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कैश कांड: जस्टिस वर्मा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल, FIR दर्ज करने की मांग

  • Justice Verma: दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस वर्मा की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। करोड़ों की नकदी की बरामदगी की वजह से चर्चा में आए जस्टिस वर्मा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हुई है। याचिकाकर्ता ने सीजेआई से जस्टिस वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने की मांग की है।

Upendra Thapak लाइव हिन्दुस्तानMon, 24 March 2025 01:07 PM
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कैश कांड: जस्टिस वर्मा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल, FIR दर्ज करने की मांग

घर में आग लगने पर करोड़ों रुपए की नकदी मिलने के आरोपों के बाद चर्चा में आए जस्टिस वर्मा की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही है। इस कैश कांड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है, जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट के मौजूदा न्यायाधीश जस्टिस वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है। याचिका में उस कानूनी संरक्षण को चुनौती दी गई है जो मौजूदा न्यायाधीशों को मुख्य न्यायाधीश की अनुमति के बिना तत्कालिक अपराधिक जांच से बचाता है।

कई वकीलों और नागरिकों द्वारा समर्थित इस याचिका को एडवोकेट मैथ्यू जे. नेदूमपारा ने दर्ज कराया है। याचिका कर्ता का कहना है कि के. वीरस्वामी बनाम भारत संघ के फैसले में यह बात तय की गई थी कि किसी भी न्यायाधीश के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए चीफ जस्टिस की अनुमति आवश्यक है। यह फैसला कानून के समक्ष समता जैसे संवैधानिक सिद्धांत का उल्लंघन करता है। ऐसे में जस्टिस वर्मा के खिलाफ भी तुरंत मामला दर्ज करना चाहिए। याचिकाकर्ता का कहना है कि यदि किसी अफसर या नेता के घर पर इतनी बड़ी मात्रा में नकदी बरामद होती तो उसके खिलाफ तुरंत एफआईआर दर्ज होकर पुलिस जांच शुरू हो जाती तो फिर किसी जस्टिस के ऊपर क्यों नहीं।

याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम द्वारा की गई आंतरिक जांच पर भी सवाल उठाए। याचिका में कहा गया कि कॉलेजियम के पास इस तरह की आपराधिक जांच करने का अधिकार न तो संवैधानिक और न ही वैधानिक अधिकार है। कॉलेजियम द्वारा बनाई गई तीन सदस्यीय समिति पूरी तरह से अवैध है।

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आपको बता दें कि इस मामले की शुरुआत होली की रात हुई थी। जब जस्टिस वर्मा के आवास में लगी आग को बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड की टीम पहुंची। वहां पर उन्हें करोड़ों रुपए की जली हुई नकदी मिली। जिसके बाद मामला खुल गया।

जस्टिस वर्मा ने इन सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह उनकी छवि को खराब करने के लिए की गई एक साजिश है। अपने बयान में जस्टिस वर्मा ने कहा कि आग उनके मुख्य आवास में नहीं बल्कि बाहरी हिस्से में लगी थी और वहां पर कोई नकदी नहीं मिली। मीडिया में फैली खबरें पूरी तरह से झूठीं और बेबुनियाद है। उन्होंने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार की रिपोर्ट में भी नकदी की बरामदगी की कोई जानकारी नहीं है।