महिंद्रा एयरोस्ट्रक्चर ने एयरबस के साथ मिलाया हाथ
एयरबस और महिंद्रा एयरोस्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड ने एच130 हेलिकॉप्टर के फ्यूजलेज के निर्माण के लिए समझौता किया है। यह भारत में स्वदेशी एयरोस्पेस विनिर्माण को बढ़ावा देगा। पहली इकाई की आपूर्ति मार्च...

- दोनों कंपनियां मिलकर करेगी एच130 हेलिकॉप्टर के फ्यूजलेज का निर्माण नई दिल्ली। विशेष संवाददाता
एकल इंजन वाले एयरबस एच130 हेलिकॉप्टरों के लिए फ्यूजलेज (ढांचा) का निर्माण भारत में होगा। इसको लेकर एयरबस और महिंद्रा एयरोस्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के बीच बुधवार को समझौता हुआ। इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय मंत्री राम मोहन नायडू ने की। उन्होंने कहा कि एच130 हेलीकॉप्टर के निर्माण और संयोजन के लिए हुआ यह अनुबंध एयरबस जैसी वैश्विक कंपनियों के भारतीय उद्योग की क्षमता में विश्वास का प्रमाण है। वहीं, वर्ष 2021 में अपनी स्थापना के बाद से महिंद्रा एयरोस्ट्रक्चर ने साबित किया है कि एयरोस्पेस उद्योग में एक युवा खिलाड़ी के रूप में भी वैश्विक कंपनियों के लिए पुर्जे और असेंबली प्रदान कर सकती है।
समझौते के तहत पहली इकाई की आपूर्ति मार्च 2027 तक होने की उम्मीद है। यह भारत में स्वदेशी एयरोस्पेस विनिर्माण गतिविधियों के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन होगा। आठ सीटों वाला एच130 एक लोकप्रिय हेलिकॉप्टर है जिसका उपयोग परिवहन, पर्यटन, चिकित्सा, निगरानी और निजी विमानन गतिविधियों के लिए किया जाता है। हेलिकॉप्टर के ढांचे का निर्माण कर्नाटक के कोलार जिले में महिंद्रा एयरोस्ट्रक्चर की देखरेख में किया जाएगा। कंपनी को सालाना 60-70 एच130 के फ्यूजलेज का उत्पादन करने की उम्मीद है। समझौते के तहत महिंद्रा एंड महिंद्रा समूह की कंपनी हेलिकॉप्टर की मुख्य असेंबली का उत्पादन करेगी। इस मौके पर एयरबस इंडिया के अध्यक्ष और दक्षिण एशिया क्षेत्र के प्रबंध निदेशक रेमी मैलार्ड ने कहा कि एयरबस भारत में निवेश करना जारी रखेगी । कंपनी का वर्ष 2030 से पहले भारत से कलपुर्जों और सेवाओं की खरीद को बढ़ाकर दो अरब डॉलर करने का लक्ष्य है। कंपनी की वर्ष 2024 में भारत से खरीद 1.4 अरब डॉलर थी, जो वर्ष 2023 में दर्ज एक अरब डॉलर थी।
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भारत दुनिया का सबसे बड़ा उड्ड्यन बाजार बने की दिशा में अग्रसर
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत दुनिया के सबसे बड़े नागरिक उड्डयन बाजारों में से एक बनने के लिए तैयार है। अगले 20 वर्षों में 2200 से अधिक विमानों के बेड़े में शामिल होने की उम्मीद है। वर्ष 2030 तक भारत सालाना 630 मिलियन यात्रियों को संभालेगा, जो 6-8 फीसदी की वार्षिक दर से बढ़ेगा। अगले 10-15 वर्षों में घरेलू एयरोस्पेस विनिर्माण बाजार 10 बिलियन डॉलर के उद्योग में विकसित हो सकता है, जिसमें संरचनात्मक घटक, एवियोनिक्स सिस्टम और अन्य घटक शामिल है। ऐसे में भारतीय एमएसएमई और स्टार्टअप के लिए भी कारोबार के नए रास्ते खुलेंगे।
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