महिलाओं के बार में काम करने पर बंगाल में बवाल, भाजपा ने इजाजत देने के खिलाफ निकाली रैली
- फाल्गुनी पात्रा ने कहा, ‘राज्य जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने में विफल रहा है और अब उन्हें ऐसे स्थानों पर काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जहां उनकी सुरक्षा भंग हो सकती है।’

पश्चिम बंगाल में महिलाओं को बार में काम करने की इजाजत देने को लेकर बवाल मचा हुआ है। भाजपा की महिला शाखा ने शनिवार को कोलकाता में एक रैली निकाली। इस दौरान पश्चिम बंगाल विधानसभा में महिलाओं को बार में काम करने की अनुमति देने वाले विधेयक के पारित होने का विरोध किया गया। भाजपा महिला प्रकोष्ठ की नेता फाल्गुनी पात्रा ने दावा किया कि तृणमूल कांग्रेस सरकार राज्य में महिलाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने में असमर्थ है। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि सत्तारूढ़ सरकार की ओर से ऐसे कदम उठाए जा रहे हैं।
यह रैली उत्तर कोलकाता के कॉलेज स्क्वायर से लेकर करीब 2 किलोमीटर दूर बउबाजार स्थित आबकारी विभाग मुख्यालय तक निकाली गई। पश्चिम बंगाल विधानसभा ने बुधवार को बंगाल आबकारी अधिनियम, 1909 में संशोधन करते हुए महिलाओं को बार में काम करने की इजाजत देने वाला विधेयक पारित कर दिया। पात्रा ने कहा, ‘राज्य जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने में विफल रहा है और अब उन्हें ऐसे स्थानों पर काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जहां उनकी सुरक्षा भंग हो सकती है।’
बूथ स्तर के मुद्दों को सुलझाने के लिए बैठक
दूसरी ओर, निर्वाचन आयोग ने कहा कि 4,000 से अधिक निर्वाचन अधिकारी अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में बूथ स्तर के लंबित मुद्दों को सुलझाने के लिए सर्वदलीय बैठकें कर रहे हैं। चुनाव आयोग ने शिकायतों के समाधान के लिए हाल ही में राज्यों में पार्टियों के साथ कई स्तरों पर बातचीत करने का निर्णय लिया था, जिसके चलते ये बैठकें हो रही हैं। कई राजनीतिक दलों ने आयोग पर भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए चुनावी आंकड़ों में हेरफेर करने का भी आरोप लगाया था। तृणमूल कांग्रेस समेत कई दलों ने मतदाता पहचान पत्र क्रमांक के दोहराव का मुद्दा उठाया था। आयोग ने अब मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने की संभावना तलाशने और मतदाता सूची को दुरुस्त करने के लिए जन्म व मृत्यु पंजीकरण प्राधिकरणों को शामिल करने का फैसला किया है।