मिलेनियम सिटी में जागरुकता की वजह से कम हुए मलेरिया के मामले
गुरुग्राम में मलेरिया नियंत्रण के प्रयासों का सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहा है। पिछले पांच वर्षों में केवल चार मामले सामने आए हैं। स्वास्थ्य विभाग की सक्रियता और गंबूजिया मछली का उपयोग लार्वा...

गुरुग्राम। जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा मेलरिया नियंत्रण को लेकर किए जा रहे प्रयासों का अब सकारात्मक असर दिखाई देने लगा है। जागरुकता से ही मिलेनियम सिटी में पांच वर्षों से मलेरिया नियंत्रण में हैं। गुरुग्राम में बीते पांच सालों में सिर्फ चार ही मामले मलेरिया के सामने आए है। बता दें कि हरियाणा में साल 2015 में मलेरिया से एक की मौत हुई थी। उसके बाद से कभी कोई मौत नहीं हुई है। गुरुग्राम में पांच वर्षो से मलेरिया नियंत्रण में हैं। वर्ष 2019 में मलेरिया के 15 मामले आए थे। इसके बाद मलेरिया के मामलों में लगातार गिरावट दर्ज की। वर्ष 2020 व 2021 में चार-दो मामले आए थे। वहीं वर्ष 2022 और 2023 में मलेरिया का कोई मामला नहीं आया था। साल 2024 में मलेरिया के दो मामले सामने आए थे। मार्च 2025 तक कोई मामले की पुष्टि नहीं हुई है। हालांकि पिछले वर्ष मलेरिया के मामलों में बढ़ोतरी हुई थी,पिछले वर्ष मलेरिया के दो मामले आए थे।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियेां के अनुसार वह पूरे वर्ष सरकार द्वारा डेंगू एवं मलेरिया नियंत्रण को लेकर बनाई गई योजना चलाते हैं। दिसंबर और जनवरी में तेज ठंड की वजह से मच्छरों को पनपने का मौका नहीं मिलता। मौसम के सामान्य होने के साथ ही एंटी लार्वा एक्टिविटी शुरू कर दी जाती है और बारिश के बाद भी इस अभियान में तेजी लाई जाती है। स्वास्थ्य विभाग के फील्ड वर्करों की टीम घर-घर जाकर एंटी लार्वा एक्टिविटी चलाती है और मच्छरों का लार्वा मिलने पर उसे समाप्त करने के साथ संबंधित व्यक्ति को नोटिस भी थमाते हैं। बता दे कि साल 2024 में जिले की रैपिड टीमों ने तीन लाख 54 हजार 997 घरों में जाकर स्क्रीनिंग करने के साथ-साथ उनको जागरूक भी किया गया था। साल 2025 में मार्च तक टीमों ने 90 हजार 895 घरों में जाकर स्क्रीनिंग की।
जल भराव में छोड़ी जाती हैं गंबूजिया मछली
स्वास्थ्य विभाग बारिश के एकत्र होने वाले स्थानों पर गंबूजिया मछली अच्छी संख्या में छोड़ता है।मच्छरों का लार्वा गंबूजिया मछली का भोजन होता है। इससे लार्वा मच्छर के रूप में विकसित नहीं हो पाता है।स्वास्थ्य विभाग गांवों के तालाबों, पार्कों, ऐसे गड्ढे जहां कई दिनों तक पानी रहता है।स्वास्थ्य विभाग की यह प्रक्रिया सावन के दौरान और अधिक बार की जाती है। बारिश के दिन ही मच्छरों की ब्रीडिंग के लिए उपायुक्त होते हैं।
मलेरिया पीड़ितों की लगातार ट्रेसिंग
स्वास्थ्य विभाग मलेरिया पीड़ितों की ट्रेसिंग लगातार करता है। उसे मलेरिया के पीड़ित के उसके परिवार वालों के सैंपल लेकर जांच की जाती है और मानसून के दौरान एक कंट्रोल रूम स्थापित किया जाता है। इसमें ड्यूटी देने वाले मलेरिया पीड़ित एवं उसके परिजनों के संपर्क रहता है। इससे भी मलेरिया को नियंत्रण करने में काफी सहायता मिलती है।
सिविल सर्जन डॉ.अल्का सिंह का कहना है कि गुरुग्राम में बीते पांच वर्षों से मलेरिया नियंत्रण में है। मलेरिया को नियंत्रित करने के लिए बनाई गई गाइड लाइन को पूरे साल अनुसरण करते हैं। 12 में से आठ महीने एंटी लार्वा एक्टिविटी चलाते है। इसके अलावा दिसंबर व जनवरी को छोड़कर पूरे साल गंबूजिया मछली उन स्थानों पर छोड़ी जाती है, जहां मच्छर के पनपने की संभावना रहती है। अब पहली बारिश के साथ ही फिर से अभियान शुरू कर दिया जाएगा।
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