last Mughal emperor Bahadur Shah Zafar paid the price of love for the country sons killed गोलियों से भून दिए गए बेटे, आखिरी मुगल बहादुर शाह जफर ने यूं चुकाई थी देशप्रेम की कीमत, India Hindi News - Hindustan
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गोलियों से भून दिए गए बेटे, आखिरी मुगल बहादुर शाह जफर ने यूं चुकाई थी देशप्रेम की कीमत

  • आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर ने अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम की अगुआई की। अंग्रेजों ने उनके बेटों को गोलियों से भून दिया। बहादुर शाह जफर ने रंगून की जेल में दम तोड़ा।

Ankit Ojha लाइव हिन्दुस्तानSat, 19 April 2025 10:57 AM
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गोलियों से भून दिए गए बेटे, आखिरी मुगल बहादुर शाह जफर ने यूं चुकाई थी देशप्रेम की कीमत

आक्रांता बनकर भारत में कदम रखने वाले मुगलों का शासनकाल एक ऐसे शासक के साथ खत्म हुआ जिसे भारत से प्रेम हो गया था। आखिरी मुगल शासक बहादुर शाह जफर को इसी देशप्रेम की कीमत अपने परिवार को खोकर अपनी जान देकर चुकानी पड़ी थी। यूपी के गाजियाबाद में हिंदू रक्षा दल के कार्यकर्ताओं ने औरंगजेब समझकर बहादुर शाह जफर की पेंटिंग पर कालिख पोत दी। पुलिस उनके खिलाफ सख्त एक्शन की तैयार कर रही है।

दरअसल 1857 की क्रांति ने अंग्रेजों को बहुत तगड़ा झटका दिया था। इसके बाद अंग्रेजों को लगा कि भारत पर पकड़ बनाए रखने के लिए दिल्ली पर कब्जा जरूरी है। उस समय दिल्ली के तख्त पर बहादुर शाह जफर तख्तनशीं थे। बहादुर शाह जफर अपने दयालु स्वभाव और कविह्रदयता के लिए भी जाने जाते हैं।

अंग्रेजों के खिलाफ फूंका था बिगुल

बहादुरशाह जफर अंग्रेजों के खिलाफ पहले स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व कर रहे थे। बहादुर शाह जफर की अगुआई में हिंदू और मुसलमान दोनों ही अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट हो गए थे। अंग्रेज समझ गए थे कि बहादुर शाह जफर भले ही पहले के मुगल शासकों की तुलना में कमजोर हो गए हैं लेकिन वह हिंदुओं और मुसलमानों को एकजुट करने की ताकत रखते हैं। ऐसे में अंग्रेजों ने पहले उन्हें ही नेस्तनाबूत करने का मन बना लिया। बहादुर शाह जफर से लड़ने के लिए अंग्रेजों ने लंदन से गोला बारूद मंगवाया।

कैद कर लिए गए जफर

अंग्रेजों ने तीन महीने की घेराबंदी के बाद दिल्ली पर जीत हासिल कर ली। वहीं जफर परिवार के साथ आत्मसमर्पण करने को तैयार नहीं थे। वे गुप्त रास्ते से परिवार को लेकर पुराने किले के रास्ते हुमायूं के मकबरे में पहुंच गए। अंग्रेजों को जब पता चला तो वहां भी घेराबंदी की गई और बहादुर शाह जफर और उनके परिवार को बंदी बना लिया गया। इसके बाद भारत पर अंग्रेजों का पूरी तरह शासन हो गया।

बेटों को गोलियों से भून दिया गया

अंग्रेजी सेना के कैप्टन हडसन ने बहादुर शाह जफर के बेटे मिर्जा सुल्तान, मिरजा मुगल और पोते अबू बकर का भी सरेंडर करवाया। उन्हें आश्वासन दिया गया कि उनके खिलाफ लालकिले में मुकदमा चलाया जाएगा। अगर वे निर्देोष साबित होते हैं तो उन्हें रिहा कर दिया जाएगा। हालांकि अंग्रेजों ने जफर के परिवार को खत्म करने का मन बना लिया था। ऐसे में तीनों ही शहजादों को लेकर वे लालकिला पहुंचे। शाहजादों की गिरफ्तारी के बाद दुखी जनता भी उनके पीछे-पीछे चल रही थी। हडसन ने तीनों ही शहजादों के कपड़े उतरवाए और लालकिले में ही गोलियों से भुनवा दिया। इसके बाद उनके शवों को कोतवाली के सामने लटका दिया गया।

रंगून की जेल में जफर की मौत, 132 साल तक लापता थी कब्र

बहादुरशाह जफर अपने परिवार को खोने के बाद टूट गए थे। हालांकि अंग्रेज उनसे इतना चिढ़ते थे कि उन्हें लेकर रंगूल की जेल चले गए। यहां वह करीब पांच साल तक रहे। उन्हें जेल में लकवा के दौरे पड़ने लगे और अत में 7 नवंबर 1862 को उनकी मौत हो गई। अंग्रेजों ने एक घर में उनको दफन किया और कब्र को भी समतल करवा दिया। बाद में लगभग 132 साल बाद उनकी कब्र का पता चला। उनकी मौत के 132 साल बाद उनकी कब्र बनवाई गई।