डांसरों संग गैंगरेप के आरोपी को बचाने की थी कोशिश, एसपी सिटी की जांच में खुला खेल
एसपी सिटी की जांच में पता चला है कि गोरखपुर के कैंट थाने में दर्ज आर्म्स एक्ट केस में गलत तरीके से एफआर लगाकर विवेचक ने आर्थक को बचा लिया था। अब दोषी पाए गए विवेचक रहे दरोगा के खिलाफ प्रारंभिक जांच की संस्तुति के लिए एसपी सिटी ने एसएसपी को पत्र भेजा है।

कुशीनगर में नर्तकियों संग गैंगरेप के मामले में कैंट इलाके में रहने वाले आर्थक प्रताप सिंह का नाम सामने आने के बाद गोरखपुर में दर्ज केस में भी लीपापोती उजागर हो गई थी। अब एसपी सिटी की जांच में पता चला है कि कैंट थाने में दर्ज आर्म्स एक्ट केस में गलत तरीके से एफआर (फाइनल रिपोर्ट) लगाकर विवेचक ने आर्थक को बचा लिया था। अब दोषी पाए गए विवेचक रहे दरोगा के खिलाफ प्रारंभिक जांच की संस्तुति के लिए एसपी सिटी ने एसएसपी को पत्र भेजा है। खबर है कि इस केस की फिर से विचेना होगी और चार्जशीट भी दाखिल की जाएगी।
दरअसल, पांच सितंबर 2022 को गोरखपुर यूनिवर्सिटी के आरपी शुक्ल छात्रावास में मारपीट के बाद आर्थक प्रताप सिंह व उसके साथियों को कैंट पुलिस ने पकड़ा था। तलाशी में आर्थक की जेब से .32 बोर का कारतूस मिला था, जिसे आधार बनाकर पुलिस ने आर्म्स एक्ट में मुकदमा दर्ज किया। लेकिन, अगले ही दिन पुलिस ने उसे शांतिभंग की आशंका में चालान कर दिया, चालान पत्र में कारतूस का जिक्र नहीं था। इसी दस्तावेज के आधार पर आर्म्स एक्ट के मुकदमे की विवेचना कर रहे दारोगा ने एफआर लगा दी और आर्थक को कानूनी शिकंजे से बाहर कर दिया।
पिछले वर्ष आर्थक का नाम कुशीनगर के रामकोला क्षेत्र में नर्तकियों के अपहरण और दुष्कर्म के मामले में सामने आया। जब पुलिस ने उसके आपराधिक इतिहास को खंगाला तो गोरखपुर में दर्ज आर्म्स एक्ट का भी मामला सामने आया। पता चला है कि इस मामले में पुलिस ने एफआर लगा दी। अब जिस तरह से उसकी गिरफ्तारी की गई थी, उसके बाद एफआर संदेह के घेरे में आ गई। तत्कालीन एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर ने इस पूरे मामले की जांच एसपी सिटी को सौंप दी थी।
क्या बोली पुलिस
गोरखपुर के एसपी सिटी अभिनव त्यागी ने कहा कि आर्म्स एक्ट में एफआर गलत तथ्यों के आधार पर लगाई गई थी। जांच में विवेचक दोषी पाए गए हैं। केस की फिर से विवेचना के लिए पत्राचार किया गया है। तथ्यों के आधार पर अग्रिम कानूनी कार्रवाई की जाएगी।