लोकल प्लांटों की निर्माण सामग्री डाल, कर दिया करोडों की सड़कों का निर्माण
- सड़कों के निर्माण में कंपनी के प्लांटों की निर्माण सामग्री का करना होता है प्रयोग

गुरुग्राम, कार्यालय संवाददाता। नगर निगम गुरुग्राम और मानेसर निगम में सड़कों के निर्माण में भारी गड़बड झाला किया जा रहा है। निगम अधिकारियों ने ठेकेदारों के साथ मिलीभगत करके निर्माण सामग्री के साथ समझौता कर दिया। निगम अधिकारियों ने कंपनी के प्लांटों की बजाय लोकल प्लांटो की निर्माण सामग्री सड़क निर्माण में प्रयोग कर दी। जबकि नियमों के अनुसार नगर निगम गुरुग्राम द्वारा तीन सीमेंट कंपनियों के प्लांटों के निर्माण सामग्री प्रयोग करने को अनुमति दी हुई है। वहीं मानेसर निगम में बनी 200 करोड़ की आरएमसी की सड़कों में कहीं पर भी कंपनी की निर्माण सामग्री नहीं डाली गई है। मानेसर निगम में तो चार साल बीत जाने के बाद भी आज तक किसी भी कंपनी की निर्माण सामग्री को अनुमति ही नहीं दी है। जबकि नगर निगम गुरुग्राम में 2008 से ही तीन कंपनियों की निर्माण सामग्री डालने की अनुमति दी हुई है।
बता दें कि नगर निगम गुरुग्राम और मानेसर में बीते पांच साल में करीब 600 करोड़ रुपये से अधिक की सड़कों का निर्माण किया जा चुका है। इन सड़कों के निर्माण में नियमों के अनुसार सीमेंट की कंपनियों में तैयार हुआ कंक्रीट सामग्री डालनी होती है। नगर निगम गुरुग्राम ने अल्ट्राटेक, न्यू यूको और एसीसी कंपनियों की निर्माण सामग्री डालने की अनुमति दी हुई है। नियमों के अनुसार निगम के ठेकेदारों द्वारा सड़क निर्माण में इन कंपनी के कंक्रीट सामग्री डालनी होती है, लेकिन नगर निगम गुरुग्राम ने बीते पांच साल में अकेले 310 करोड़ रुपये की लागत से सड़कों का निर्माण किया है। इनमें से 95 फीसदी ठेकेदारों ने अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके लॉकल सीमेंट प्लांटों की निर्माण सामग्री सड़क निर्माण में डाल दी। यहीं कारण है कि सीमेंट से बनी सड़कें 30 साल चलने की बजाय तीन साल भी नहीं चल रही है।
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- मानेसर में नहीं है कोई कंपनी को अनुमति
मानेसर निगम में सड़कों के निर्माण में भारी लापरवाही बरती गई है। निगम सूत्रों के अनुसार मानेसर निगम ने आज तक एक भी सीमेंट कंपनी को अनुमति नहीं दी हुई है। इस कारण बीते चार साल में बनी सभी सड़कों में लोकल सीमेंट प्लांटों में बनी निर्माण सामग्री ही सड़कों के निर्माण में प्रयोग की गई है। चार साल में बनी 90 फीसदी सड़कों पर अब दरारें आनी शुरू हो गई है। गांव अंदर बनी सड़कें तो अभी से ही टूटने लगी है, जबकि इन सड़कों की उम्र करीब 30 साल तक होती है।
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- मेटल की नहीं की रिकवरी, कर दी करोड़ों की गड़बड़ी
निगम के एक पूर्व इंजीनियर ने बताया कि पहले शहर और सेक्टरों के अंदर तारकोल से बनी सड़कें थी। इन सड़कों के नीचे मेटल डाला जाता है, जिसे आम भाषा में रोड़ी कहा जाता है। निगम अधिकारियों ने इन सड़कों को तोड़कर इनकी जगहों पर सीमेंट की सड़कें बना दी। तारकोल की सड़कों के ऊपर कंक्रीट और नीचे का मेटल अधिकारियों और ठेकेदारों ने मिलीभगत करके बेच दिया, जबकि बिलों के भुगतान में इनकी रिकवरी करनी होती है। तारकोल की सड़क तोड़ने के दौरान निकलने वाले कंक्रीट और मेटल दोनों ही दोबारा प्रयोग में किया जाता है, लेकिन ऐसा नहीं करके निगम के राजस्व को नुकसान पहुंचाने का काम किया गया है। इसके अलावा अधिकारियों ने बिलों के भुगतान में पुरानी सड़क की निर्माण सामग्री को लोडिंग और अनलोडिंग के रुपयों का भी ठेकेदारों को लाखों रुपयों का भुगतान कर दिया है।
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- मोटाई भी कर दी आधी
सड़क निर्माण के दौरान निगम की विजिलेंस द्वारा की गई जांच में यह भी सामने आया है कि सीमेंट की सड़कों के निर्माण के दौरान निजी ठेकेदार टेंडर में दी गई सड़क की मोटाई नहीं बनाते हैं। मुख्य सड़क के लिए 12 ईंच्छ की मोटाई होती है, जबकि गलियों की मोटाई आठ ईच्छ होती है। निजी ठेकेदार और अधिकारी मिलीभगत करके मुख्य सड़क को आठ ईंच्छ और अंदर की गलियों को छह ईंच्छ बनाते हैं। इस कारण निगम अधिकारियों और ठेकेदारों ने मिलीभगत करके निगम के राजस्व को नुकसान पहुंचाया है।
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: कोट
सड़कों के निर्माण में नियमों के अनुसार ही निर्माण सामग्री का ही प्रयोग किया गया है। अगर कहीं भी कोई लापरवाही बरती गई है तो उन सड़कों की जांच करवाई जाएगी।
- मनोज यादव, मुख्य अभियंता, नगर निगम, गुरुग्राम।
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