यह रिश्ता क्या कहलाता है, केसीआर की BRS में भाई-बहन के बीच क्यों शुरू हो गया घमासान?
BRS की लीडरशिप को लेकर केटी रामा राव और के कविता के बीच खींचतान किसी से छिपी नहीं है। एक तरफ केटीआर की पकड़ पार्टी के कार्यकर्ताओं पर मजबूत है तो दूसरी तरफ के कविता ओबीसी समाज को लेकर आगे चलना चाहती हैं।

भारत राष्ट्र समिति (BRS) चीफ के चंद्रशेखर राव के परिवार में ही पार्टी पर अधिकार को लेकर खींचतान शुरू हो गई है। पार्टी के मामलों के जानकारों का कहना है कि विधान परिषद की सदस्य केसीआर की बेटी के कविता ने आशंका जताई है कि उनके भाई केटी रामा राव ही उन्हें पार्टी में साइडलाइन करने की कोशिश कर रहे हैं। पार्टी के सूत्रों का कहना है कि केसीआर अब पार्टी की रोजाना की गतिविधियों में कम रुचि ले रहे हैं। वहीं केटीआर ज्यादा ऐक्टिव हो गए हैं। मौके पर वह पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। ऐसे में वह पार्टी की कमान भी अपने हाथ में लेने की कोशिश कर रहे हैं।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, पार्टी के अंदर चर्चाएं चल रही हैं कि जल्द ही केटीआर राज्य के बीआरएस चीफ बन सकते हैं। वहीं केसीआर एक बार फिर से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेंगे। केसीआर के भतीजे और पूर्व मंत्री टी हरीश राव ने बी कहा कि वह केटीआर के अंडर काम करने को तैयार हैं। अगर केसीआर उन्हें पार्टी अध्यक्ष बनाते हैं तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी। उन्होंने कहा, हम दो दशकों से केसीआर के वफादार रहे हैं और उनका हर फैसला हमारे लिए मान्य होगा।
बीआरएस के एक अन्य सीनियर नेता वी श्रीनिवास गौड़ ने कहा केटीआर केसीआर के स्वाभाविक उत्तराधिकारी हैं। पार्टी के हर एक कार्यकर्ता को यह बात पता है। ऐसे में पार्टी के कार्यकर्ता भी आम सहमति से केटीआर को स्वीकार करेंगे। वहीं केसीआर की बेटी के कविता खुद को पार्टी चलाने के योग्य दिखाने में कमी नहीं छोड़ रही हैं। पिछले कुछ सप्ताह से वह बेहद ऐक्टिव हैं। फिलहाल के कविता ओबीसी और महिलाओं में अपना विश्वास बनाने के लिए राज्य के सफर पर निकली हैं।
पार्टी के एक पदाधिकारी ने कहा, केटीआर नहीं चाहते कि पार्टी के अंगर उनकी बहन भी वैकल्पिक पावर सेंटर बनें। केटीआर का कहना है कि ममई 2024 के लोकसभा चुनाव में के कविता की वजह से पार्टी को काफी नुकसान हुआ क्योंकि उस समये उन्हें दिल्ली शराब घोटाले के आरोप में जेल में डाल दिया गया था। बता दें कि 15 मार्च 2024 को के कविता को गिरफ्तार किया गया था। वहीं 27 अगस्त को उन्हें जमानत मिली।
जेल से निकलने के बाद के कविता ने राज्य का दौरा शुरू किया। 3 जनवरी को ओबीसी की मांगों को लेकर के कविता ने हैदराबाद में बड़ी रैली की थी। उन्होंने तेलंगाना सरकार में कास्ट सर्वे की कमियों का मुद्दा उठाया। के कविता ओबीसी समाज का मुद्दा उठाती हैं जो कि केटीआर के लिए चिंता का विषय है। पार्टी का अजेंडा कभी ओबीसी के साथ नहीं जुड़ा रहा है। 27 अप्रैल को वारंगल में बीआरएस की रैली थी जिसमें केटीआर और केसीआर के कटआउट्स लगे थे। कहीं भी के कविता का नाम नहीं था। पार्टी में शुरू हुई यह खींचतान कहां जाकर खत्म होगी, इसका फैसला भविष्य ही करेगा।