Interim stay on demolition of Batla House Delhi High Court gives big relief बटला हाउस में बुलडोजर एक्शन पर लगा दिल्ली हाई कोर्ट का ब्रेक, जानिए कितने दिन की मिली राहत, Ncr Hindi News - Hindustan
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बटला हाउस में बुलडोजर एक्शन पर लगा दिल्ली हाई कोर्ट का ब्रेक, जानिए कितने दिन की मिली राहत

दिल्ली बटला हाउस इलाके में अवैध निर्माण के खिलाफ चल रहे डीडीए के बुलडोजर एक्शन पर हाई कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है।

Anubhav Shakya लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली, एएनआईTue, 17 June 2025 12:43 PM
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बटला हाउस में बुलडोजर एक्शन पर लगा दिल्ली हाई कोर्ट का ब्रेक, जानिए कितने दिन की मिली राहत

दिल्ली के बटला हाउस में छह संपत्तियों के ध्वस्तीकरण पर दिल्ली हाईकोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है। यह खबर स्थानीय निवासियों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आई है, जो डीडीए के नोटिस के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचे थे।

क्या है पूरा माजरा?

दिल्ली के दक्षिण-पूर्वी ओखला क्षेत्र में बटला हाउस की छह संपत्तियों को डीडीए ने मई 2025 में ध्वस्तीकरण का नोटिस जारी किया था। निवासियों का कहना है कि इनमें से कुछ संपत्तियां खसरा नंबर 279 के बाहर हैं, जबकि कुछ इस खसरा के भीतर। खास बात यह है कि ये संपत्तियां पीएम उदय योजना के तहत कवर होने का दावा करती हैं। निवासियों ने डीडीए के इस नोटिस को चुनौती दी, जिसमें संपत्तियों की स्पष्ट सीमांकन नहीं थी।

कोर्ट का फैसला: स्टेटस को बनाए रखें!

सोमवार को जस्टिस तेजस करिया ने मामले की अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। यानी, जब तक अगली सुनवाई नहीं होती, कोई बुलडोजर बटला हाउस की इन संपत्तियों को नहीं छू सकता! कोर्ट ने डीडीए को नोटिस जारी कर चार हफ्तों में जवाब मांगा है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 10 जुलाई को होगी।

'हम तो सालों से यहीं हैं'

हीना परवीन, जिन्नत कौसर, रुखसाना बेगम, निहाल फातिमा, सुफियान अहमद और साजिद फखर जैसे याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में अपनी बात रखी। उनके वकीलों सोनिका घोष, अनुराग सक्सेना और गुरमुख दास कोहली ने तर्क दिया कि डीडीए का नोटिस गलत है और खसरा नंबर 279 में सभी संपत्तियां अवैध नहीं हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वे इन संपत्तियों में 1980-82 से रह रहे हैं और इन्हें बिल्डरों से खरीदा था। कुछ दस्तावेज उर्दू और फारसी में थे, जिनका बाद में अनुवाद कराया गया।

डीडीए का पक्ष: कागजात कहां हैं?

डीडीए ने याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि निहाल फातिमा और अन्य के पास कोई स्वामित्व दस्तावेज नहीं हैं। डीडीए का दावा है कि कुछ दस्तावेज तो आदेश पारित होने के दौरान बनाए गए। इसके अलावा, डीडीए ने सुप्रीम कोर्ट में पहले ही सीमांकन रिपोर्ट जमा की थी, जिसके आधार पर 4 जून का आदेश पारित हुआ।

सुप्रीम कोर्ट ने 7 मई को कहा था कि प्रभावित लोग कानून के मुताबिक उचित कार्रवाई कर सकते हैं। इसके बाद हाईकोर्ट ने 4 जून को इशरत जहां के मामले में डीडीए को तीन हफ्तों में कार्रवाई और सीमांकन रिपोर्ट के संबंध में हलफनामा दाखिल करने को कहा था। पहले भी बटला हाउस के कुछ निवासियों को हाईकोर्ट से डीडीए के नोटिस के खिलाफ संरक्षण मिल चुका है।

क्या है खसरा नंबर 279 का विवाद?

खसरा नंबर 279 में कुल 34 बीघा जमीन है, जिसमें से केवल 2 बीघा और 10 बिस्वा पर अवैध निर्माण को ध्वस्त करने का आदेश है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस खसरा में सभी संपत्तियां अवैध नहीं हैं, और डीडीए का नोटिस स्पष्टता की कमी से जूझ रहा है।

यह मामला अब 10 जुलाई को रोस्टर बेंच के सामने फिर से सुना जाएगा। तब तक बटला हाउस के निवासियों को राहत की सांस मिली है।