गर्मी न चुरा ले आपकी त्वचा का नूर, ऐसे करें बचाव वर्ना समय से पहले दिखेंगी बूढ़ी
गर्म हवाएं न सिर्फ सेहत को बिगाड़ती है बल्कि त्वचा को भी झुलसा देती है। कैसे त्वचा को इन गर्म हवाओं के थपेड़ों से बचाकर रखें, बता रही हैं त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. आकृति चावला

गर्मी के मौसम में हमें मीठे आम, रसीले खरबूज-तरबूज, ठंडे-ठंडे ड्रिंक्स, छुट्टियां और घूमने-फिरने का भरपूर मौका मिलता है। पर, इनके साथ ही यह मौसम अपने साथ तेज तापमान, गर्म हवा और यूवी किरणों का बढ़ा हुआ संपर्क। गर्मी का यह मौसम न सिर्फ सेहत बल्कि त्वचा के लिए भी हानिकारक साबित हो सकता है। तेज तापमान और सूखी गर्म हवा बहुत तेजी से त्वचा से पानी सोखने लगती है। लंबे समय तक इस स्थिति में रहने से त्वचा रूखी, बेजान और उम्र से पहले बूढ़ी दिख सकती है। समय रहते सावधानी न बरतने पर यह नुकसान स्थायी भी हो सकता है।
गर्म हवा का त्वचा पर असर
ज्यादा तापमान और तेज गर्म हवाएं त्वचा पर स्थायी और अस्थायी दोनों तरह का प्रभाव छोड़ती है। टैनिंग, हल्की कालिमा, त्वचा का रूखापन आदि गर्म हवाओं के कारण त्वचा पर होने वाले अस्थायी प्रभाव है। धूप के संपर्क में कम रहने पर ये सारी समस्याएं ठीक भी हो जाती हैं। वहीं, चेहरे, गर्दन और हाथों पर काले धब्बे, असामान्य रंग, झुर्रियां और यहां तक कि गर्म हवाओं के कारण त्वचा पर प्री-कैंसरस बदलाव भी हो सकते हैं।
सनस्क्रीन का सुरक्षा चक्र
गर्म हवाओं के थपेड़ों से त्वचा को बचाने में सनस्क्रीन सबसे ज्यादा कारगर साबित होता है। सनस्क्रीन को मुख्य रूप से दो प्रकारों में बांटा जाता है: फिजिकल (मिनरल) और केमिकल। सनस्क्रीन का यह बंटवारा उनमें इस्तेमाल होने वाली सक्रिय सामग्री और उनके काम करने के तरीके के आधार पर किया जाता है। फिजिकल सनस्क्रीन में जिंक ऑक्साइड या टाइटेनियम डाइऑक्साइड जैसे मिनरल होते हैं। ये त्वचा की सतह पर बैठकर यूवी किरणों को परावर्तित करते हैं, जिससे तुरंत सुरक्षा मिलती है। फिजिकल सनस्क्रीन संवेदनशील त्वचा, बच्चों और स्किन ट्रीटमेंट के बाद के लिए उपयुक्त होते हैं, क्योंकि इनमें जलन की आशंका कम होती है। हालांकि, इनसे त्वचा पर सफेद परत दिख सकती है, विशेष रूप से गहरे रंग की त्वचा पर, लेकिन नई तकनीकों से यह समस्या अब कम हो गई है। वहीं केमिकल सनस्क्रीन में एवोबेनजोन, ऑक्सीबेंजोन, ऑक्टिनोक्सेट या ऑक्टोक्रिलीन जैसे कार्बन-आधारित यौगिक होते हैं। ये यूवी किरणों को सोखकर उन्हें गर्मी में बदल देते हैं। इनकी बनावट हल्की होती है, जिससे यह मेकअप के नीचे लगाने के लिए बेहतर होते हैं। हालांकि, ये तत्व संवेदनशील त्वचा में जलन या आंखों में चुभन पैदा कर सकते हैं।
सनस्क्रीन पर एसपीएफ (सन प्रोटेक्शन फैक्टर) लिखा होता है, जो यूवीबी सुरक्षा को दर्शाता है। त्वचा के प्रकार, जीवनशैली और पसंद के अनुसार सही सनस्क्रीन चुनना जरूरी है। तैलीय या मुहांसे वाली त्वचा के लिए जेल-बेस्ड या मैट फिनिश वाले सनस्क्रीन अच्छे होते हैं, जबकि रूखी त्वचा के लिए क्रीम-बेस्ड और मॉइस्चराइजिंग तत्वों वाले सनस्क्रीन बेहतर होते हैं। प्रभावी सुरक्षा के लिए रोजाना, इसका उपयोग जरूरी है।
कैसे दें त्वचा को सुरक्षा चक्र
दिन भर में आठ से दस गिलास पानी पिएं। नारियल पानी, आम पन्ना, छाछ जैसे पेय को अपने आहार में शामिल करें।
एसपीएफ 50+ वाला सनस्क्रीन प्रतिदिन लगाएं, चाहे आप घर में हों या कार में। बाहर हों तो हर दो-तीन घंटे में लगाएं।
सर पर टोपी, दुपट्टा, धूप का चश्मा और हल्के कपड़े पहनें।
छाते का उपयोग करें। यह सिर्फ धूप से ही नहीं, बल्कि लू जैसी गर्म हवाओं से भी बचाता है।
तरबूज, खरबूजा, खीरा, संतरा जैसे फलों को नियमित आहार का हिस्सा बनाएं। ये शरीर को ठंडा रखते हैं और त्वचा को जरूरी नमी प्रदान करते हैं।
छह महीने से छोटे शिशुओं को छाया में रखें और कपड़ों से ढकें।
बड़े बच्चों के लिए केवल जिंक ऑक्साइड युक्त सनस्क्रीन का उपयोग करें।
उम्र के साथ त्वचा पतली हो जाती है, जिससे ट्रांसएपिडर्मल वाटर लॉस अधिक होता है। ऐसे में बुजुर्गों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है।
रोजाना मॉइस्चराइजर का उपयोग करें, चाहे गर्मी हो या सर्दी।
(लेखिका सर्वोदय हॉस्पिटल, ग्रेटर नोएडा में कंसल्टेंट हैं)
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