ऑपरेशन सिंदूर के बीच रेलवे का ऐतिहासिक कदम, जवानों को लेकर कश्मीर पहुंची पहली ट्रायल ट्रेन
स्पेशल सैन्य ट्रेन का सफल परीक्षण रेलवे की तकनीकी प्रगति को दर्शाता है। यह कदम क्षेत्र में सुरक्षा, कनेक्टिविटी और विकास को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

भारतीय रेलवे ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर में रणनीतिक रूप से बेहद अहम कटरा-काजीगुंड सेक्शन पर पहली “ट्रायल स्पेशल ट्रेन” सफलतापूर्वक चलाई। खास बात ये है कि इस ट्रेन में केवल सैनिक सवार थे। ये जवान छुट्टी पर थे और उड़ानों के रद्द होने के चलते फंसे हुए थे। इस खंड में विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे पुल, चिनाब ब्रिज को भी शामिल किया गया है। यह कदम सरकार की उस व्यापक योजना का हिस्सा माना जा रहा है, जिसका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा और कनेक्टिविटी को मजबूत करना है। भारत-पाक तनाव के बावजूद, कश्मीर को शेष भारत से रेल के जरिए जोड़ने की योजना निर्बाध रूप से आगे बढ़ रही है।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
टाइम्स ऑफ इंडिया ने रेलवे सूत्रों के हवाले से लिखा है कि यह विशेष ट्रेन सुबह करीब 10 बजे कटरा से रवाना हुई और शाम 6 बजे वापस लौटी। पूरे सफर के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। ट्रेन का यह सफर इसलिए भी महत्वपूर्ण रहा क्योंकि यह सेक्शन भारत के सबसे कठिन इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स में से एक चिनाब ब्रिज को भी पार करता है।
इस ट्रायल रन को "ऑपरेशन सिंदूर" और मौजूदा भारत-पाक संघर्ष की पृष्ठभूमि में और भी अधिक अहम माना जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सेक्शन का उद्घाटन पिछले महीने करने वाले थे, लेकिन खराब मौसम के कारण कार्यक्रम टाल दिया गया था। एक अधिकारी ने बताया कि, "फिलहाल यह ट्रायल केवल कटरा से काजीगुंड तक किया गया। काजीगुंड से बारामूला तक सामान्य ट्रेन सेवाएं पहले से ही जारी हैं।" काजीगुंड को कश्मीर का प्रवेशद्वार भी कहा जाता है। यह केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में पड़ता है।
पहले ही हो चुका है वंदे भारत ट्रेनों का परीक्षण
गौरतलब है कि इससे पहले रेलवे ने कटरा और श्रीनगर के बीच वंदे भारत ट्रेनों का परीक्षण किया था, लेकिन उन ट्रेनों में कोई यात्री सवार नहीं थे। बुधवार का यह ट्रायल रन इस मायने में भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पहली बार है जब किसी ट्रेन ने सैनिकों को लेकर इस सेक्शन को पार किया। अब तक जम्मू-कश्मीर की मुख्य भूमि से संपर्क का एकमात्र साधन राष्ट्रीय राजमार्ग था, जो कई बार खराब मौसम, बर्फबारी या भूस्खलन की वजह से बाधित हो जाता था। ऐसे में इस रेलमार्ग से जुड़े इस नए प्रयास को क्षेत्र में लॉजिस्टिक्स और सेना की तेज आवाजाही के लिहाज से गेम चेंजर माना जा रहा है।
यह क्या दर्शाता है ये ट्रायल रन?
सरकार कश्मीर को रेल नेटवर्क से जोड़ने के मिशन पर डटी हुई है, चाहे हालात कितने भी चुनौतीपूर्ण क्यों न हों। यह सेक्शन न केवल सेना के लिए, बल्कि आम नागरिकों के लिए भी एक वैकल्पिक और तेज़ संपर्क साधन बन सकता है। सामरिक दृष्टि से यह रेल मार्ग देश की सुरक्षा नीति में एक नई दिशा का संकेत देता है। इस सफलता के बाद अब पूरे देश की निगाहें उस दिन पर टिकी हैं जब प्रधानमंत्री इस ऐतिहासिक रेलमार्ग का औपचारिक उद्घाटन करेंगे।