DPS द्वारका ने शिक्षा निदेशालय का आदेश भी नहीं माना; बाउंसरों ने बाहर किए छात्र; माता-पिता का क्या आरोप
शिक्षा निदेशालय ने छात्रों को सूची से हटाने के कदम को अदालत के निर्देशों का उल्लंघन बताया था और स्कूल को अभिभावकों को परेशान करने या बलपूर्वक कार्रवाई करने के खिलाफ चेतावनी दी थी।

द्वारका के दिल्ली पब्लिक स्कूल ने उन 32 छात्रों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है जिन्होंने बढ़ी हुई फीस नहीं दी। शुक्रवार को भी स्कूल की तरफ से तैनात किए गए बाउंसरों ने बच्चों को स्कूल के अंदर नहीं जाने दिया। जबकि शिक्षा निदेशालय (डीओई) ने एक दिन पहले ही उन्हें बहाल करने का आदेश दिया था। डीओई ने छात्रों को सूची से हटाने के कदम को अदालत के निर्देशों का उल्लंघन बताया था और स्कूल को अभिभावकों को परेशान करने या बलपूर्वक कार्रवाई करने के खिलाफ चेतावनी दी थी। हालांकि शुक्रवार को भी बच्चों को स्कूल के अंदर नहीं जाने दिया गया।
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक शुक्रवार को स्कूल के गेट पर कम से कम चार पुरुष और दो महिला बाउंसर मौजूद थे। जैसे ही निष्कासित छात्रों ने स्कूल में घुसने की कोशिश की, शिक्षकों और सुरक्षा कर्मियों ने उनके नाम की जांच की और बिना किसी सफाई के उन्हें वापस भेज दिया। स्कूल परिसर में शिक्षा विभाग का कोई अधिकारी मौजूद नहीं था।
एक अभिभावक विनय राजपूत ने कहा कि स्कूल के गेट पर पुरुष बाउंसरों ने उनकी बेटी को रोक दिया। उन्होंने कहा, स्कूल किसी भी आदेश को सुनने के लिए तैयार नहीं है। यह सुरक्षा बढ़ाकर हमे डराने की कोशिश कर रहा है। जानकारी के मुताबिक 32 छात्रों को स्कूल के व्हाट्सएप ग्रुप से हटा दिया गया है, और उन्हें गर्मी की छुट्टियों की योजनाओं या होमवर्क के बारे में भी कोई जानकारी नहीं है।
एक अन्य अभिभावक प्रवीण मेनन ने कहा कि स्कूल बस बच्चों को पिक नहीं कर रही। उन्होंने कहा, मैं अपने बेटे को छोड़ने आया था, लेकिन स्कूल ने उसे वापस भेज दिया और उसे क्लास में नहीं जाने दिया। तीसरे अभिभावक ने कहा कि स्कूल ने अतिरिक्त सुरक्षा और डराने-धमकाने की रणनीति के साथ यह साफ कर दिया कि वे किसी भी अदालत या डीओई के आदेश का सम्मान नहीं करते हैं। डीओई के गुरुवार के आदेश में कहा गया है कि फीस का भुगतान न करने के कारण किसी भी बच्चे को परेशानी नहीं होनी चाहिए। इसमें कहा गया है, जब मामला हाई कोर्ट में सूचीबद्ध है, तब भी छात्रों के नाम काटने के पीछे कोई तर्क नहीं है। डीओई की उप निदेशक (निजी स्कूल शाखा) सुशिता बिजू ने कहा, "स्कूल प्रबंधन द्वारा कथित बढ़ी हुई फीस का भुगतान न करने के कारण जिन 32 छात्रों के नाम काटे गए हैं, उन्हें स्कूल की सूची में वापस लें।