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मंदिर वाले दावों के बीच संघ नेता की नसीहत- क्या 30 हजार मस्जिदें खोदी जा सकती हैं?

  • दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि इतिहास को बदलने के लिए हम 30 हजार मस्जिदों की खुदाई तो नहीं कर सकते। क्या इससे समाज में वैमनस्य नहीं बढ़ेगा। क्या हमें एक समाज के तौर पर आगे नहीं बढ़ना चाहिए या फिर इतिहास में ही उलझे रहना चाहिए। आखिर हम इतिहास कितना दूर तक जा सकते हैं।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 2 April 2025 09:38 AM
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मंदिर वाले दावों के बीच संघ नेता की नसीहत- क्या 30 हजार मस्जिदें खोदी जा सकती हैं?

संभल, अजमेर से लेकर कुतुब मीनार तक में मंदिर के दावे किए जा रहे हैं। कई हिंदूवादी संगठनों का कहना है कि देश में हजारों मंदिरों को ध्वस्त करके मस्जिदें बनाई गई हैं। इस बीच राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ के वरिष्ठ नेता दत्तात्रेय होसबाले ने अहम टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से मस्जिदों और ऐसे अन्य ढांचों पर सवाल उठ रहे हैं, वह भी सही नहीं है। सवाल है क्या हमें हर जगह खुदाई करनी चाहिए। इतिहास को बदलने के लिए हम 30 हजार मस्जिदों की खुदाई तो नहीं कर सकते। क्या इससे समाज में वैमनस्य नहीं बढ़ेगा। क्या हमें एक समाज के तौर पर आगे नहीं बढ़ना चाहिए या फिर इतिहास में ही उलझे रहना चाहिए। आखिर हम इतिहास कितना दूर तक जा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि आरएसएस इस पक्ष में नहीं है कि हजारों मस्जिदों को खोदा जाए और उनके नीचे मंदिरों की तलाश हो। उन्होंने कहा कि रामजन्मभूमि के लिए साधु और संतों ने आंदोलन की शुरुआत की ती। इसे आरएसएस ने भी सहयोग दिया था। इसी तरह यदि आरएसएस के स्वयंसेवक या फिर विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठन काशी एवं मथुरा के लिए आंदोलन करना चाहते हैं तो हमारी ओर से कोई रोक नहीं है। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में मस्जिदों को खोदने की बात करना अलग चीज है। लेकिन यह बड़ा सवाल है कि क्या हमें देश की 30 हजार मस्जिदें खोदना चाहिए ताकि इतिहास बदल जाए।

संघ लीडर साप्ताहिक कन्नड़ मैगजीन विक्रम से बातचीत में कहा कि विवादित मस्जिदों का कंट्रोल हाथ में लेने की डिमांड करना ठीक नहीं है। यदि हम इन्हीं चीजों पर फोकस करते रहेंगे तो फिर देश के अन्य मुद्दों पर फोकस कैसे कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि हमें छुआछूत की समस्या को खत्म करना है। समाज में नैतिक मूल्यों की स्थापना करनी है। मस्जिदों के भीतर खुदाई से ज्यादा ये चीजें जरूरी हैं, जिन पर हमें फोकस करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आरएसएस यह नहीं कहता कि किसी मसले पर ध्यान न दिया जाए, लेकिन संस्कृति, भाषा, धर्मांतरण और गोहत्या जैसे विषय भी अहम हैं। हमें इन पर भी फोकस करना चाहिए। इस तरह आरएसएस के लीडर ने साफ कर दिया है कि तमाम मस्जिदों पर दावे करना और विवाद खड़ा करना सही नहीं है।