दिल्ली में प्रदूषण के लिए अस्पताल-होटल सहित ये 4 क्षेत्र ज्यादा जिम्मेदार, क्या कहते हैं DPCC के आंकड़े
राजधानी दिल्ली में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने और प्रदूषण के लिए कई अलग-अलग कारक जिम्मेदार हैं, लेकिन चार सेक्टर ऐसे हैं जिनसे पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुक्सान पहुंचा है।

राजधानी दिल्ली में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने और प्रदूषण के लिए कई अलग-अलग कारक जिम्मेदार हैं, लेकिन चार सेक्टर ऐसे हैं जिनसे पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुक्सान पहुंचा है। दिल्ली पलूशन कंट्रोल कमेटी (डीपीसीसी) के आंकड़े बताते हैं कि निर्माण क्षेत्र, अस्पताल, होटल और गैर अधिकृत क्षेत्र में चलने वाले उद्योगों पर सबसे ज्यादा जुर्माना लगाया गया।
डीपीसीसी ने अप्रैल 2015 से जून 2024 तक पर्यावरण क्षति के चलते लगाए गए जुर्माने को अलग-अलग सेक्टर के आधार पर विभाजित किया है। आंकड़े बताते हैं कि इस दौरान कुल मिलाकर 95 करोड़ 93 लाख रुपये का जुर्माना वसूला गया। खास बात यह है कि इस जुर्माने का लगभग 60 फीसदी हिस्सा सिर्फ अस्पताल, होटल, निर्माण और उद्योग से वसूल किया गया।
डीसीपीसी के मुताबिक, सबसे ज्यादा 18 करोड़ 31 लाख का जुर्माना निर्माण क्षेत्र पर हुए नियमों के उल्लंघन के चलते पर्यावरण क्षतिपूर्ति के तौर पर वसूला गया। अस्पताल से 17 करोड़ 68 लाख, होटल क्षेत्र से 13 करोड़ 34 लाख और गैर अधिकृत क्षेत्र में मौजूद उद्यमों से 14 करोड़ 8 लाख रुपये वसूले गए। पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए निर्धारित नियमों और दिशानिर्देशों का पालन कराना इन सेक्टरों में सबसे ज्यादा चुनौती भरा साबित हो रहा है।
धूल और जल प्रदूषण के मामले ज्यादा
निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण के लिए डीपीसीसी की ओर से दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। इनका पालन नहीं करने से धूल उड़ती है और लोगों को परेशानी झेलनी पड़ती है। अस्पताल, होटल और उद्योगों आदि से निकलने वाले प्रदूषित जल के निस्तारण के लिए भी नियमों का पालन किया जाना चाहिए। ऐसा नहीं होने से प्रदूषित जल खुली नालियों या नाले में चला जाता है और वहां से यमुना में मिलकर नदी के पानी को जहरीला बना देता है।
कचरा-मलबा डालना भी बड़ी परेशानी
राजधानी के पर्यावरण को खराब करने में खुले में लगाई जाने वाली आग की बड़ी हिस्सेदारी होती है। खुले में कचरा, मलबा, पत्ती-लकड़ी आदि का डालना भी बड़ी परेशानी है। डीपीसीसी द्वारा उपरोक्त अवधि में इस तरह के नियमों का उल्लंघन करने वालों से छह करोड़ 79 लाख रुपये का जुर्माना वसूला गया। प्लास्टिक प्रतिबंधों का उल्लंघन करने वालों से एक करोड़ 99 लाख और अवैध बोरवेल लगाने वालों पर एक करोड़ 45 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया।
पांच साल में सबसे साफ रही साल की पहली तिमाही
राजधानी दिल्ली में साल की पहली तिमाही पांच सालों में सबसे साफ रही। केन्द्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के मुताबिक, इस बार जनवरी से मार्च तक औसत एक्यूआई 231 रहा, जो पांच साल में सबसे कम है। वहीं, हवा की गति बढ़ने के चलते सोमवार को वायु अपेक्षाकृत साफ-सुथरी रही। डीपीसीसी के मुताबिक, दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 160 अंक पर रहा। इस स्तर की हवा को मध्यम श्रेणी में रखा जाता है।
वायु प्रदूषण रोकथाम पर आज कैग रिपोर्ट पेश होगी
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता मंगलवार को फिर एक कैग रिपोर्ट विधानसभा में पेश करने जा रही है। यह रिपोर्ट वाहनों से होने वाले प्रदूषण के रोकथाम को लेकर उठाए गए कदम को लेकर आएगी। सदन में अब तक कुल पांच से अधिक कैग रिपोर्ट पेश हो चुकी है। दिल्ली सरकार की 11 कैग रिपोर्ट लंबे समय से लंबित थी। पिछली सरकार ने इनको सदन में नहीं रखा था। भाजपा ने सरकार गठन के बाद कैग रिपोर्ट को सबसे पहले पेश करने का वादा किया था। भाजपा सरकार ने सबसे पहले शराब नीति को लेकर अपनी पहली कैग रिपोर्ट पेश की है। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग और डीटीसी की कैग रिपोर्ट भी पेश की है।