पहलगाम हमले की जांच NIA को सौंपी, पाकिस्तानी कनेक्शन और 26/11 जैसी साजिश के संकेत
पहलगाम आतंकी हमले की जांच एनआईए को सौंपी गई है। हमले के पीछे पाक प्रायोजित लश्कर का हाथ बताया गया है। 22 अप्रैल को हुए हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी।

केंद्र सरकार ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी NIA को सौंप दी है। इस हमले को पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित बताया गया है, जिसे आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने अपने फ्रंट संगठन 'द रेसिस्टेंस फ्रंट' (TRF) के जरिए अंजाम दिया था।
पहलगाम हमले की जांच एनआईए करेगी, गृह मंत्रालय ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। अधिकारियों के अनुसार, एनआईए अब जम्मू-कश्मीर पुलिस से केस अपने हाथ में लेने की प्रक्रिया में है। माना जा रहा है कि एनआईए इस हमले से जुड़े व्यापक आतंकी नेटवर्क और साजिश का पर्दाफाश करने के लिए जल्द ही गहन जांच शुरू करेगी।
अधिकारियों के मुताबिक, एनआईए अब जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी (FIR) को दोबारा दर्ज कर औपचारिक जांच शुरू करेगी, हालांकि IG विजय साखरे के नेतृत्व में एनआईए की टीम पहले से 23 अप्रैल से ही स्थानीय पुलिस की मदद कर रही है।
पीड़ितों के बयान दर्ज कर रही एनआईए
एनआईए बीते कुछ दिनों से हमले के जीवित बचे लोगों के बयान दर्ज कर रही है और लश्कर, जैश-ए-मोहम्मद और अन्य आतंकी संगठनों से जुड़े गिरफ्तार आतंकियों और ओवरग्राउंड वर्कर्स से पूछताछ कर रही है। इस बीच सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस का संयुक्त बल उन हमलावरों की तलाश कर रहा है जिन्होंने बैसरन घाटी में 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या कर दी थी।
पाकिस्तान की संलिप्तता
भारतीय खुफिया एजेंसियों ने हमले के डिजिटल सबूत पाकिस्तान के मुजफ्फराबाद और कराची स्थित सुरक्षित ठिकानों तक ट्रेस कर लिए हैं, जो इस हमले में पाकिस्तान की सीधी संलिप्तता की पुष्टि करते हैं। ऐसा माना जा रहा है कि इस हमले को भी मुंबई 26/11 स्टाइल के कंट्रोल-रूम ऑपरेशन की तर्ज पर अंजाम दिया गया।
फॉरेंसिक विश्लेषण और चश्मदीदों के बयानों से पता चला है कि हमले में 4-5 आतंकवादी शामिल थे, जो अत्याधुनिक हथियारों से लैस थे और कुछ आतंकवादी सेना जैसे कपड़े पहने हुए थे।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हमारी खुफिया जानकारी से साफ है कि ऑपरेशन में पाकिस्तान स्थित आतंकी सक्रिय रूप से शामिल थे। डिजिटल फुटप्रिंट सीधे मुजफ्फराबाद और कराची के उन ठिकानों तक जुड़ते हैं जहां पहले भी लश्कर-ए-तैयबा के बड़े हमलों की योजना बनाई गई थी।”