Tradition broken negative message sent BCI chairman awakened after CJI Gavai concern, request for Justice Bela farewell परंपरा टूटी, निगेटिव मैसेज गया; CJI गवई की चिंता से जागे BCI अध्यक्ष जस्टिस बेला की विदाई पर क्या बोले, India News in Hindi - Hindustan
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परंपरा टूटी, निगेटिव मैसेज गया; CJI गवई की चिंता से जागे BCI अध्यक्ष जस्टिस बेला की विदाई पर क्या बोले

सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस बेला एम त्रिवेदी आज रिटायर हो गईं। आज उनके कार्यकाल का आखिरी दिन था लेकिन सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने परंपरा के मुताबिक शाम में उनके लिए विदाई समारोह आयिज नहीं किया। इस पर CJI गवई ने चिंता जताई है।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 16 May 2025 07:49 PM
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परंपरा टूटी, निगेटिव मैसेज गया; CJI गवई की चिंता से जागे BCI अध्यक्ष जस्टिस बेला की विदाई पर क्या बोले

बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAORA) के अध्यक्षों और सचिवों को चिट्ठी लिखकर उनसे अनुरोध किया है कि वे जस्टिस बेला एम त्रिवेदी के लिए आधिकारिक तौर पर विदाई समारोह आयोजित नहीं करने के अपने फैसले पर फिर से विचार करें। वरिष्ठ अधिवक्ता मनन मिश्रा ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने अपने पूरे कार्यकाल में न्याय, ईमानदारी और न्यायिक शिष्टाचार के आदर्शों के प्रति अडिग समर्पण का परिचय दिया है।

मिश्रा ने चिट्ठी में इस बात पर चिंता जताई है कि जस्टिस त्रिवेदी के लिए विदाई समारोह आयोजित न करने के फैसले से से न केवल लंबे समय से चली आ रही परंपरा टूटी हैं, बल्कि न्यायिक समुदाय और व्यापक कानूनी बिरादरी के बीच एक अनपेक्षित और निराशाजनक संदेश भी गया है। BCI अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने यह चिट्ठी तब लिखी है, जब देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई ने शुक्रवार को इस बात की ओर ध्यान खींचा और चिंता जताई कि रिटायर हो रहीं जस्टिस त्रिवेदी के लिए सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने कोई आधिकारिक विदाई समारोह नहीं रखा।

CJI गवई ने SCBA के रुख की निंदा की

जस्टिस गवई ने यह चिंता जस्टिस त्रिवेदी के साथ सेरिमोनियल बेंच में की। उस समय उनके साथ जस्टिस त्रिवेदी और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज भी थे। सेरिमोनियल बेंच की की अध्यक्षता करते हुए CJI गवई ने कहा, “मुझे खुले तौर पर इसकी निंदा करनी चाहिए, क्योंकि मैं स्पष्ट रूप से बोलने में विश्वास करता हूं...एसोसिएशन (एससीबीए) को ऐसा रुख नहीं अपनाना चाहिए था।”

कपिल सिब्बल की उपस्थिति की प्रशंसा

हालांकि, मुख्य न्यायाधीश ने एससीबीए अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और उपाध्यक्ष रचना श्रीवास्तव की कार्यवाही के दौरान उपस्थिति के लिए प्रशंसा की। बार निकाय ने शाम को जस्टिस त्रिवेदी के लिए सामान्य (विदाई) समारोह आयोजित नहीं किया था। सीजेआई ने कहा, “मैं कपिल सिब्बल और रचना श्रीवास्तव का आभारी हूं, वे दोनों यहां मौजूद हैं लेकिन एसोसिएशन ने जो रुख अपनाया है, मैं उसकी खुले तौर पर निंदा करता हूं... ऐसे मौके पर एसोसिएशन को ऐसा रुख नहीं अपनाना चाहिए था।”

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जस्टिस मसीह ने भी जताई चिंता

सीजेआई ने कहा, “इसलिए मैं सिब्बल और श्रीवास्तव की मौजूदगी के लिए खुले दिल से उनकी सराहना करता हूं। निकाय द्वारा पारित किये गये प्रस्ताव के बावजूद वे यहां आए हैं।....जो इस बात की पुष्टि करती है कि वह एक बहुत अच्छी न्यायाधीश हैं। न्यायाधीश कई तरह के होते हैं, लेकिन यह ऐसा कारण नहीं होना चाहिए जिससे (उन्हें) वह न दिया जाए, जो उनको दिया जाना चाहिए था।” जस्टिस मसीह ने भी इसी प्रकार की भावनाएं व्यक्त कीं। जस्टिस मसीह ने कहा, “अजीब बात है, जैसा कि प्रधान न्यायाधीश ने पहले ही व्यक्त किया है, मुझे खेद है, लेकिन मुझे कहना होगा कि परंपराओं का पालन किया जाना चाहिए और उनका सम्मान किया जाना चाहिए। मुझे यकीन है कि अच्छी परंपराएं हमेशा जारी रहनी चाहिए।”

जस्टिस त्रिवेदी की प्रशंसा

प्रधान न्यायाधीश ने अपने संबोधन में जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की जिला न्यायपालिका से सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंचने तथा कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ न्याय करने के लिए सराहना की। उन्होंने कहा, “उन्हें हमेशा निष्पक्षता, दृढ़ता, सावधानी, कड़ी मेहनत, निष्ठा , समर्पण, ईमानदारी के लिए याद किया जाना चाहिए...।” सीजेआई गवई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जस्टिस त्रिवेदी की ईमानदारी और निष्पक्षता का समर्थन करता है।

परंपरा के अनुसार होता रहा है विदाई समारोह

परंपरा के अनुसार, एससीबीए उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के लिए विदाई समारोह आयोजित करता है और जस्टिस त्रिवेदी के मामले में एक असाधारण निर्णय लिया गया, जो संभवतः बार निकाय से संबद्ध वकीलों के विरुद्ध गए कुछ निर्णयों के कारण हुआ। नियमों के पालन में कठोर न्यायाधीश मानी जाने वाली जस्टिस त्रिवेदी ने जाली वकालतनामा का इस्तेमाल कर शीर्ष अदालत में कथित तौर पर फर्जी याचिका दायर करने के संबंध में कुछ वकीलों के खिलाफ सीबीआई जांच का आदेश दिया था।

उन्होंने वकीलों के प्रति दया दिखाये जाने के बार के पदाधिकारियों के कई अनुरोध को खारिज कर दिया था। हाल ही में जस्टिस त्रिवेदी ने एक याचिका दायर करने में कथित कदाचार के लिए कुछ वकीलों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने का आह्वान किया था और बाद में उनकी माफी स्वीकार करने से मना कर दिया था। सुनवाई के दौरान उन्होंने इस बात पर दुख जताया था कि कुछ बार पदाधिकारी उन पर साथी वकीलों के खिलाफ कठोर आदेश पारित न करने का दबाव बना रहे थे। (भाषा इनपुट्स के साथ)