यूएपीए का गलत इस्तेमाल कर रही सरकार: कांग्रेस
कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के दुरुपयोग का आरोप लगाया है। पार्टी ने कहा कि यह असहमति को दबाने का एक तरीका है, और इसके तहत कई पत्रकारों, छात्रों और...

नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर असहमति को दबाने के लिए गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) कानून का खतरनाक दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है। पार्टी का कहना है कि यह भाजपा के संविधान पर व्यापक हमले का हिस्सा है। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने ‘एक्स पर पोस्ट कर कहा कि सरकार में असहमति को दबाने और न्याय में देरी करने के लिए कानून का इस्तेमाल तेजी से किया जा रहा है। वर्ष 2014 और 2022 के बीच यूएपीए के 8,719 मामलों में दोषसिद्धि दर केवल 2.55 प्रतिशत थी। उन्होंने कहा कि आलोचकों, छात्रों, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को निशाना बनाने के लिए इस कानून के दुरुपयोग का भी खुलासा हुआ है।
पवन खेड़ा ने एक समाचार पोर्टल पर प्रकाशित छात्र नेता उमर खालिद के एक लेख का भी हवाला दिया। खालिद यूएपीए के तहत जेल में बंद है। खेड़ा ने दावा किया कि अपराधी मान लेने की पूर्वनियोजित धारणा, सोशल मीडिया और मीडिया-संचालित ट्रायल और सुप्रीम कोर्ट द्वारा बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाओं को खारिज करने की हालिया प्रवृत्ति ने न्याय के इस संकट को और गहरा कर दिया है। उन्होंने कहा कि भीमा कोरेगांव मामले में आनंद तेलतुंबडे, नोदीप कौर और महेश राउत को यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया था। आनंद तेलतुंबडे को तीन साल जेल में बिताने के बाद रिहा कर दिया गया। नोदीप कौर को उसी वर्ष जमानत दे दी गई थी, जब उसे गिरफ्तार किया गया था। कांग्रेस नेता खेड़ा ने दावा किया कि नोदीप कौर को हिरासत में रहते हुए कथित तौर पर पीटा गया और उसका यौन उत्पीड़न किया गया। महेश राउत 2018 से जेल में हैं। इसके साथ छात्र नेता उमर खालिद, शरजील इमाम और सफूरा जरगर को सीएए विरोधी प्रदर्शनों में उनकी कथित संलिप्तता के लिए यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया था। उमर खालिद और शरजील इमाम वर्ष 2020 से जेल में हैं। पत्रकारों को यूएपीए के तहत गिरफ्तार करना गलत कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि पत्रकार फहद शाह और इरफान मेहराज को उनकी रिपोर्टिंग के लिए यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया। प्रबीर पुरकायस्थ और अमित चक्रवर्ती को 2023 में न्यूजक्लिक से संबंधित विदेशी फंडिंग मामले में यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया था। फहद शाह को 600 दिनों के बाद रिहा किया गया था। बाकी लोग अभी भी जेल में हैं। खेड़ा ने दावा किया कि इनमें से अधिकतर मामले इस सरकार को चुनौती देने वालों के खिलाफ प्रतिशोध के मामले हैं। अदालतें बार-बार इस दुरुपयोग को उजागर करती हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने देवांगना कालिता, नताशा नरवाल और आसिफ तन्हा को रिहा करते हुए स्पष्ट रूप से कहा कि विरोध आतंकवाद नहीं हो सकता।
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