क्या है पाकिस्तान का 'गला दबाने' वाला तुलबुल प्रोजेक्ट जिसपर भिड़ गए उमर और महबूबा
बारामुला में वुलर झील पर प्रस्तावित तुलबुल प्रोजेक्ट को लेकर उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती में तीखी बहस हो गई। इस प्रोजेक्ट पर पाकिस्तान ने दशकों पहले आपत्ति जताई थी। फिर से प्रोजेक्ट को शुरू करने की तैयारी है।

कश्मीर में तुलबुल नौवहन बैराज योजना को मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एक बार फिर से शुरू कर दिया है। वहीं इस परियोजना को लेकर उमर अब्दुल्ला और पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती आमने-सामने आ गए हैं। उमर अब्दुल्ला ने सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) के निलंबित रहने के मद्देनजर वुलर झील पर तुलबुल नौवहन परियोजना को बहाल करने का आह्वान किया और महबूबा ने इस आह्वान को ‘गैर-जिम्मेदाराना’ और ‘खतरनाक रूप से भड़काऊ’ बताया।
मुख्यमंत्री ने पलटवार करते हुए कहा कि वह इस बात को स्वीकार करने से इनकार कर रही हैं कि सिंधु जल संधि जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ ‘ऐतिहासिक विश्वासघात’ है, क्योंकि वह ‘ओछे’ प्रचार और सीमा पार के कुछ लोगों को खुश करने की ‘अंध लालसा’ में डूबी हुई हैं। उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि तुलबुल नौवहन बैराज का काम 1980 में शुरू किया गया था लेकिन इसके बाद सिंधु जल संधि का हवाला देकर पाकिस्तान ने इसपर आपत्ति जताई और फिर काम रुक गया। उन्होंने कहा कि अगर तुलबुल परियोजना पूरी हो जाती है, तो इससे झेलम का इस्तेमाल नौवहन के लिए करने में मदद मिलेगी।
महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा कि परियोजना को बहाल करने का उनका आह्वान ‘बेहद दुर्भाग्यपूर्ण’ है।
मुफ्ती ने कहा ‘भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का तुलबुल नौवहन परियोजना को बहाल करने का आह्वान बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।’ उन्होंने कहा‘ऐसे समय में जब दोनों देश पूर्ण युद्ध के कगार से पीछे हटे हैं तथा जम्मू-कश्मीर में निर्दोष लोगों की जान गई है, व्यापक विनाश हुआ और लोग अपार पीड़ा झेल रहे हैं, तब ऐसे बयान न केवल गैर-जिम्मेदाराना हैं, बल्कि खतरनाक रूप से भड़काऊ भी हैं।’ उन्होंने कहा कि पानी जैसी जीवनदायी चीज को हथियार बनाना गलत है। इससे मामला अंतरराष्ट्रीय बन सकता है।
क्या है तुलबुल प्रोजेक्ट?
जानकारों का कहना है कि तुलबुल प्रोजेक्ट कश्मीर के निवासियों के लिए वरदान हो सकता है। यह माल और यातायात के लिए एक अंतरराज्यीय चैनल का काम करसकता है। नौवहन के लिए झील की गहराई जरूरी है सर्दियों में केवल ढाई फीट पानी रह जाता है। ऐसे में नौवहन रुक जाता है। अनंतनाग से श्रीनगर और बारामुला तक 20 किलोमीटर रास्ते पर और बारामुला से सोपोर के बीच 22 किमी के मार्ग पर सालभर नौवहन बनाए रखने के लिए यह प्रोजेक्ट आवश्यक है।
तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट को वुलर बैराज भी कहा जाता है। यह बारामुला में वुलर झील के मुहाने पर बनाया जानए वाला एक कंट्रोल स्टरक्चर है। इससे झेलम नदी के बहाव को नियंत्रित किया जा सकता है। इससे झेलम नदी में पानी रोककर परिवहन को आसान बनाया जा सकता है।
पाकिस्तान की सांस क्यों फूल रही?
पहलगाम हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है। वहीं तुलबुल प्रोजेक्ट का विरोध पाकिस्तान पहले से ही करता रहा है। उसका कहना है कि सिंधु जल संधि के तहत यह स्टोरेज बैराज उल्लंघन है। झेलम नदी की मुख्य धारा पर जस संग्रहण नहीं किया जा सकता। पाकिस्तान का कहना है कि इस परियोजना की वजह से पाकिस्तान में जल उपयोग नहीं हो पाएगा। वहीं भारत का कहना है कि इसमें जल की खपत नहीं करनी है। केवल सर्दियों में पानी को नियंत्रित करना है। अगर वुलर झील पर यह प्रोजेक्ट बनता है तो निचले इलाकों में बाढ़ का भी खतरा कम हो जाएगा।
जानकारों का कहना है कि अभी सिंधु जल संधि निलंबित है। ऐसे में भारत पाकिस्तान की बात मानने को बाध्य नहीं है। यह तुलबुल प्रोजेक्ट के लिए भी सही समय है। अब यह प्रोजेक्ट अंतरराष्ट्रीय कूटनीति से भी जुड़ गया है। यह प्रोजेक्ट कश्मीर में बहने वाली नदियों की दिशा तय कर सकता है।