कर्नाटक में जाति गणना पर घमासान, सिद्दारमैया बोले – यह हमारा नहीं, कांग्रेस हाईकमान का फैसला
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री सिद्दारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को मंगलवार को दिल्ली बुलाया गया था, जहां उन्होंने राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने बुधवार को स्पष्ट किया कि राज्य में नई जातिगत जनगणना का निर्णय राज्य सरकार का नहीं, बल्कि कांग्रेस नेतृत्व का निर्णय है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब 2015 की कांताराज आयोग की रिपोर्ट के लीक होने के बाद पिछड़े वर्ग, अल्पसंख्यक और दलित समुदायों की संख्या में भारी वृद्धि देखी गई, जिससे कांग्रेस के पारंपरिक वोट बैंक में असहजता की स्थिति बनती दिख रही है।
सिद्दारमैया ने चिक्कबल्लापुर जिले के गौरिबिदनूर में पत्रकारों से कहा, “2015 के कांताराज आयोग की जातिगत सर्वे रिपोर्ट को लेकर कुछ शिकायतें थीं। कुछ लोगों का कहना था कि आंकड़े पुराने हैं, इसलिए कम समय में नई गणना की मांग की गई। हमने उस रिपोर्ट को सैद्धांतिक रूप से स्वीकार कर लिया है। उसे खारिज नहीं किया गया है।”
यह हमारा नहीं, हाईकमान का फैसला
जब सिद्दारमैया से पूछा गया कि क्या वे कांग्रेस के इस फैसले से असहमत हैं तो उन्होंने जवाब दिया, “हम हाईकमान के निर्देशों के अनुसार कार्य करेंगे। यह राज्य सरकार का निर्णय नहीं है।”
दिल्ली में राहुल गांधी और खड़गे से मुलाकात
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री सिद्दारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को मंगलवार को दिल्ली बुलाया गया था, जहां उन्होंने राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की। यह बैठक 4 जून को बेंगलुरु में हुई भगदड़, जिसमें 11 क्रिकेट प्रेमियों की मौत हो गई थी, को लेकर राज्य सरकार की आलोचना के बीच हुई है।
जहां सिद्दारमैया इस निर्णय से खुद को अलग रखने की कोशिश करते नजर आए वहीं उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने नए जातिगत सर्वेक्षण के फैसले का खुलकर समर्थन किया। उन्होंने कहा, “जब हम पिछली रिपोर्ट की कमियों को सुधारने की कोशिश कर रहे हैं, तो बीजेपी को आपत्ति क्यों है? हम कांताराज आयोग की रिपोर्ट को खारिज नहीं कर रहे, बल्कि उसमें सुधार कर रहे हैं।”
शिवकुमार ने यह भी कहा कि बीजेपी खुद 2015 की रिपोर्ट को स्वीकार नहीं कर रही थी और अब नए सर्वे का विरोध कर रही है।
जातिगत गणना पर सियासी संग्राम
2015 में तत्कालीन सिद्दारमैया सरकार ने कांताराज आयोग के माध्यम से एक जातिगत जनगणना कराई थी, जिसकी रिपोर्ट कभी सार्वजनिक नहीं की गई। हाल ही में इसके कुछ हिस्से लीक हुए, जिसमें पिछड़े और दलित वर्गों की जनसंख्या अनुमानों से कहीं अधिक बताई गई है। इससे राज्य की सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों में बड़ा बदलाव आने की संभावना बन गई है।