मुस्लिम कोटे पर कर्नाटक असेंबली में भारी बवाल, BJP विधायकों को उठा-उठा ले गए मार्शल
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों ने इस विधेयक का जमकर विरोध किया और इसे 'असंवैधानिक'करार देते हुए इसे अदालत में चुनौती देने की कसम खाई।

कर्नाटक विधानसभा में आज (शुक्रवार, 21 मार्च को) उस वक्त भारी हंगामा और बवाल देखने को मिला, जब सिद्धारमैया की कांग्रेस सरकार ने बजट सत्र के आखिरी दिन सार्वजनिक ठेकों में मुस्लिम ठेकेदारों के लिए 4% आरक्षण देने वाला विधेयक पारित कराया। इस दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों ने इस विधेयक का जमकर विरोध किया और इसे 'असंवैधानिक'करार देते हुए इसे अदालत में चुनौती देने की कसम खाई।
इस दौरान भाजपा विधायक बिल का विरोध करते हुए और सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए वेल में घुस गए। विपक्षी विधायकों ने नाटकीय प्रदर्शन करते हुए बिल की कॉपी फाड़ दी और उसे स्पीकर यूटी खादर और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर फेंक दिया। इस हंगामे और सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक के बीच विधेयक पारित हो गया।
18 भाजपा विधायक सस्पेंड
विपक्षी सदस्यों की इस हरकत से भड़के विधानसभा अध्यक्ष यूटी खादर ने अनुशासनहीनता के आरोप में 18 भाजपा विधायकों को तत्काल प्रभाव से अगले छह महीने के लिए सस्पेंड कर दिया। इसके बाद उन्होंने मार्शलों को आदेश दिया कि वे सभी निलंबित विधायकों को सदन से बाहर कर दें। इसके बाद जो तस्वीर सामने आई वह भी कम चौंकाने वाली नहीं है। मार्शलों को भाजपा विधायकों को उठा-उठाकर सदन से बाहर कर दिया गया। इन 18 भाजपा विधायकों पर स्पीकर के आदेशों की अवहेलना करने, अनुशासनहीनता करने और सदन में असम्मानजनक आचरण करने का आरोप लगाया गया है।
कौन-कौन हुए सस्पेंड
भाजपा के जिन विधायकों को सस्पेंड किया गया है, उनमें विपक्ष के मुख्य सचेतक डोडानगौड़ा एच पाटिल, अश्वथ नारायण सीएन, एसआर विश्वनाथ, बीए बसवराज, एमआर पाटिल, चन्नबसप्पा (चन्नी), बी सुरेश गौड़ा, उमानाथ ए कोट्यान, शरणु सालगर, शैलेंद्र बेलडाले, सीके राममूर्ति, यशपाल ए सुवर्णा, बीपी हरीश, भरत शेट्टी वाई, मुनिरत्न, बसवराज मट्टीमूद, धीरज मुनिराजू और चंद्रू लमानी शामिल हैं। निलंबन आदेश के अनुसार, इन सदस्यों को विधानसभा हॉल, लॉबी और गैलरी में प्रवेश करने से रोक दिया गया है। इसके अलावा उन्हें किसी भी स्थायी समिति की बैठकों में भाग लेने और विधानसभा के एजेंडे में अपने नाम से कोई विषय या मामला सूचीबद्ध करने से भी रोक दिया गया है।
निलंबन अवधि के दौरान इनके द्वारा जारी किसी भी निर्देश को स्वीकार नहीं किया जाएगा और उन्हें समिति के चुनावों में मतदान करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्हें इस अवधि के दौरान कोई दैनिक भत्ता भी नहीं मिल सकेगा।
विधेयक में क्या प्रावधान
मुस्लिमों को आरक्षण देने वाले विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, मुस्लिम ठेकेदार 2 करोड़ रुपये तक के सिविल कार्यों के सरकारी निविदाओं और 1 करोड़ रुपये तक के गुड्स/सर्विसेस के ठेकों में 4% कोटा के लिए पात्र होंगे। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस कदम का बचाव करते हुए कहा कि यह सरकार की सामाजिक न्याय और अल्पसंख्यकों के आर्थिक उत्थान के प्रति प्रतिबद्धता दिखाता है। दूसरी तरफ, भाजपा ने कांग्रेस पर तुष्टिकरण की राजनीति में लिप्त होने का आरोप लगाया है।
कर्नाटक प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष विजयेंद्र येदियुरप्पा ने शुक्रवार को कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि सरकारी निविदाओं में मुस्लिम ठेकेदारों को चार फीसदी आरक्षण देने का फैसला ‘खुलेआम तुष्टीकरण की राजनीति’ है। भाजपा और जनता दल (सेक्युलर) ने एक मंत्री तथा अन्य नेताओं से जुड़े कथित ‘हनी ट्रैप’ प्रयास की न्यायिक जांच उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से कराने की भी मांग की और इस मुद्दे पर भी सदन में हंगामा किया।