सुबह 10:30 बजे से यहां बैठा हूं, रात नौ बजे तक सुनवाई कर पस्त हुए HC में जज साहब
जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर ने बुधवार को रात 9 बजे तक मामलों पर सुनवाई की। पूरी सूची खत्म किए जाने के बाद भी उनके पास आवेदकों की कमी नहीं थी।

दफ्तर में काम करते रहने से थकान होना स्वाभाविक है। फिर चाहे अधिकारी हो या आम कर्मचारी, थकते सभी हैं। फैसला सुनाने वाले न्यायाधीश भी इससे अछूते नहीं हैं। ताजा मामला दिल्ली हाईकोर्ट का है, जहां जज साहब हरीश वैद्यनाथन दिनभर की गई सुनवाई थक गए।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस वैद्यनाथन ने बुधवार को रात 9 बजे तक मामलों पर सुनवाई की। पूरी सूची खत्म किए जाने के बाद भी उनके पास आवेदकों की कमी नहीं थी। जल्द सुनवाई के लिए समय मांग रहे आवेदक से उन्होंने कहा, 'मैं अपने छोर के अंत में हूं और मेरी सूची के भी। अगर आप इस तरफ आकर बैठेंगे तो समझेंगे। मैं यहां सुबह 10 बजकर 30 मिनट से बैठा हूं।
दिन के अंतिम मामले पर सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा, 'अब इस समय तक मेरी ताकत पूरी तरह से खत्म हो चुकी है। वाकई यह बहुत लंबा दिन था।' जस्टिस वैद्यनाथन को 8 जनवरी 2025 को ही दिल्ली हाईकोर्ट में जज नियुक्त किया गया है।
विधवा की संपत्ति में तोड़फोड़ करने से जुड़े केस में सुनवाई
दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की ओर से एक विधवा को दिए गए उस नोटिस पर यथास्थिति को बनाए रखने का आदेश दिया है जिसमें अवैध निर्माण का दावा करते हुए उनकी संपत्ति में तोड़फोड़ करने का उल्लेख किया गया है।
अदालत इशरत जहां की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो पिछले 25 वर्षों से बाटला हाउस इलाके में रह रही हैं। उनकी इमारत पर 26 मई को ध्वस्त करने से जुड़ा नोटिस चस्पा कर दिया गया था, जिसमें उन्हें अनुपालन के लिए 15 दिन का समय दिया गया था।
जस्टिस वैद्यनाथन को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के वकील ने सूचित किया कि वे याचिकाकर्ता की संपत्ति सहित बाटला हाउस क्षेत्र से संबंधित सीमांकन रिपोर्ट के आधार पर प्रस्तावित कार्रवाई और सर्वेक्षण रिपोर्ट को रिकॉर्ड में रखेंगे।
हालांकि, अदालत ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया और सुनवाई की अगली तारीख 10 जुलाई तय की। डीडीए के वकील ने दलील दी कि उच्चतम न्यायालय के सात मई, 2025 के आदेश के तहत ध्वस्त की जाने वाली संपत्तियों के संबंध में जिलाधिकारी के कार्यालय से सीमांकन रिपोर्ट मांगी जानी चाहिए।