first time Centre caps MGNREGA expenditure limit by 60 percent in FY 2025 26 why central government impose such ban पहली बार मनरेगा में खर्च की सीमा तय, केंद्र सरकार ने क्यों लगाई पाबंदी? ग्रामीण रोजगार पर क्या असर, India News in Hindi - Hindustan
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पहली बार मनरेगा में खर्च की सीमा तय, केंद्र सरकार ने क्यों लगाई पाबंदी? ग्रामीण रोजगार पर क्या असर

2019-20 में कोविड महामारी से पहले जहां 6.16 करोड़ परिवारों ने इस मनरेगा के तहत काम की मांग की थी, वहीं 2020-21 में यह संख्या लगभग 33 प्रतिशत बढ़कर 8.55 करोड़ तक पहुंच गई थी।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 10 June 2025 04:44 PM
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पहली बार मनरेगा में खर्च की सीमा तय, केंद्र सरकार ने क्यों लगाई पाबंदी? ग्रामीण रोजगार पर क्या असर

देशभर के ग्रामीण इलाकों में श्रमिकों को रोजगार की गारंटी देने वाली महत्वाकांक्षी योजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) पर पहली बार केंद्र सरकार ने खर्च सीमा की पाबंदी लगाई है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली छमाही में मनरेगा के तहत होने वाले खर्च को कुल वार्षिक आवंटन का 60 फीसदी तक सीमित कर दिया है। अब तक इस योजना में खर्च की कोई सीमा तय नहीं थी और यह मांग के आधार पर संचालित योजना रही है।

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय को सूचित किया है कि अब इस योजना के तहत होने वाले खर्च को मासिक/त्रैमासिक व्यय योजना (MEP/QEP) के तहत लाया जाएगा, जो एक खर्च पर नियंत्रण का एक तरीका है। हालांकि, इस योजना को अब तक इस तरह के नियंत्रण उपायों से छूट मिली हुई थी।

पिछले महीने वित्त मंत्रालय ने भेजी चिट्ठी

बता दें कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने सभी मंत्रालयों के तहत कैश फ्लो और गैर जरूरी उधारी को कम करने और उसे नियंत्रित करने के लिए 2017 में मासिक/त्रैमासिक व्यय योजना की शुरुआत की थी लेकिन मनरेगा स्कीम को इससे बाहर रखा था। ऐसा कहा जा रहा है कि वित्त वर्ष 2025-26 की शुरुआत में ही वित्त मंत्रालय ने ग्रामीण विकास मंत्रालय को निर्देश दे दिए थे कि वह मनरेगा को भी मासिक/त्रैमासिक व्यय योजना ढांचे में शामिल करे। पिछले महीने 29 मई को केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने इस बावत ग्रामीण विकास मंत्रालय को चिट्ठी भेजकर 60 फीसदी खर्च की सीमा तय करने के फैसले से अवगत करा दिया है।

ग्रामीण विकास मंत्रालय की योजना नामंजूर

रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण विकास मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय के बजट विभाग को मनरेगा के लिए एक मासिक/त्रैमासिक व्यय योजना पेश की थी, जिसमें वित्त वर्ष 2025-26 की पहली दो तिमाही में अधिक खर्च सीमा का प्रस्ताव दिया था लेकिन वित्त मंत्रालय ने उसे खारिज कर दिया है और उसे 60 फीसदी तक तय कर दिया है। यानी छह महीने के अंदर सितंबर तक कुल बजटीय आवंटन का 60 फीसदी ही खर्च किया जा सकता है। शेष अगली दो तिमाही या दूसरी छमाही के दौरान बाकी बची 40 फीसदी रकम खर्च करनी होगी।

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मनरेगा के लिए कुल बजट आवंटन 86,000 करोड़ रुपये

बता दें कि वित्तीय वर्ष 2025-26 में मनरेगा के लिए कुल बजट आवंटन 86,000 करोड़ रुपये है। सरकार की नई व्यवस्था के मुताबिक, पहली छमाही में अब 51,600 करोड़ रुपये ही खर्च करने होंगे। अधिकारियों के मुताबिक, पिछले वित्त वर्ष का करीब 21,000 करोड़ रुपये देनदारियों के रूप में लंबित है। ऐसे में नए आदेश से इस साल राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत रोजगार सृजन प्रभावित हो सकता है और रोजगार के अवसर कम हो सकते हैं। यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है, जब 100 दिनों के रोजगार की गारंटी को बढ़ाकर 150 दिन करने और दैनिक मजदूरी को 370 रुपये से बढ़ाकर 400 रुपये प्रतिदिन किए जाने की मांग हो रही है। हालांकि, कुछ राज्यों में यह पहले से ही 400 रुपये प्रतिदिन है। इस योजना के तहत, ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीण सड़क निर्माण, सिंचाई, और जल संरक्षण जैसे कई काम कराए जाते हैं।

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