दौरान उसका बचाव साबित किया जाना चाहिए। इस प्रकार हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज  एफआईआर को रद्द करने से इनकार कर दिया।

हाईकोर्ट ने कहा, "मामले के तथ्यों और परिस्थितियों की समग्रता पर विचार करते हुए, यह अदालत इस बात पर विचार करती है कि हस्तक्षेप करने के लिए कोई मामला नहीं बनता है।"  

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