ट्रंप पर दबाव डालिए, इजरायल से युद्धविराम करवाइए; इन खाड़ी देशों से गुहार लगा रहा ईरान
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सोमवार को कहा कि इजराइल के ईरान पर किए गए हमलों ने उसके परमाणु कार्यक्रम को 'बहुत लंबे समय' के लिए पीछे धकेल दिया है।

इजरायल के भीषण हमले से पूरे ईरान में दहशत का माहौल है। इजरायल की सेना ने ईरान की राजधानी के कुछ हिस्सों में रहने वाले लोगों को हमलों से पहले वहां से निकल जाने की चेतावनी दी है। इस बीच ईरान ने खाड़ी देश कतर, सऊदी अरब और ओमान से अनुरोध किया है कि वे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर दबाव डालें ताकि इजरायल के साथ तत्काल युद्धविराम पर सहमति बनाई जा सके। इसके बदले में, ईरान ने परमाणु वार्ता में लचीलापन दिखाने की पेशकश की है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने दो ईरानी और तीन क्षेत्रीय सूत्रों के हवाले से ये जानकारी दी।
क्षेत्रीय तनाव और खाड़ी देशों की चिंता
खाड़ी देशों के नेताओं और उनके शीर्ष राजनयिकों ने पिछले सप्ताह ईरान, अमेरिका और अन्य देशों के साथ लगातार फोन पर बातचीत की, ताकि इजरायल और ईरान के बीच अब तक की सबसे बड़ी सैन्य टकराव को और बढ़ने से रोका जा सके। खाड़ी देशों के एक सूत्र ने बताया कि क्षेत्रीय देश इस बात से गहरी चिंता में हैं कि यह संघर्ष नियंत्रण से बाहर हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप ऊर्जा ढांचे को खतरा हो सकता है और वैश्विक तेल बाजार अस्थिर हो सकता है।
ईरान की शर्तें और परमाणु वार्ता
रिपोर्ट के अनुसार, ईरान ने साफ किया है कि वह इजरायली हमलों का जवाब देने के बाद ही गंभीर परमाणु वार्ता शुरू करेगा। एक ईरानी सूत्र ने कहा कि अगर युद्धविराम हो जाता है, तो ईरान परमाणु वार्ता में लचीलापन दिखाने को तैयार है। इसके तहत ईरान एक साल के लिए यूरेनियम संवर्धन को निलंबित करने, अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के निरीक्षकों को पूर्ण पहुंच देने और विश्वास-निर्माण उपायों पर सहमत होने का प्रस्ताव दे सकता है। बदले में, ईरान चाहता है कि अमेरिका उसके शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम के अधिकार को मान्यता दे और प्रतिबंधों को हटाए।
ओमान की मध्यस्थता और प्रस्ताव
ओमान एक युद्धविराम प्रस्ताव तैयार कर रहा है, जिसका उद्देश्य अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु वार्ता को फिर से शुरू करना है। इस प्रस्ताव में ईरान से एक से तीन साल तक परमाणु संवर्धन को निलंबित करने और आईएईए निरीक्षकों को सख्त निगरानी के लिए अनुमति देने की मांग की गई है। हालांकि, पिछले सप्ताह इजरायल के हमलों के बाद मस्कट में होने वाली अमेरिका-ईरान वार्ता का छठा दौर रद्द हो गया था।
अन्य देशों की क्या भूमिका
दो ईरानी सूत्रों ने बताया कि तेहरान ने तुर्की से भी ट्रंप से अपील करने का अनुरोध किया है। साथ ही, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ट्रंप और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू दोनों से बात करने पर सहमति जताई है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि रूस इस मामले में व्यापक राजनयिक भूमिका निभाएगा या नहीं। तुर्की के राष्ट्रपति कार्यालय ने इस पर तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की।
दूसरी ओर, इजरायल ने संकेत दिए हैं कि वह ईरान के परमाणु कार्यक्रम को खत्म करने के लिए अपनी सैन्य कार्रवाई जारी रखेगा। इजरायली हमलों ने ईरान के नतांज परमाणु संयंत्र को गंभीर नुकसान पहुंचाया है, जिसके कारण 15,000 सेंट्रीफ्यूज के क्षतिग्रस्त होने की आशंका है। संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी एजेंसी ने नतांज में रेडियोधर्मी संदूषण की चेतावनी भी दी है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को कहा कि ईरान को तुरंत बातचीत शुरू करनी चाहिए, अन्यथा "यह बहुत देर हो जाएगी।" उन्होंने कनाडा में जी7 शिखर सम्मेलन के दौरान कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के साथ बैठक में यह टिप्पणी की। ट्रंप ने यह भी दावा किया कि वह भारत और पाकिस्तान के बीच हाल के संघर्ष को सुलझाने में सफल रहे थे, और वह इजरायल-ईरान के बीच भी शांति स्थापित कर सकते हैं।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।